जिन घरों में वास्तु दोष हो वहां सुख-शांति के लिए देवी मां की पूजा से घर के वास्तुदोष दूर हो जाते हैं, वहां मौजूद सभी बुरी शक्तियां भाग जाती हैं। नवरात्रि में किन बातों का ध्यान रखने से घर की निगेटिविटी खत्म हो सकती है, आइए जानते हैं वास्तु के कुछ खास टिप्स

वास्तु के अनुसार ईशान कोण जल एवं ईश्वर का स्थान माना गया है और यहां सर्वाधिक सकारात्मक ऊर्जा रहती है। इस दिशा में कलश रखने से जल तत्व से जुड़े वास्तुदोष दूर होकर सुख-समृद्धि आती है।
ईशान कोण में माता रानी की पूजा करने से उपासक को पूजा का पूर्ण फल मिलता है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार बना रहता है।
देवी मां का क्षेत्र दक्षिण और दक्षिण पूर्व दिशा माना गया है इसलिए यह ध्यान रहे कि पूजा करते वक्त आराधक का मुख दक्षिण या पूर्व में ही रहे।
वास्तु में शक्ति और समृद्धि का प्रतीक मानी जाने वाली पूर्व दिशा की ओर मुख करके पूजा करने से हमारी प्रज्ञा जागृत होती है एवं दक्षिण दिशा की ओर मुख करके पूजा करने से आराधक को मानसिक शांति अनुभव होती है,घर के क्लेशों का नाश होता है।
नवरात्रि में दुर्गा माँ की पूजा-अनुष्ठान के दौरान पूजन कक्ष एवं मुख्य द्वार पर आम या अशोक के हरे-हरे पत्तों की बंदनवार लगाने से घर में नकारात्मक शक्तियां प्रवेश नहीं करती, ध्यान रहे बंदनवार सूखने पर तुरंत दूसरी बाँध दें।

मातारानी की पूजा करते समय अखंड दीप को पूजा स्थल के आग्नेय यानि दक्षिण-पूर्व में रखना शुभ होता है क्योंकि यह दिशा अग्नितत्व का प्रतिनिधित्व करती है,ऐसा करने से आग्नेय दिशा के वास्तुदोष दूर होकर घर में रुका हुआ धन प्राप्त होता है।
नवरात्रि के दिनों में संध्याकाल के समय पूजन स्थल पर शुद्ध घी का दीपक जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है, बुरी शक्तियां दूर भागती हैं घर के सदस्यों को प्रसिद्धि मिलती है व रोग एवं क्लेश दूर होते है।