हिंदू धर्म में ज्यादातर घरों में मंदिर जरूर होता है, जहां हर दिन धूप बत्ती और पूजा होती है। पूजा स्थान घर का देवस्थान होता है। जहां से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इसलिए आपका पूजा घर वास्तु के हिसाब से ऐसा होना चाहिए।

जो आपके घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार बेहतर तरीके से कर पाए। दरअसल पूजा घर सही स्थान पर न होने के कारण कभी-कभी पूजा का शुभ फल प्राप्त नहीं हो पाता है। इसलिए पूजा घर बनवाते समय आपको कुछ बातों का खास ध्यान रखना चाहिए। खासकर की पूजा घर में कितनी और कैसी मूर्ति होनी चाहिए।
किस दिशा में हो घर का मंदिर-वास्तु शास्त्र के अनुसार, पूजा घर हमेशा उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए।इस दिशा में ऊर्जा का भंडार होता है।

जब हम भगवान कि किसी प्रतिमा या मूर्ति की पूजा कर रहे हों तब आपका मुंह पूर्व दिशा की तरफ होना चाहिए। अगर पूर्व दिशा की ओर मुंह नहीं हो पा रहा है तो पश्चिम दिशा भी शुभ मानी गई है। इन दोनों दिशा की तरफ पूजा करना वास्तु के हिसाब से उचित माना गया है।
घर के मंदिर में ज्यादा बड़ी मूर्ति नहीं रखनी चाहिए।शास्त्र के अनुसार घर के मंदिर में रखी जाने वाली देवी-देवताओं की मूर्ति का आकार 3 इंच से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। अंगूठे की लंबाई के बराबर ही मूर्ति रखना चाहिए।अंगूठे के आकार से बड़ी मूर्तियां घर के मंदिर में नहीं रखना चाहिए।
घर के मंदिर के लिए शुभ है ये दो मूर्तियां-
हनुमान जी की मूर्ति- इससे घर में सुख समृद्धि बनी रहती है और आय के साधन में वृद्धि होती है। गृहस्थों के लिए हनुमान जी के बैठ हुए प्रतिमा की पूजा करने से परिवार में खुशहाली आती है। वहीं नौकरी व व्यापार में तरक्की पाने के लिए हनुमान जी के उड़ते हुए प्रतिमा की पूजा करें।भूलकर भी हनुमान जी के तस्वीर को शयन कक्ष यानि बेड रूम में ना रखें, क्योंकि हनुमान जी बाल ब्रम्हचारी थे।

भोले बाबा की मुर्ति-शिव-पार्वती की मूर्ति घर में लगाने से सुख-समृद्धि आती है और वैवाहिक जीवन भी अच्छा रहता है।नंदी बैल को शिव जी की सवारी माना जाता है।इसीलिए मान्यताओं के अनुसार नंदी पर बैठे हुए शिव जी घर के लिए चमत्कारी साबित होते हैं। ध्यानमग्न मुद्रा में बैठे हुए महादेव की मूर्ति को भी घर में रखना अच्छा माना जाता है।

इसके अलावा सबसे जरूरी है कि घर के मंदिर में कभी भी खंडित मूर्ति नहीं रखनी चाहिए, जो मूर्ति खंडित हो चुकी है, उसे तुरंत ही मंदिर से हटा देनी चाहिए। उस मूर्तियों को या नदी में बहा दें या पीपल के पेड़ के नीचे रख दें। टूटी मूर्तियों को मंदिर में रखना अशुभ माना जाता है।