इंसान काफी समय से स्पेस पर नजर रखे हुए है। पहले ये काम जितना मुश्किल था आज साइंस की मदद से ये काम उतना ही आसान हो चूका हैं। स्पेस की हर एक्टिविटी पर स्पेस एजेंसीज अपनी बड़ी ही पेनी नजर रखती है। इसकी वजह है स्पेस से धरती का कनेक्शन। अगर स्पेस में कुछ भी होता है तो उसका असर धरती पर भी नजर आता है।

स्पेस के मिल्कीवे गैलेक्सी में हुए छेद से धरती का टेम्पीचर टेम्प्रेचर प्रभावित होता है। स्पेस एजेंसी नासा ने पाया है कि स्पेस में कई लाख छेद हो चुके हैं। इसका जिम्मेदार धरती पर हो रहा प्रदुषण है। लेकिन अब जो छेद पाया गया है वो इतना बड़ा है कि उसके अंदर आठ सौ से अधिक सूरज समा जाए।

नासा ने पाया कि इस छेद में सूरज जैसे करीब आठ सौ तारे समा सकते हैं। लेकिन ये छेद इंसानी आंख से देख पाना नामुमकिन है। नासा के मुताबिक़, मेसियर 4 नाम के तारों के इस सामूग में हजारों तारे मौजूद है। ये धरती से करीब 6 हजार लाइट ईयर की दुरी पर है। तारों के इस समूह पर नासा ने अपने हबल स्पेस टेलिस्कोप से नजर रखी, जिसमें साइंटिस्ट्स को बड़ा-सा छेद नजर आया।
बेहद ताकतवर है ये टेलिस्कोप

स्पेस टेलिस्कोप साइंस इंस्टीट्यूट के Eduardo Vitral इस टेलिस्कोप को ऑपरेट करते हैं। उन्होंने बताया कि इस तरह की चीजें बिना हबल के नजर नहीं आ सकती हैं. ऐसा कहा जाता है कि सिर्फ मिल्की वे गैलेक्सी में ही सौ मिलियन से ज्यादा ब्लैक होल्स मौजूद हैं। लेकिन ये ब्लैक होल आम नहीं है. ये अब तक का दिखा सबसे बड़ा होल है।
क्या होता है ब्लैक होल?

ब्लैक होल्स के अंदर काफी तेज गुरुत्वाकर्षण होता है। कहा जाता है कि ये इतना स्ट्रांग है कि इसके अंदर से लाइट भी एस्केप नहीं कर पाता। रिसर्चर्स ने मेसीयर 4 के तारों पर बारह साल से नजर रखी थी। अब इसके अंदर एक इतना बड़ा छेद नजर आया है। इस रिसर्च को हाल ही में Royal Astronomical Society के मंथली नोटिसेस में पब्लिश किया गया। इसमें ये भी पता चला कि इन होल्स की ग्रेविटी काफी तेज है, जिससे किसी भी चीज का बच पाना मुश्किल है।