हमने हमेशा से ये देखा कि इंसान ने अपने जिंदा रहने के लिए खाने का जुगाड़ करने की आदत शुरुआत से ही सीखी है। जिसके कई सबूत हमें पौराणिक खोज और कथाओ से भी सुनने को मिले हैं। प्रकृति ने काफी अच्छे तरीके से खाने-पीने की जरुरत पूरा करने के लिए फ़ूड चेन बनाया है जिसे पकड़कर कोई भी इंसान अपना भरण-पोषण कर सकता हैं।

इसमें एक जीव अपने सर्वाइवल के लिए दूसरे जीव पर निर्भर करता है। इंसान हो या कोई जानवर, सब जिंदा रहने के लिए दूसरे पर ही निर्भर करते हैं। लेकिन किसी भी तरह के जीव कभी खुद की प्रजाति के जीवों का शिकार नहीं करते। खासकर इंसानों में कभी दूसरे इंसान के मांस को खाने का रिवाज नहीं रहा है। अगर ऐसा होता है तो उसे नरभक्षी मानकर पकड़ लिया जाता है।

नरभक्षी हमेशा से समाज के लिए खतरा होते हैं। अगर ऐसे किसी के बारे में पता चलता है तो उसे पकड़ कर जेल में डाल दिया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक ऐसी स्थिति है, जिसमें अगर इंसान दूसरे इंसान को खा जाए तो भी उसे सजा नहीं दी जा सकती। जी हां, इस नियम को कहीं लिखा तो नहीं गया है लेकिन इसे कहा जाता है ‘द डेलिकेट क्वेस्चन’. जी हां, इस सवाल को पूछने वाला नरभक्षी बन जाता है और इस सवाल का जवाब देने वाले को खा जाता है।
ऐसा हैं ये कठोर नियम

मौत के सवाल का अनोखा नियम आज हम आपको सुनाने जा रहे हैं। जब लोग ऐसी स्थिति में फंस गए कि उनके पास खाने के लिए कुछ ना बचे तब लोग चिट के माध्यम से मरने को तैयार होते हैं। इस हादसे में ये तय हुआ कि जिसके पास कुर्बानी का चिट आएगा, उसे मारकर जहाज के बाकी लोग खा जाएंगे। ऐसा ही हुआ भी। हादसे में सिर्फ आठ लोग बचे। सभी को 5 अप्रैल 1821 में बचाया जा सका। चार महीने से ज्यादा समय समुद्र में बिताने के लिए इन लोगों ने बाकी का मांस खा लिया। आज भी इस डेलिकेट क्वेस्चन का नियम बरकरार है। जब ऐसी स्थिति आ जाए कि भूख से मौत हो जाए, तब लोग नरभक्षी बन सकते हैं।