उत्तर प्रदेश सरकार (Uttar Pradesh Government) द्वारा कांवड़ियों पर फूल बरसाए जाने को लेकर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (AIMIM chief Asaduddin Owaisi) ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि यदि कांवड़ियों के लिए ट्रैफिक को डायवर्ट किया जा सकता है, उनपर फूल बरसाए जा सकते हैं तो फिर नमाज से ही क्या दिक्कत है।
असदुद्दीन ओवैसी ने बुधवार को कहा कि बीजेपी के नेतृत्व वाली यूपी सरकार जनता के पैसे से कांवड़ियों पर फूल बरसा रही है। हम चाहते हैं कि वे सभी के साथ समान व्यवहार करें। वे हम (मुसलमानों) पर फूल नहीं बरसाते, वे हमारे घरों में बुलडोजर चलाते हैं।
उन्होंने कहा कि आर्टिकल 25 के तहत सभी को धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार है। लुलु मॉल में नमाज पर ऐक्शन हुआ, जबकि 18 सेकेंड में यह खत्म हो जाती है। नमाज पढ़ने से किसी को क्या नुकसान हो जाता है। यह तो एक समुदाय से भेदभाव का मामला है।
ओवैसी ने कहा कि इस तरह से आप एक समुदाय से भेदभाव कर रहे हैं, जो संविधान के खिलाफ है। इस पर बीजेपी वाले आर्टिकल 25 का हवाला देंगे, लेकिन फिर यह भी बताएं कि नमाज पढ़ने से किसे दिक्कत है और उन्हें क्या नुकसान हो रहा है। यदि आपका नारा सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास है तो इस तरह का काम उसके मुताबिक तो नहीं है।
AIMIM प्रमुख ने अखबार की कटिंग शेयर करते हुए लिखा, कांवड़ियों के जज़्बात इतने मुतज़लज़ल हैं कि वे किसी मुसलमान पुलिस अहलकार का नाम भी बर्दाश्त नहीं कर सकते। यह भेद-भाव क्यों? यकसानियत नहीं होनी चाहिए? एक से नफ़रत और दूसरों से मोहब्बत क्यों? एक मज़हब के लिए ट्रैफिक डाइवर्ट और दूसरे के लिए बुलडोज़र क्यों?
कांवड़ियों के जज़्बात इतने मुतज़लज़ल हैं कि वे किसी मुसलमान पुलिस अहलकार का नाम भी बर्दाश्त नहीं कर सकते। यह भेद-भाव क्यों? यकसानियत नहीं होनी चाहिए? एक से नफ़रत और दूसरों से मोहब्बत क्यों? एक मज़हब के लिए ट्रैफिक डाइवर्ट और दूसरे के लिए बुलडोज़र क्यों? अगर इन (कावड़ियों) पर फूल बरसा रहे हैं, तो कम से कम हमारे घर तो मत तोड़िए।