झांसी में अपने लाडले बेटे असद का एनकाउंटर के बाद पोस्टमार्टम हुआ तो करीब 12 घंटे तक कोई शव उठाने वाला नहीं था। यह जानकर कुख्यात माफिया अतीक अहमद पहले ही टूट चुका था। ऊपर से बड़ी मार यह पड़ी कि उसे अपने लाड़ले के कब्र पर दो मुट्ठी मिट्टी डालने का भी मौका नहीं मिला। जबकि वह खुद इस समय प्रयागराज में है। जी हां, हम उसी अतीक अहमद की बात कर रहे हैं, जिसके नाम से कभी धूमनगंज क्या, पूरा प्रयागराज थर्राता था।
कानून की बेड़ियों में जकड़ा अतीक अहमद

दिन दहाड़े किसी के भी मौत की तारीख लिखने वाला यह खूंखार अपराधी इस समय कानून की बेड़ियों में इस कदर जकड़ा है अब केवल जार जार आंसू ही बहा सकता है। बेटे के जनाजे में शामिल होने के लिए अतीक अहमद ने शुक्रवार को ही कोर्ट में अर्जी लगाई थी। उसने अदालत से गुहार किया था कि उसके निर्दोष बेटे को पुलिस ने मार दिया और अब उसके जनाजे में शामिल नहीं होने दिया जा रहा है। यह अर्जी आंबेडकर जयंती की छुट्टी होने की वजह से रिमांड मजिस्ट्रेट की कोर्ट में दाखिल हुई थी।
कोर्ट खुलने से पहले ही असद को दफन कर दिया गया

लेकिन कोर्ट ने इसे क्षेत्राधिकार से बाहर की बात कहते हुए रिजेक्ट कर दी। ऐसे में आज अतीक अहमद नए सिरे से सीजेएम कोर्ट में अर्जी लगाने वाला था। लेकिन कोर्ट खुलने से पहले ही असद को दफन कर दिया गया। इस संबंध में अतीक के वकीलों ने बताया कि कोर्ट खुलने पर ही अतीक की अर्जी दाखिल होती और जब तक उसपर सुनवाई होती, काफी देर हो सकती थी। उधर, गर्मी अधिक होने की वजह से पोस्टमार्टम के बाद असद का शव तेजी से खराब होने लगा था।
अतीक के आने का इंतजार ना करें
ऐसे में दफन कार्यक्रम को रोकना ठीक नहीं था। इसलिए परिजनों को बता दिया गया था कि वह दफन में अतीक के आने का इंतजार ना करें। अतीक अहमद के वकीलों के मुताबिक, यह सब अतीक की सहमति से किया गया है। बता दें कि 13 मार्च को एसटीएफ ने उमेश पाल हत्याकांड में फरार चल रहे अतीक अहमद के बेटे असद का झांसी में एनकाउंटर किया था। असद के साथ पुलिस ने अतीक के खास शूटर गुलाम को भी मार गिराया था। इसकी सूचना समय से अतीक और उसके परिजनों को दे भी दी गई। बावजूद इसके पोस्टमार्टम के वक्त ना तो असद का कोई परिजन पहुंचा और ना ही शूटर गुलाम के ही घर से कोई आया। हालांकि शुक्रवार की देर शाम असद के फूफा ने झांसी पहुंच कर शव रिसीव किया। इसके बाद दोनों शवों को प्रयागराज लाकर दफन किया गया है।