भारत समुद्री क्षेत्र से लेकर अंतिरक्ष तक फ्रांस को विश्वस्त भागीदार के तौर पर देखता है : जयशंकर - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

भारत समुद्री क्षेत्र से लेकर अंतिरक्ष तक फ्रांस को विश्वस्त भागीदार के तौर पर देखता है : जयशंकर

फ्रांस के साथ भारत के संबंध विश्वास पर आधारित हैं और यह ऐसा रिश्ता है जो अन्य मामलों में देखे गए अचानक बदलावों से मुक्त रहा है

फ्रांस की यात्रा पर गए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि फ्रांस के साथ भारत के संबंध विश्वास पर आधारित हैं और यह ऐसा रिश्ता है जो अन्य मामलों में देखे गए अचानक बदलावों से मुक्त रहा है। पेरिस में एक थिंक टैंक में दिए संबोधन में जयंशकर ने कहा कि भारत और फ्रांस हिंद-प्रशांत क्षेत्र में देशों के लिए बेहतर विकल्प पैदा करने और उन्हें संप्रभु बनाने का इरादा रखते हैं और उन्हें न तो कभी किसी वर्चस्व के अधीन रखना चाहिए और न ही इस बनाम उस की शक्ति प्रतिस्पर्धा में फंसाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत रक्षा और उद्योग के क्षेत्रों में फ्रांस को एक अहम साझेदार के तौर पर देखता है तथा भारत में सहयोगात्मक रक्षा उद्यमों के लिए महत्वाकांक्षी विचारों को तलाशा जा रहा है जो हिंद-प्रशांत में भी साझा हितों का समर्थन करेंगे। विदेश मंत्री ने कहा कि भारत समुद्री क्षेत्र से लेकर अंतिरक्ष और साइबर से लेकर महासागरों तक में सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए फ्रांस को विश्वस्त भागीदार के तौर पर देखता है।
भारत के फ्रांस के साथ संबंध स्थिरता के साथ बढ़ रहे है : एस जयशंकर 
विदेश मंत्री ने मंगलवार को ‘फ्रेंच इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल रिलेशंस’ में कहा, हमारे दौर के उथल पुथल से गुजरते हुए भारत के फ्रांस के साथ संबंध स्थिरता के साथ बढ़ रहे है। यह ऐसा रिश्ता है जो अचानक आए बदलावों से मुक्त है जो कई बार हमने दूसरे मामलों में देखा है। जयशंकर ने कहा, भारत में रिश्तों में विश्वास और आत्म विश्वास की बड़ी भावना है। यह इसकी महत्ता पर दृढ़ राजनीतिक सहमति से लाभान्वित है। मुझे लगता है कि हमने फ्रांस में भी यही देखा है। उन्होंने कहा कि फ्रांस अहम मुद्दों पर अपना रुख रखने से कभी नहीं हिचकिचाता और हठधर्मिता न होने से भारत जैसे उभरती शक्ति के साथ मजबूत भागीदारी बनाने में मदद मिली है। उन्होंने कहा, हमने यह देखा, उदाहरण के लिए जब भी वैश्विक परमाणु व्यवस्था में भारत को स्थान देने जैसे जटिल मुद्दो की बात आती है।
फ्रांस का भारत की सामरिक सोच के विकास में महत्वपूर्ण प्रभाव रहा है : विदेश मंत्री 
जयशंकर ने कहा कि फ्रांस का भारत की सामरिक सोच के विकास में महत्वपूर्ण प्रभाव रहा है खासतौर से उसकी परमाणु शक्ति के व्यवहार में। उन्होंने कहा कि भारत को असैन्य परमाणु ऊर्जा में अंतरराष्ट्रीय सहयोग बहाल करने के लिए 2008 में परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह से छूट दिलाने में फ्रांस की अहम भूमिका रही। हिंद-प्रशांत क्षेत्र का जिक्र करते हुए जयशंकर ने कहा कि वहां घटनाक्रम का यूरोप समेत दुनियाभर में सीधा असर पड़ेगा। उन्होंने कहा, नियम आधारित व्यवस्था की विश्वसनीयता और अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की प्रभाविता दांव पर लगी है। भारत इस क्षेत्र के सामरिक केंद्र में है। फ्रांस व्यापक ईईजेड (विशेष आर्थिक क्षेत्र) के साथ इसके दो छोरों का प्रतिनिधित्व करता है।
दोनों देश मुक्त, खुले और समावेशी क्षेत्र का आह्वान करते हैं : जयशंकर 
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत, फ्रांस को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रहने वाली शक्ति के तौर पर देखता है उन्होंने कहा, ‘‘हम दोनों मुक्त, खुले और समावेशी क्षेत्र का आह्वान करते हैं। हमारी क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा के लिए तथा चुनौतियों से निपटने के लिए सकारात्मक एजेंडे के साथ कई, आपस में जुड़ी साझेदारियां हैं। यूरोपीय संघ से भारत को जोड़ने के लिए फ्रांस को एक ‘महत्वपूर्ण सेतु’ बताते हुए जयशंकर ने कहा कि व्यापार और निवेश पर भारत तथा यूरोपीय संघ के बीच बातचीत शुरू करने के लिए आज फ्रांस से सहयोग की उम्मीद की जाती है। उन्होंने कहा कि फ्रांस उन देशों में से एक है जिनके साथ भारत प्राथमिकता के आधार पर रक्षा क्षेत्र में औद्योगिक आत्म निर्भरता बनाना चाहता है।

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