भगोड़ा हीरा कारोबारी को भारत लाने की पहल कई हद तक सफल आती नजर आ रही है। क्योंकि गुरूवार को उसके प्रत्यर्पण के खिलाफ की याचिका को लंदन कोर्ट ने इनकार कर दिया है। दरअसल, नीरव ने कोर्ट में याचिका दायर की थी कि अभी वह प्रत्यर्पण करने की स्थिति में नहीं है। लेकिन ब्रिटेन की कोर्ट ने फटकार लगाते हुए मोदी को भारत भेजने की अटकलों का रास्ता साफ कर दिया है। 2018 में पंजाब नेशनल बैंक में करोड़ों रूपये का घोटाला करके नीरव विदेश भाग गया था जिसके बाद से ही इसे भारत सरकार ने भगोड़ा घोषित कर दिया था।
2018 में सरकार ने घोषित किया था भगोड़ा

नीरव मोदी धोखाधड़ी और धनशोधन के आरोप में मुकदमे का सामना करने के लिए भारत में वांछित है। लंदन में ‘रॉयल कोर्ट्स ऑफ जस्टिस’ में न्यायमूर्ति जेरेमी स्टुअर्ट-स्मिथ और न्यायमूर्ति रॉबर्ट जे ने फैसला सुनाया कि ‘‘अपीलकर्ता (नीरव मोदी) की उच्चतम न्यायालय में अपील करने की अनुमति के अनुरोध वाली अर्जी खारिज की जाती है।’’
नीरव मोदी की उच्चतम न्यायाल ने अपील की खारिज
पिछले महीने, 51 वर्षीय हीरा कारोबारी की मानसिक स्वास्थ्य के आधार पर दायर की गई अपील खारिज कर दी गई थी। अदालत ने मनोरोग विशेषज्ञों के बयान के आधार पर कहा था कि उसे ऐसा नहीं लगता कि नीरव की मानसिक स्थिति अस्थिर है और उसके खुदकुशी करने का जोखिम इतना ज्यादा है कि उसे पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के दो अरब डालर ऋण घोटाला मामले में आरोपों का सामना करने के लिए भारत प्रत्यर्पित करना अन्यायपूर्ण और दमनकारी कदम साबित होगा। वनीरव मोदी मार्च 2019 में प्रत्यर्पण वारंट पर गिरफ्तारी के बाद से लंदन की वैंड्सवर्थ जेल में बंद है।