अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन को बताया कोरोना से बचाव का एक तरीका - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन को बताया कोरोना से बचाव का एक तरीका

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, “जाहिर तौर पर मैं बहुत खराब प्रचारक हूं। अगर कोई और इसका प्रचार कर रहा होता तो वे कहते कि यह बहुत अच्छी दवा है।”

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने मलेरिया के इलाज में इस्तेमाल होने वाली हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा को लेकर बयान दिया। उन्होंने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन को कोरोना वायरस के ‘बचाव का एक तरीका’ बताया। राष्ट्रपति ट्रंप ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन लेने के लिए हो रही आलोचना के जवाब में यह बयान दिया। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वह कोरोना संक्रमण से बचने के लिए यह दवा ले रहे हैं। 
उन्होंने व्हाइट हाउस में पत्रकारों से कहा, ‘‘मुझे लगता है कि यह बचाव का एक तरीक है और मैं कुछ और समय तक इसे लेता रहूंगा। यह काफी सुरक्षित लगती है।’’ अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि इस दवा की खराब छवि इसलिए बनाई गई क्योंकि ‘वह इसका प्रचार कर रहे थे।’ 
उन्होंने कहा, ‘‘जाहिर तौर पर मैं बहुत खराब प्रचारक हूं। अगर कोई और इसका प्रचार कर रहा होता तो वे कहते कि यह बहुत अच्छी दवा है।’’ ट्रम्प ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि यह बहुत कारगर दवा है और यह आपको नुकसान नहीं पहुंचाती और संभवत: यह अच्छी होगी और मुझ पर इसका कोई खराब असर नहीं पड़ा।’’
उन्होंने कहा कि मलेरिया के इलाज में काम आने वाली इस दवा पर दुनियाभर के चिकित्सकों ने अच्छी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने दावा किया कि इटली, फ्रांस और स्पेन जैसे देशों में इसके बारे में बड़े-बड़े अध्ययन हुए हैं और अमेरिका में चिकित्सक इसे लेकर काफी आशावान हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि यह दवा किफायती है। 
उन्होंने कहा, ‘‘एक गलत अध्ययन किया गया जहां चिकित्सकों ने बहुत बीमार, बहुत ही ज्यादा बीमार लोगों को यह दवा दी जो पहले ही मरने की कगार पर थे।’’ वहीं उपराष्ट्रपति माइक पेंस ने एक अलग साक्षात्कार में बताया कि वह हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन नहीं ले रहे हैं। 
बहरहाल विपक्षी नेताओं ने ऐसी दवा लेने के लिए ट्रम्प की आलोचना की है जिसकी प्रमाणिकता अभी सिद्ध भी नहीं हुई है। गौरतलब है कि ट्रम्प प्रशासन ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की करोड़ों गोलियां खरीदी थीं। भारत ने अमेरिका को इसकी करोड़ों गोलियां भेजी थीं। भारत इस दवा के प्रमुख उत्पादकों में से एक है। 

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