रूस को लेकर भारत के रुख से मजबूत होंगे देश के रक्षा और आर्थिक संबंध? जानें ब्रिटिश विदेश मंत्री की राय - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

रूस को लेकर भारत के रुख से मजबूत होंगे देश के रक्षा और आर्थिक संबंध? जानें ब्रिटिश विदेश मंत्री की राय

ब्रिटेन ने कहा कि रूस-यूक्रेन संकट पर भारत का रुख रूस पर उसकी निर्भरता का परिचायक है और आगे की राह यह सुनिश्चित करना है कि भारत एवं ब्रिटेन के बीच आर्थिक एवं रक्षा संबंध मजबूत हों।

ब्रिटेन ने सोमवार को कहा कि रूस-यूक्रेन संकट पर भारत का रुख रूस पर उसकी निर्भरता का परिचायक है और आगे की राह यह सुनिश्चित करना है कि भारत एवं ब्रिटेन के बीच आर्थिक एवं रक्षा संबंध मजबूत हों। ब्रिटिश संसद की विदेश मामलों की समिति (एफएसी) की सुनवाई के दौरान भारत के रुख के बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्री लिज ट्रस ने यह बात कही। यह समिति विदेश, राष्ट्रमंडल एवं विकास कार्यालय के प्रशासन एवं नीति की समीक्षा के लिए जिम्मेदार होती है और इसमें सभी दलों के सदस्य होते हैं।
भारत का रुख रूस पर उसकी निर्भरता का परिचायक 
ट्रस ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि उन्होंने भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर से बात की थी और उन्हें यूक्रेन में रूस की कार्रवाई के खिलाफ रुख प्रदर्शित करने के लिए प्रोत्साहित किया था। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने अपने समकक्ष जयशंकर से बातचीत की थी और उन्हें रूस के खिलाफ रुख प्रदर्शित करने के लिए यह कहते हुए प्रोत्साहित किया था कि हम इसे (यूक्रेन पर रूस की कार्रवाई को) संप्रभुता के उल्लंघन के तौर पर देखते हैं।’’
भारत से आर्थिक और रक्षा संबंधों को करना चाहिए और मजबूत
विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि भारत के समक्ष रक्षा ही नहीं, बल्कि आर्थिक मामलों में भी रूस पर निर्भरता का मामला है। मेरा यह भी मानना है कि हमारे लिए आगे का रास्ता यह है कि भारत से आर्थिक और रक्षा संबंधों को और मजबूत किया जाए। ऐसा ब्रिटेन द्वारा ही नहीं, बल्कि समान विचारधारा वाले सहयोगी देशों द्वारा भी किया जाना चाहिए।’’
ट्रस ने लंदन में ‘विदेश व्यापार समझौते’ (एफटीए) पर सोमवार को हुई दूसरे चरण की वार्ता का उल्लेख करते हुए कहा कि इसका उद्देश्य लोकतांत्रिक देशों के कुनबे में भारत को शामिल करना है। एफएसी के अध्यक्ष कंजरवेटिव पार्टी के सांसद टॉम तुगेंधत ने ट्रस से जानना चाहा था कि उनके विचार में रूस के खिलाफ 141 देशों की ओर से किये गये मतदान में भारत क्यों नहीं शामिल हुआ था?

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