ग्वालियर : पर्यावरण प्रदूषण एक गंभीर समस्या है। आने वाले वर्षों में यह और अधिक गंभीर समस्या बन सकती है। इसलिये पर्यावरण संरक्षण के लिये प्रयास होना चाहिए। पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। पिछले कुछ वर्षों से डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार ग्वालियर अत्यधिक प्रदूषित शहर की श्रेणी में है। इसलिये यहां प्रदूषण नियंत्रण के लिये प्रभावी कार्ययोजना बनाकर उसका क्रियान्वयन होना चाहिए। इसके साथ ही इसकी सतत मॉनीटरिंग होना चाहिए। यह निर्देश केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष सूर्यप्रताप सिंह परिहार ने दिए।
कलेक्ट्रेट के सभाकक्ष में केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष परिहार ने निर्देश दिए कि प्रदूषण नियंत्रण के लिये हो रहे प्रयास की मॉनीटरिंग के लिये नोडल ऑफीसर बनाए जाएं, ताकि समय पर निगरानी होती रहे। उन्होंने कहा प्रदूषित वातावरण स्वास्थ्य को हानि पहुंचाता है। वर्तमान में पर्टिकुलेट मैटर का बढ़ना वायु की गुणवत्ता को खराब कर रहा है। इसलिए प्रदूषण नियंत्रण के लिये प्रदेश में एक्शन प्लान तैयार किया जा रहा है, जिसमें 6 शहरों को शामिल किया गया है। अध्यक्ष परिहार ने कहा कि वर्ष 2014, 2016 और वर्ष 2018 की डब्ल्यूएचओ की रपोर्ट के अनुसार भारत के अत्यधिक प्रदूषित शहरों की सूची में ग्वालियर का स्थान है। ग्वालियर में दो स्थानों पर प्रदूषण का मेजर किया जाता है, जिसमें चार पदार्थों का मापन होता है।
ग्वालियर में पीएम 2.5 का स्तर कुछ कम हुआ है। परंतु पीएम 10 का स्तर बढ़ गया है। यह भी हानिकारक होता है। इसके नियंत्रण के लिये प्रयास होना चाहिए। परिहार ने कहा कि ग्वालियर शहर में बढ़ते प्रदूषण के स्तर को देखते हुए नगर निगम, परिवहन एवं पुलिस विभाग को अलर्ट होकर कार्य करना होगा। वाहनों से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिये वाहनों की चैकिंग की जाए। इसके साथ ही एक्शन प्लान के तहत औद्योगिक क्षेत्रों से निकलने वाले धुंए पर नियंत्रण के लिये नियमितनिरीक्षण किया जाए और आवश्यक होने पर कार्रवाई की जाए। इसके साथ ही यातायात प्रबंधन कंस्ट्रक्शन गतिविधियों, सड़कों पर नियमित सफाई, पेड़-पौधे लगाने सहित शहर के हॉटस्पॉट एरिया पर फोकस किया जाए। कलेक्टर अशोक कुमार वर्मा ने बताया कि ग्वालियर शहर में बढ़ते प्रदूषण के स्तर को देखते हुए प्रदूषण नियंत्रण के लिये कार्य किए जा रहे हैं। नगर निगम द्वारा अच्छा काम किया जा रहा है।
शहर में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन पर काम किया जा रहा है। इसके तहत लगभग 450 टन अपशिष्ट को एकत्रित करके पावर जनरेट का काम किया जा रहा है। इसके लिये ग्वालियर की 6 नगर पालिकायें सहित मुरैना व अन्य जिले से वेस्ट एकत्रित किया जा रहा है। वर्मा ने बताया कि कचरे का डोर-टू-डोर कलेक्शन किया जा रहा है। अमृत परियोजना के तहत चार सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जा रहे हैं। इसके साथ ही ड्रेनेज सिस्टम सुधार के लिये नालों की साफ-सफाई की जा रही है। लोगों में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता लाने के लिये आनंदकों सहित अन्य टीमें काम कर रही हैं। इसके साथ ही स्मार्ट सिटी के तहत विकसित किए जा रहे स्थानों पर शाइन बोर्ड लगाए जा रहे हैं। उन्होंने बताया प्रदूषण मुक्त परिवहन को प्रोत्साहित करने के लिये शहर में 8 हजार 841 ई-रिक्शे चल रहे हैं। प्रदूषण नियंत्रित करके ग्वालियर को स्वच्छ शहर बनाने का प्रयास किया जा रहा है।