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चल नीरव लन्दन में…

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ललित मोदी और विजय माल्या तो पहले ही ब्रिटेन में हैं और अब गिरफ्तारी से बचने के लिए पीएनबी घोटाले का मुख्य आरोपी नीरव मोदी भी ब्रिटेन पहुंच गया है। भारत के दौरे पर आए ब्रिटिश प्रतिनिधिमंडल में शामिल अधिकारियों ने इसकी पुष्टि भी कर दी है। ब्रिटिश मीडिया कह रहा है कि नीरव मोदी के ब्रिटेन में राजनीतिक शरण मांगी है लेकिन मेहुल चौकसी के बारे में कोई जानकारी नहीं है। कभी कहा गया कि नीरव मोदी अमेरिका में है, कभी कहा गया कि वह बेल्जियम में है, कभी कहा गया कि वह सिंगापुर में है लेकिन अन्ततः वह भी लन्दन पहुंच गया। वैसे आर्थिक अपराधियों के प्रत्यर्पण के मामले में ब्रिटेन की लम्बी कानूनी प्रक्रिया को देखते हुए नीरव मोदी के जल्द वापस आने की सम्भावना कम है। भारत के प्रत्यर्पण के अनुुरोध को नीरव मोदी अदालत में चुनौती देगा ही। विजय माल्या और इससे पहले ललित मोदी आैर वार रूम लीक घोटाले के आरोपी रवि शंकरन के खिलाफ ब्रिटेन में लम्बे समय से प्रत्यर्पण मामला चल रहा है। रवि शंकरन के खिलाफ प्रत्यर्पण का केस तो 12 वर्षों से चल रहा है लेकिन इसमें अभी तक सीबीआई को कोई सफलता नहीं मिली है।

वर्षों से ये मामले विभिन्न अदालतों में चल रहे हैं। नीरव मोदी और मेहुल चौकसी के खिलाफ पीएनबी से 13 हजार करोड़ से अधिक के घोटाले के आरोप में सीबीआई और ईडी चार्जशीट दायर कर चुकी हैं। सीबीआई ने इंटरपोल से सम्पर्क साधा है और मोदी के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी कराने की पूरी तैयारी कर ली है। सवाल यह है कि ललित मोदी, विजय माल्या, रवि शंकरन, नीरव मोदी आैर मेहुल चौकसी को घोटालेबाज किसने बनाया? आम आदमी तो विजय माल्या या नीरव मोदी हो नहीं सकते। इन्हें बनाने वाले भी भ्रष्ट नौकरशाह, बैंकों में उच्च पदों पर बैठे लोग और आकंठ भ्रष्टाचार में डूबे सिस्टम ने उन्हें घोटालेबाज बनाया। राज्यसभा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कुछ दिन पहले ट्वीट कर कुछ नौकरशाहों पर निशाना साधा था और आरोप लगाया था कि इन नौकरशाहों ने नीरव मोदी को बचाया है। स्वामी ने यह भी लिखा था कि ‘‘हमारे वरिष्ठ अफसरों ने अपने लिए नीरव मोदी से सोने के बिस्कुट लिए थे। उन्होंने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर ऐसे अफसरों पर भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम की धाराओं के तहत मुकद्दमा चलाने की मंजूरी भी मांगी थी। नीरव मोदी के ठिकाने पर राजस्व खुफिया विभाग ने 14 जनवरी 17 को छापा भी मारा लेकिन इन अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की और नीरव मोदी विदेश भाग गया।स्पष्ट है कि दाल में कुछ काला जरूर है।

आम आदमी, किसान या छोटे-मोटे कर्जदारों के कर्ज न चुका पाने की स्थिति में बैंक उसकी सम्पत्ति जब्त करके अपनी रकम वसूलते हैं लेकिन बड़े-बड़े पूंजीपतियों को बैंक से कर्ज लेने आैर उसे नहीं चुकाने के बावजूद नए कर्ज दिए जाते हैं। विजय माल्या को भी बैंकों ने कर्ज दिया था और वह ऋण लेकर घी पीता गया और फिर भाग लिया। हैरानी की बात तो यह है कि पीएनबी जैसे बड़े बैंक से बिना किसी गारंटी के गैरकानूनी तरीके से बिना बैंक के सॉफ्टवेयर में एंट्री किए लेटर ऑफ अंडरटेकिंग जारी होते रहे और 7 साल पीएनबी के किसी भी अधिकारी या आरबीआई को पता ही नहीं चला कि क्या हो रहा है। हर साल बैंकों का ऑडिट भारी-भरकम सीए की टीमें करती हैं फिर भी फर्जीवाड़े का पता ही नहीं चला। किसी ने इस बात पर गौर ही नहीं किया कि हर साल बैंक से इतनी बड़ी रकम जा तो रही है लेकिन वापस नहीं आ रही है। अगर कोई कर्ज दो साल या इससे अधिक समय से नहीं चुकाया जा रहा तो बैंक के आॅडिटर्स को जानकारी दे दी जाती है मगर नीरव मोदी के मामले में ऐसा नहीं हुआ।

किसी भी विजीलेंस अधिकारी को 7 सालों तक कोई गड़बड़ दिखाई क्यों नहीं दी? घोटाला सामने आने के कुछ दिन पहले ही नीरव मोदी को पूरी जानकारी मिल चुकी थी इसलिए वह और उसके परिवार वाले एक-एक करके देश से बाहर निकलते गए। ऐसा पीएनबी के अधिकारियों की मिलीभगत से ही होता है। भ्रष्ट तत्वों ने पूरे बैंकिंग तंत्र को ही नाकारा बना दिया है। सब कायदे-कानून धरे के धरे रह गए। आज तक बैंकों समेत जितने भी देश में घोटाले हुए उनको एक सूत्र में पिरोया जाए तो महाग्रंथ की रचना हो सकती है। कितनी जांचें हुईं, कितनी ही समितियां बनीं, कितने नेताओं को सजा हुई, कितने साफ बच गए। जब तक सिस्टम को पुख्ता नहीं बनाया जाता तब तक देश के राजस्व को चूना लगाया जाता रहेगा। आज नीरव मोदी है, कल कोई और घोटालेबाज सामने आएगा। मीडिया शोर मचाएगा, जांच एजैंसियां इंटरपोल से सम्पर्क करेंगी, हाथ-पांव मारेंगी, विदेशों में मुकद्दमों पर खर्च करेंगी लेकिन नुक्सान हो चुका होगा क्योंकि व्यवस्था ही विफल है।

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