केरल सरकार ने शुक्रवार को कहा कि सबरीमला में भगवान अयप्पा मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने से संबंधित उच्चतम न्यायालय के 28 सितंबर के फैसले को लागू करने की समयसीमा बढ़ाने की त्रावणकोर देवस्वओम बोर्ड (टीडीबी) की अर्जी की अब कोई प्रासंगिकता नहीं है। देवस्वओम मंत्री कडकमपल्ली सुरेंद्रन ने कहा कि (शीर्ष अदालत में) यह अर्जी दो महीने के सबरीमला तीर्थाटना सीजन के दौरान दायर की गयी थी क्योंकि बड़ी संख्या में महिला श्रद्धालुओं के वहां पहुंचने के लिए वहां बहुत ज्यादा मूलभूत सुविधाएं नहीं थीं। उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि अब तीर्थाटन सीजन खत्म हो गया है, ऐसे में ऐसी अर्जी की अब कोई प्रासंगिकता नहीं है।’’ मंत्री ने दावा किया, ‘‘इस बात को मत भूलिए कि टीडीबी ने उच्चतम न्यायालय का फैसला स्वीकार कर लिया है।’’ वह बोर्ड द्वारा अपना रुख बदल लेने का हवाला दे रहे थे।
शीर्ष अदालत उसके फैसले की समीक्षा की मांग संबंधी अर्जियों पर जब बुधवार को सुनवाई कर रही थी तब बोर्ड अपने रुख से पलट गया था। सुरेंद्रन ने कहा कि बोर्ड ने बुधवार को समीक्षा अर्जियों पर सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुरुप रुख अपनाया था। मुकदमे के पिछले दौर के दौरान टीडीबी ने इंडियन यंग लायर्स एसोसिएशन द्वारा इस मंदिर को सभी महिलाओं के लिए खोलने की मांग करते हुए दायर की गयी जनहित याचिका का विरोध किया था।
लेकिन बुधवार को उसने शीर्ष अदालत के आदेश का समर्थन किया, इसतरह वह उच्चतम न्यायालय के फैसले की समीक्षा की मांग संबंधी अर्जियों का विरोध कर रही केरल सरकार के पाले में आ गया था। मंत्री ने बुधवार को शीर्ष अदालत में बोर्ड द्वारा अपनाये गये रुख को लेकर टीडीबी अध्यक्ष ए पद्मकुमार और देवस्वओम आयुक्त ए वासु के बीच मतभेदों को मीडिया की उपज करार दिया। एक दिन पहले ही टीडीबी में तब एक नया विवाद उत्पन्न हो गया जब उसके अध्यक्ष ए पद्मकुमार ने उच्चतम न्यायालय के फैसले पर बोर्ड के रुख में परिवर्तन करने पर देवस्वओम आयुक्त से स्पष्टीकरण मांग लिया।
पद्मकुमार ने बृहस्पतिवार को कहा था कि बार्ड ने वाकई एक अर्जी दायर कर 28 सितंबर के उसके आदेश को लागू करने के लिए समयसीमा बढ़ाने की मांग की थी। हालांकि पद्मकुमार ने शुक्रवार को कहा कि वह केरल सरकार के साथ हैं और उनकी इस्तीफा देने की कोई योजना नहीं है। उन्होंने इन खबरों का भी खंडन किया कि उन्होंने बोर्ड के रुख को बदलने को लेकर वासु से कोई स्पष्टीकरण मांगा है। उन्होंने कहा कि टीडीबी सरकार के साथ खड़ा है जो सबरीमला, अन्य मंदिरों और बोर्ड की सुरक्षा करती है। पद्मकुमार का यह बयान अहम है क्योंकि उन्होंने अयप्पा मंदिर में माहवारी उम्र की महिलाओं के प्रवेश का पहले विरोध किया था। यह रुख माकपा की अगुवाई वाली वाम लोकतांत्रिक मोर्च सरकार और बोर्ड के अन्य सदस्यों के रुख से भिन्न था।