लुधियाना-अमृतसर: सरबत खालसा के जत्थेदारों की ओर से सुनाई धार्मिक सजा श्री हरिमंदिर साहिब के बाहर गुरुद्वारा घल्लूघारा के पूर्व अध्यक्ष मास्टर जौहर सिंह ने आज भुगत ली है। सरबत खलासा के जत्थेदारों ने यह सेवा हरिमंदिर साहिब के बाहर हरिमंदिर साहिब के घंटाघर वाले गेट के पास ही सुनाई थी। जौहर सिंह को एसजीपीसी ने हरिमंदिर साहिब के अंदर दाखिल होकर सजा को पूरा नहीं करने दिया, तो मास्टर जौहर सिंह ने यह सेवा घंटाघर के पास ही हर रोत तीन घंटे करते हुए शनिवार को पूरी कर ली है। बातचीत करते हुए मास्टर जौहर सिंह ने कहा कि उन्होंने सरबत खालसा के जत्थेदारों की ओर से लगाई गई सेवा एसजीपीसी की रूकाटवों का सामना करते हुए सात दिनों तक पूरी कर ली है और रविवार को गुरूद्वारा छोटा घल्लूघारा में जा कर उन्होंने श्री गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ भी रखवाएं है। 24 अक्टूबर को पाठ का भोग डलवा कर 5100 रूपये गुरू की गोलक में डाल क्षमा की अरदास करेंगे और इस की जानकारी सरबत खालसा के जत्थेदारों को देंगे।
मास्टर जौहर सिंह ने कहा कि एसजीपीसी उसे लगी धार्मिक सजा भुगतने में रूकावटें खड़ी करती रही है। जिस कारण वे मानसिक रूप में अशांत है। उन्होंने कहा कि वे एसजीपीसी की गुंडागर्दी से डरते नहीं है। वे गुरू पर विश्वास रखने वाले श्रद्धावान सिख है। श्री हरिमंदिर साहिब और श्री अकाल तख्त साहिब के प्रति वे समर्पित सिख है। वे 12 अक्टूबर को श्री अकाल तख्त साहिब पर सरबत खालसा के जत्थेदारों के समक्ष पेश हुए थे। अगर उनके साथ एसजीपीसी की टास्क फोर्स गुंडीगर्दी के साथ 12 अक्टूबर को पेश न आती तो हो सकता था कि वे 13 अक्तूबर को पांच साहिब साहिबान के समक्ष भी पेश हो जाते। एसजीपीसी के कर्मचारियों और एसजीपीसी की टास्क फोर्स की धक्काशाही के कारण उनके मन को गहरी ठेस पहुंची है।
यह धक्काशाही एसजीपीसी की उनकी सात दिनों की सेवा तक लगातार जारी रही। उसे सेवा करने के लिए श्री हरिमंदिर साहिब के अंदर नहीं जाने दिया गया। वे परिक्रम के बाहर ही गेट के बार घंटाघर चौंक में बैठ कर हर रोज एक घंटा कीर्तन श्रवण करते है। एक घंटा सफाई करते है। घंटा घर में लगी शबील से बर्तन साफ करते है। पहले दिन उन्होंने जोड़ा घर के बाहर जोड़े साफ किए थे। परंतु उसी दिन उसे एक घंटा सेवा पूरी नहीं करने दी। उसे एसजीपीसी की टास्क फोर्स ने जोड़े साफ करने की भी सेवा नहीं करने दी। जौहर सिंह ने बताया कि उसने इस की जानकारी सिंह साहिब भाई ध्यान सिंह मंड को दी थी। जिन्होंने उसे आदेश दिया है कि वे श्री हरिमंदिर साहिब के बाहर बैठ कर ही सेवा करें। एसजीपीसी के कर्मचारियों की धक्कशाही इतनी बढ़ गई है कि उसे हरिमंदिर साहिब परिसर के बाहर भी सेवा करने में रूकावटें खड़ी की जाती रही।