सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण पर कड़ा रुख अपनाते हुए केंद्र और दिल्ली सरकार को फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा है कि हर साल दिल्ली घुट रही है और हम कुछ नहीं कर पा रहे हैं। हर साल ऐसा होता है और कुछ दिनों तक जारी रहता है। सभ्य देशों में ऐसा नहीं होता है। जीवन का अधिकार सबसे महत्वपूर्ण है।
पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पराली जलाने को गंभीरता से लेते हुए कोर्ट ने कहा कि हर साल ऐसे नहीं चल सकता। न्याय मित्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि केंद्र के हलफनामे के अनुसार पराली जलाने के मामले में पंजाब में सात प्रतिशत वृद्धि हुई है जबकि हरियाणा में इसमें 17 प्रतिशत की कमी आई है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि लोगों को जीने का अधिकार है, एक पराली जलाता है और दूसरे के जीने के अधिकार का उल्लंघन करता है। जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच ने इस मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि केंद्र सरकार करे या फिर राज्य सरकार, इससे हमें मतलब नहीं है।
दिल्ली सरकार की ऑड-ईवन स्कीम पर सवाल उठाते हुए कोर्ट ने कहा, कारें कम प्रदूषण पैदा करती हैं। इस ऑड-ईवन से आपको क्या मिल रहा है? लोगों को दिल्ली नहीं आने, या दिल्ली छोड़ने की सलाह दी जा रही है। इन सबके लिए राज्य सरकारें जिम्मेदार हैं। लोग अपने और पड़ोसी राज्यों में मर रहे हैं। इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे। हम हर चीज का मजाक बना रहे हैं।’
वायु प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘स्थिति गंभीर है केंद्र और दिल्ली सरकार के रूप में आप क्या करना चाहते हैं? इस प्रदूषण को कम करने के लिए आप क्या इरादा रखते हैं?’ कोई भी कमरा इस शहर में रहने के लिए सुरक्षित नहीं है, यहां तक कि घरों में भी। हम इसके कारण अपने जीवन के बहुमूल्य वर्ष खो रहे हैं। ”सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा से भी कहा है कि वे पराली जलाना कम करें।