कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया को चपेट में ले रखा है। भारत में वायरस से संक्रमित होने वालों की संख्या और जान गंवाने वालों का आंकड़ा भी तेजी से बढ़ रहा है। अस्पतालों का चिकित्सा ढांचा चरमर्रा चुका है। एक-एक आक्सीजन सिलैंडर के लिए मारामारी हो रही है। दवाइयां कैमिस्ट शापों से नदारद हैं। मरीजों के परिजन एक दुकान से लेकर दर्जन भर दुकानों पर अपने जूते घिसाते फिर रहे हैं। एक ही तंत्र जो कारगर तरीके से काम कर रहा है वह है कोरोना योद्धाओं का तंत्र। कोरोना के फ्रंट लाइन वारियर डाक्टर, नर्सें, पैरा मेडिकल स्टाफ, पुलिस अधिकारी, कर्मचारी हर दिन अपनी जान हथेली पर रखकर इस वायरस से लड़ रहे हैं। कुछ ने तो अपने कर्त्तव्यों का पालन करते हुए इस युद्ध में अपनी जान तक न्यौछावर कर दी है। एम्बुलैंस कर्मचारी भी दिन-रात अपनी ड्यूटी कर लोगों को कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाने में जुटे हैं। इस वैश्विक महामारी ने जिन्दगी के मायने समझा दिये हैं। अपनों को खोने का दुख उन परिवारों से बेहतर कौन बता सकता है जिनका कोई सदस्य इस महामारी में चला गया। पिछले वर्ष हमने कोरोना के खिलाफ जिन्दगी दांव पर लगाने वाले सभी वारियर्स को सम्मान दिया था। सेना के मिलिट्री बैंड ने सभी जिलों के अस्पतालों में परफार्म किया था। वायुसेना के विमानों ने फ्लाईपास किया। इसके अलावा उसके हैलीकाप्टरों ने अस्पतालों में फूलों की वर्षा की थी तो उधर नौसेना ने अपने युद्धपोतों को सजा दिया था। आज भी कोरोना योद्धा 24 घंटे काम करते हैं। ड्यूटी खत्म करने के बाद भी अपने घर से अलग रहते हैं और अगर घर जाते भी हैं तो परिवार से अलग रहते हैं। डाक्टर होे या नर्सें या फिर अन्य नॉन मेडिकल स्टाफ 42 डिग्री सेल्सियस में पीपीई किट पहन कर 12-12 घंटे काम करना आसान नहीं है।
इस चिलचिलाती धूप में जब आम इंसान एक मिनट भी प्यासा नहीं रह सकता, ऐसे समय में ड्यूटी करना कितना मुश्किल है। कोरोना के योद्धा पुलिस अधिकारियों और कर्मियों के रूप में दिन-रात नाकों पर खड़े हैं। अस्पतालों की व्यवस्था को मैनेज करने में भी उन्हें काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। कोरोना योद्धाओं का जज्बा वाकई काबिले तारीफ है।
उन सफाई कर्मियों के जज्बे की भी तारीफ करनी पड़ेगी जो दिन-रात कचरा साफ करते हैं। लोग अभी भी जागरूक नहीं हुए हैं। लोग अपने मास्क सड़कों पर फैंक रहे हैं। पीपीई किट्स और दस्तावेज गलियों में फैंक रहे हैं। दिल्ली और एनसीआर में अस्पतालों से निकलने वाले कोरोना कचरे का निपटान करना अपने आप में चुनौती बन चुका है। धन्य हैं वो सफाई कर्मी, कूड़ा-कचरा ढाेने वाली गाड़ियों के ड्राइवर और सहयोगी कर्मचारी जो अपनी ड्यूटी फर्ज समझ कर निभा रहे हैं। एक तरफ देश है, जिम्मेदारी है आैर फर्ज है।
किसी भी जंग को जीतने में पूरी सेना का संयुक्त योगदान महत्वपूर्ण होता है। चाहे वह मैदान के मोर्चे पर हो या उसकी रणनीति बनाने में शामिल हो। वैश्विक महामारी कोरोना को हराने में जनता के योगदान को कोई नकार नहीं सकता। जनता काे भी सहयोग करना चाहिए तथा कोरोना कचरे को खुले में नहीं फैंकना चाहिए क्योंकि खुले में फैंका गया कचरा भी संक्रमण फैलाने का काम करता है। इस संक्रमण के खतरे को नियंत्रण करने में जुटे योद्धाओं की वजह से ही हम सोच सकते हैं कि हम और हमारा परिवार सुरक्षित है। यह तो कोरोना योद्धाओं का ही जज्बा है कि वह बिना किसी डर के लगातार अपना काम कर रहे हैं। महामारी के दौरान हर चीज एक चुनौती है जिससे वे आए दिन इससे निपटते हैं।
भारत में कई महीनों तक लाॅकडाउन जारी रहा और अभी भी कई जगह लाॅकडाउन जारी है। देश में 140 जिलों में फिर से लॉकडाउन लगाने के संबंध में सोचा जा रहा है। इस आपातकालीन समय में समाज और मरीजों के प्रति अपनी जिम्मेदारी पूरी करना सहज नहीं है। दिनभर पानी, बिजली, दूरसंचार और बैंकिंग सुविधा लॉकडाउन की विषम परिस्थितियों में बंद नहीं हुईं। यह इसलिए नहीं हुआ क्योंकि इससे जुड़े सारे कर्मचारियों ने बिना रुके एकजुट होकर काम किया। इस संकट की घड़ी में यह देश कोरोना वारियर्स को सलाम करता है। पंजाब केसरी भी इनके जज्बे को सलाम करता है। किसी ने खूब लिखा है।
‘‘हर सुबह शाम की दुआएं
हम आपके नाम करते हैं
कोरोना वारियर्स
हम आपको सलाम करते हैं
सेवा पथ पर, निरंतर तत्पर
कार्य अपना अंजाम देते हैं
कोरोना वारियर्स
हम आपको सलाम करते हैं।’’
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com