जामिया हिंसा मामला: 11 लोगों को बरी करने के खिलाफ दिल्ली पुलिस की याचिका पर HC कोर्ट में आज सुनवाई - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

जामिया हिंसा मामला: 11 लोगों को बरी करने के खिलाफ दिल्ली पुलिस की याचिका पर HC कोर्ट में आज सुनवाई

2019 के जामिया हिंसा मामले में शरजील इमाम, सफूरा जरगर और आसिफ इकबाल तन्हा सहित 11 आरोपियों को आरोप मुक्त करने के निचली अदालत के आदेश के खिलाफ पुलिस की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट मंगलवार को अपना फैसला सुना सकता है।

2019 के जामिया हिंसा मामले में शरजील इमाम, सफूरा जरगर और आसिफ इकबाल तन्हा सहित 11 आरोपियों को आरोप मुक्त करने के निचली अदालत के आदेश के खिलाफ पुलिस की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट मंगलवार को अपना फैसला सुना सकता है। न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने 23 मार्च को याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। दिसंबर 2019 में जामिया मिल्लिया इस्लामिया में पुलिस और सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प के बाद हिंसा भड़क उठी थी।
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कोर्ट ने 11 अभियुक्तों को किया था आरोप मुक्त
पिछली सुनवाई के दौरान, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन दिल्ली पुलिस की ओर से पेश हुए, जबकि विभिन्न अधिवक्ताओं ने इमाम, तन्हा, जरगर, अबुजर, उमैर अहमद, मोहम्मद शोएब, महमूद अनवर, मोहम्मद कासिम, मोहम्मद बिलाल नदीम, शाहजर रजा खान और चंदा यादव का प्रतिनिधित्व किया। निचली अदालत ने 4 फरवरी को सभी 11 अभियुक्तों को आरोप मुक्त कर दिया था, 
कोर्ट ने जांच एजेंसी पर क्या टिप्पणियां की
मोहम्मद इलियास के खिलाफ गैरकानूनी असेंबली और दंगा करने के आरोप तय किए गए। 23 मार्च को न्यायमूर्ति शर्मा की पीठ के समक्ष, जैन ने तर्क दिया था कि ट्रायल कोर्ट (साकेत कोर्ट) ने जांच एजेंसी के खिलाफ अपमानजनक और गंभीर पूर्वाग्रहपूर्ण टिप्पणियां की और अपने अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन किया और कहा कि इसे रिकॉर्ड से हटा देना चाहिए।
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कोर्ट ने इस मामले में पुलिस को लगाई फटकार
कोर्ट ने कहा कि पुलिस वास्तविक अपराधियों को पकड़ने में नाकामयाब रही, और इन 11 आरोपियों को बलि का बकरा बनाया। बेंच ने कहा था, निचली अदालत के न्यायाधीश ने कहा है कि आप अदालत में साबित करने के लिए कोई दस्तावेज नहीं ला पाए कि ये व्यक्ति उस भीड़ का हिस्सा थे जिसने अपराध किया था। उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि जब इतने लोग थे तो आपने कुछ को ही क्यों उठाया?
शरजील इमाम के खिलाफ चार्जशीट में नहीं मिले थे कोई सबूत
प्रतिवादी अनवर, रजा खान, कासिम और उमैर अहमद की ओर से पेश अधिवक्ता एम.आर. शमशाद ने कहा कि अभियुक्त केवल तमाशबीन थे और निचली अदालत ने उन्हें आरोपमुक्त करने का सही आदेश पारित किया था। छात्र कार्यकर्ता और जेएनयू के पूर्व छात्र शरजील इमाम की ओर से, अधिवक्ता तालिब मुस्तफा ने प्रस्तुत किया कि किसी भी चार्जशीट में इमाम के खिलाफ कोई वीडियो क्लिप या गवाह का एक भी बयान नहीं है। 
रेबेका जॉन ने पुलिस पर उठाए सवाल
जरगर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रेबेका जॉन ने पुलिस द्वारा उनकी पहचान के तरीके पर सवाल उठाया और कहा कि जिस व्यक्ति को एक वीडियो क्लिप से जरगर के रूप में पहचाना गया था, उसके पास फेस कवर था। अभियोजन पक्ष के पास कोई पुख्ता पुष्टि नहीं है कि यह वह था।

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