गृह मंत्रालय एक के बाद एक भारत विरोधी संगठनों और गैंगस्टरों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई कर रहा है। अब तक 55 व्यक्ति यूएपीए के तहत आतंकवादी घोषित किए जा चुके हैं। इसी कड़ी में कनाडा के ब्रम्पटन में रह रहे गैंगस्टर गोल्डी बराड़ उर्फ सतिंदरजीत सिंह को गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत आतंकवादी घोषित किया गया है। इससे पहले गृह मंत्रालय ने कनाडा में ही बसे लखविन्दर सिंह लांडा को आतंकवादी करार दिया था। गोल्डी बराड़ खालिस्तानी संगठन बब्बर इंटरनैशनल से जुड़ा हुआ है। गोल्डी बराड़ के पिता पंजाब पुलिस में इंस्पैक्टर रहे हैं। गोल्डी बराड़ कनाडा पढ़ने गया था लेकिन आतंकवादी बन गया। वह पंजाब में एक मॉडयूल के माध्यम से काम करता है और जेल में बंद लाॅरेंस बिश्नोई का करीबी सहयोगी है। गोल्डी बराड़ पर हत्या के प्रयास, जबरन वसूली और कई आपराधिक घटनाओं में शामिल होने का आरोप है। पंजाब के लोकप्रिय गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या में वह वांछित है।
सरकार का कहना है कि सीमा पार एजेंसी की ओर से समर्थन प्राप्त गोल्डी बराड़ कई हत्याओं में शामिल है और कट्टरपंथी विचारधारा रखने का दावा करता है। इसके अलावा वो भारत के राजनीतिक नेताओं को धमकी भरे कॉल करने, फिरौती मांगने और विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर हत्या के दावे संबंधी पोस्ट करने में भी शामिल है। गोल्डी बराड़ सीमा पार ड्रोन के जरिये हाई ग्रेड हथियारों, गोला-बारूद और विस्फोटकों की तस्करी और हत्याओं को अंजाम देने के लिए सप्लाई और शॉर्प शूटर मुहैया कराने में भी शामिल रहा है। गोल्डी बराड़ और उनके साथी पंजाब में बर्बरता, आतंक का माहौल बनाकर टारगेट किलिंग और कई अन्य राष्ट्र विरोधी गतिविधियां करके शांति भंग करने की साजिश रच रहे हैं। मई 2022 में अन्तर्राष्ट्रीय एजेंसी इंटरपोल ने गोल्डी बराड़ के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया था। दिसंबर 2022 में गोल्डी के खिलाफ गैर-जमानती वारंट और मई 2022 में लुक-आउट सर्कुलर जारी किया गया था।
गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर के तहरीक-ए-हुर्रियत और जम्मू-कश्मीर मुस्लिम लीग (मसर्रत आलम) पर भी बैन लगाया है। हुर्रियत कांफ्रैंस कभी कश्मीरी आवाम का प्रतिनिधित्व करने का दावा करती थी और खुद को कुल जमाती बताती थी। हुर्रियत कांफ्रैंस के दो गुटों में विभाजन के बाद एक गुट का प्रतिनिधित्व कट्टरपंथी अलगाववादी सैय्यद अली शाह गिलानी करने लगे। इस गुट को गर्मपंथी माना गया। जबकि नरमपंथी गुट का नेतृत्व मीर वाइज उम्र फारूख को मिला। कौन नहीं जानता कि हुर्रियत के इन नागों ने जम्मू-कश्मीर में कितना जहर फैलाया है। सैय्यद अली शाह गिलानी की मौत के बाद भी इस गुट ने साजिशें रचना नहीं छोड़ा। पूरा देश जानता है कि
-हुर्रियत के नेताओं ने स्कूली बच्चों से लेकर कालेज छात्रों तक के हाथ में पत्थर पकड़वाए और उन्हें सुरक्षा बलों पर पत्थर फैंकने के लिए दिहाड़ीदार मजदूर बना डाला।
-हुर्रियत नेताओं ने अपने बच्चे पढ़ने के लिए विदेश भेजे या फिर उनका दाखिला दिल्ली या अन्य शहरों के नामी-गिरामी स्कूलों में करवाया आैर कश्मीरी बच्चों के लिए स्कूल जला डाले।
-हुर्रियत नेताओं ने पाकिस्तान और अन्य अरब देशों से मिले धन का इस्तेमाल कश्मीर में आतंकवादी पैदा करने के लिए किया और खुद भी देश-विदेेश में करोड़ों की सम्पत्तियां बना डालीं।
-कुछ नेताओं ने तो होटल भी बनाए। लंदन और अन्य देशों में आलीशान बंगले भी खड़े किए। अपने परिवारों को विदेशों में सुरक्षित रखा और कश्मीरी युवाओं को आतंकवादी बनाकर उन्हें मरने के लिए मजबूर किया।
-पूर्व की सरकारों ने इन्हें सुरक्षा दी हुई थी और कई सालों तक हुर्रियत के इन नागों को दूध पिलाया जाता रहा है और यह सभी जहर उगलते रहे।
2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद हुर्रियत नेताओं की सुरक्षा छीनी गई और हुर्रियत नेताओं के चेहरे से नकाब हटाए गए। जो काम गृह मंत्रालय ने िकया वह तो बहुत पहले ही हो जाना चाहिए था। मोदी सरकार आतंकवाद के िखलाफ जीरो टॉलरैंस की नीति अपना रही है। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद राज्य में आतंकवाद की घटनाओं में काफी कमी आ चुकी है। गृहमंत्री अमित शाह ने दो टूक कहा है कि अगर कोई संगठन या व्यक्ति भारत विरोधी गितविधि में लिप्त पाया जाएगा तो उनके खिलाफ कड़े कदम उठाए जाएंगे।
पंजाब में खालिस्तानी आंदोलन को पुनर्जीवित करने की कोशिशों में लगे तत्वों पर भी शिकंजा कसना जरूरी है। खासतौर पर ऐसे लोगों पर कार्रवाई होनी ही चाहिए जो विदेशों में बैठकर अपराधों को अंजाम दे रहे हैं। आतंकवादी देश विरोधी संगठनों पर या विदेशों में बैठे गैंगस्टरों पर प्रतिबंध लगाना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि इन्हें भारत लाकर दंडित करने के भी प्रयास होने चाहिए। देश की एकता, अखंडता और सम्प्रभुता को चुनौती देने वाले तत्वों के साथ सख्ती से निपटना समय की जरूरत है और इस तरह की चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार को आसाधारण शक्तियों का इस्तेमाल करना भी पड़े तो किया जाना चाहिए।
आदित्य नारायण चोपड़ा
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