हाल ही के वर्षों में हरियाणा राज्य उच्च शिक्षा के लिए एक प्रमुख केन्द्र के रूप में उभरा है। शिक्षा विकास की कुंजी है। शिक्षा के अभाव में कोई भी समाज न विकसित हुआ है, न हो सकता है। कोई दौर था जब लड़कियों को शिक्षा से दूर रखा जाता था। शिक्षा के अभाव में महिलाओं का जीवन केवल परिवार तक सीमित हो चुका था लेकिन आज सामाजिक परिवर्तन के चलते लड़कियों की शिक्षा के क्षेत्र में प्रगति पर बहुत ध्यान दिया जा रहा है। शिक्षा के क्षेत्र में आरक्षण ने भले ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हो लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों को मुफ्त में शिक्षा देने की मांग हमेशा से ही उठती रही है। आज यह भी महसूस किया जा रहा है कि आरक्षण का आधार सामाजिक न होकर आर्थिक होना चाहिए। राज्य सरकारें लड़कियों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए मदद की अनेक योजनाएं चला रही है। अक्सर देखा गया है कि आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों की बेटियां पैसों की कमी की वजह से पढ़ नहीं पातीं और वह हाईस्कूल के बाद अपनी पढ़ाई को बीच में ही छोड़ देती हैं।
हरियाणा की मनोहर लाल सरकार ने अब आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों की बेटियों की पढ़ाई के लिए एक जबरदस्त पहल कर दी है। उन्होंने यह भी घोषणा की है कि जिन परिवारों की वार्षिक आय 180,000 से 3 लाख तक है उनकी बेटियों की कालेज एजुकेशन की आधी फीस का भुगतान सरकार करेगी। इससे पहले मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने वर्ष 2021 में राज्य सरकार की महत्वकांक्षी परिवार पहचान पत्र योजना के तहत उन लोगों के लिए मुफ्त शिक्षा की घोषणा की थी जिसकी सत्यापित पारिवारिक आय 1.80 लाख रुपए प्रति वर्ष से कम थी। हरियाणा सरकार ने लड़कियों की उच्च शिक्षा ऋण योजना पहले ही लागू की हुई है। इस योजना के माध्यम से लड़कियां अपनी आगे की पढ़ाई के लिए ऋण ले सकती हैं। हरियाणा सरकार इस ऋण पर सब्सिडी भी देती है। उच्च शिक्षा के लिए ऋण लेने वाली छात्राओं का 5 प्रतिशत ब्याज माफ कर दिया जाता है। इतना ही नहीं हरियाणा सरकार में कार्यरत सरकारी कर्मचारियों की लड़कियां जो देश और विदेश में उच्च शिक्षा ग्रहण कर रही हैं वह भी इस योजना के लाभ की पात्र हैं। बालिकाओं के प्रति सामाजिक रवैये में बदलाव लाने और उनके उत्थान के लिए हरियाणा सरकार ने कई योजनाएं चलाई हुई हैं।
लाडली योजना भी हरियाणा सरकार की एक महत्वकांक्षी योजना है। लाडली योजना का मकसद राज्य में बेटियों के जन्म को प्रोत्साहित करना है। लाडली योजना का लाभ वह माता-पिता उठा सकते हैं जिसकी दो बेटियां हैं। इस योजना के तहत 20 अगस्त, 2005 को या उसके बाद जन्मी बेटी और माता के नाम पर 5000 रुपए की वित्तीय सहायता किसान विकास पत्रों के जरिये हर वर्ष निवेश की जाती है आैर बेटी की उम्र 18 साल होने के बाद संचित राशि जारी कर दी जाती है। केन्द्र और राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के चलते बेटियों के सपने साकार हो रहे हैं। वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हरियाणा के पानीपत शहर में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना का आरम्भ किया था। इस योजना का मुख्य उद्देेश्य लिंग पक्षपातपूर्ण जैसी सामाजिक कुरीतियों से बेटियों को बचाना है। मनोहर लाल सरकार ने इस योजना पर काफी जोर दिया। जिसके चलते हरियाणा में लिंग अनुपात में काफी सुधार आया है। हरियाणा में राज्य के 10 जिलों में जन्म के समय स्थिति में सुधार हुआ है लेकिन 12 जिलों में लिंग अनुपात गड़बड़ाया भी है। फिर भी कन्या भ्रूण की हत्याएं काफी हद तक बंद हो चुकी हैं। जैसे-जैसे शिक्षा का ढांचा मजबूत हो रहा है। त्यों-त्यों सामाजिक स्थिति में काफी परिवर्तन आ चुका है। आज हरियाणा में आठ केन्द्रीय विश्वविद्यालय, 22 राज्य विश्वविद्यालय और प्राइवेट संस्थानों को मिलाकर कम से कम 61 विश्वविद्यालय हैं। हरियाणा को शिक्षा का पावर हाऊस बनाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। शिक्षा पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के लिएलगातार प्रयास किए जा रहे हैं। उच्च शिक्षा के संस्थानों में अब लड़कियों का लड़कों की तुलना में अनुपात काफी अच्छा हो रहा है। अगर लड़कियों को इस तरह के प्रोत्साहन दिए जाए तो सही अर्थों में उनका सशक्तिकरण हो सकता है। हरियाणा की छोिरयां कुश्ती, बॉक्सिंग और अन्य खेलों में देश का गौरव बढ़ा रही हैं।
लाडली योजना हरियाणा सरकार द्वारा समाज में बालिकाओं की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए चलाई गई है। यह योजना कन्या भ्रूण हत्या सहित सामाजिक कुरीतियों को समाप्त करने की दिशा में एक ठोस कदम है। हरियाणा में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए वर्तमान मनोहर लाल सरकार कितनी गम्भीर है इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि अब हरियाणा के हर गांव में पढ़ी-लिखी सरपंच व पंच हैं।
आदित्य नारायण चोपड़ा
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