Chaitra Navratri 2024: 9 अप्रैल 2024 से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है। आज नवरात्रि का आठवां दिन है जो देवी महागौरी को समर्पित है। मां महागौरी की पूजा पुरे विधि-विधान के साथ करनी चाहिए। आज के दिन मां दुर्गा के इस रूप की पूजा करने से सुख, समृद्धि, आयु और यश की प्राप्ति होती है। माँ का ध्यान करने से सभी भक्तों का कल्याण होता है। इनकी पूजा करने से भक्तों को आलौकिक सिद्धियां मिल सकती हैं। सभी कष्टों और दुखों को दूर करने वाली देवी महागौरी की आराधना करने से व्यक्ति के बिगड़े कार्य भी सफल हो जाते हैं। इनका ध्यान करने से असत्य के मार्ग पर चलने वाला व्यक्ति भी सत्य के मार्ग पर चलने लगता है। माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों में से महागौरी का रूप अन्नपूर्णा माना जाता है इसलिए अष्टमी वाले दिन 8 कन्याओं को बुला कर उन्हें भोजन आदि कराने का भी बड़ा महत्व माना गया है। पुरे देश में अष्टमी पर भंडारे आदि भी होते हैं। देवी महागौरी को धन, वैभव और सुख-शांति प्रदान करने वाली कहा जाता है।
देवी महागौरी का स्वरूप
देवी महागौरी का वर्ण पूरी तरह से गौर है इसलिए देवी को महागौरी कह कर सम्बोधित किया जाता है। महागौरी की गौरता की उपमा शंख, चंद्र और कुंद के फूल से होती है। इसके साथ ही देवी महागौरी की आयु कुल 8 वर्ष की मानी जाती है। माता के वस्त्रों और आभूषणों को श्वेत रंग का दर्शाया जाता है। देवी माहागौरी की सवारी वृषभ है उनकी चार भुजाएं हैं उन्होंने ऊपर वाले दाहिने हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले दाहिने हाथ में त्रिशूल पकड़ा हुआ है। इसके अलावा उन्होंने ऊपर के बाएं हाथ में डमरू और नीचे वाले बाएं हाथ में वर मुद्रा पकड़ी है। मां की मुद्रा एकदम शांत है जो व्यक्ति का ध्यान अपनी तरफ खींचती है। देवीभागवत पुराण के मुताबिक, देवी महागौरी को श्वेतांबरधरा भी कहा जाता है उन्होंने अपने कठोर तप से गौर वर्ण को पाया था। देवी महागौरी का स्वरुप उज्जवल, कोमल, श्वेतवर्ण और श्वेत वस्त्रधारी दर्शाये जाते हैं।
मां महागौरी पूजा विधि
- माँ कात्यायनी को प्रसन्न करने के लिए अष्टमी तिथि के दिन सुबह सूरज के उगने से पहले उठें और स्नान आदि कर सूरज को जल अर्पित करें।
- इसके पश्चात झाड़ू आदि करें और मंदिर वाली जगह पर सफाई करें। सफाई के बाद माता की चौकी स्थापित करें ध्यान रहे कि माँ की मूर्ति ईशान कोण में रहे।
- चौकी पर लाल रंग का कपडा लगाएं और और पूजा में गंगाजल से शुद्धि करें। देवी की मूर्ति के आगे घी का दीपक प्रज्वलित करें और विधि विधान से पूजा शुरू करें।
- इस दिन मां को सफेद पुष्प अर्पित करें, मां की वंदना मंत्र का उच्चारण करें देवी कात्यायनी को हलवा बहुत प्रिय है उन्हें हलवा का भोग लगाएं। साथ ही देवी को पूरी, सब्जी, काले चने और नारियल का भोग अर्पित करें। माता को फल और मिठाई का भोग अर्पित करें। दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ भी करें।
- इसके पश्चात देवी महागौरी के मंत्रों का जाप करें और पूजा के अंत में देवी की आरती गायें। सभी को प्रसाद अर्पित करें।
- मां महागौरी को अत्यधिक प्रसन्न करने के लिए अगर आपके घर अष्टमी पूजी जाती है तो आप पूजा के बाद 8 या 9 कन्याओं को अवश्य ही भोजन कराएं उन्हें उपहार स्वरूप कोई चीज भी दें इससे मां दुर्गा की आप पर विशेष कृपा होगी।
देवी महागौरी आरती
जय महागौरी जगत की माया ।
जय उमा भवानी जय महामाया ॥
हरिद्वार कनखल के पासा ।
महागौरी तेरा वहा निवास ॥
चंदेर्काली और ममता अम्बे
जय शक्ति जय जय मां जगदम्बे ॥
भीमा देवी विमला माता कोशकी देवी जग विखियाता ॥
हिमाचल के घर गोरी रूप तेरा
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा ॥ सती ‘सत’ हवं कुंड मै था जलाया उसी धुएं ने रूप काली बनाया ॥
बना धर्म सिंह जो सवारी मै आया
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया ॥
तभी मां ने महागौरी नाम पाया शरण आने वाले का संकट मिटाया ॥
शनिवार को तेरी पूजा जो करता माँ बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता ॥
‘चमन’ बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो
महागौरी माँ तेरी हरदम ही जय हो ॥
देवी महागौरी मन्त्र
- श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥ - या देवी सर्वभूतेषु माँ महागौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ - श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम
देवी महागौरी ध्यान मंत्र
वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्। सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा महागौरी यशस्वनीम्॥
पूर्णन्दु निभां गौरी सोमचक्रस्थितां अष्टमं महागौरी त्रिनेत्राम्।
वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर किंकिणी रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वंदना पल्ल्वाधरां कातं कपोलां त्रैलोक्य मोहनम्।
कमनीया लावण्यां मृणांल चंदनगंधलिप्ताम्॥
स्तोत्र पाठ सर्वसंकट हंत्री त्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।
ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥
सुख शान्तिदात्री धन धान्य प्रदीयनीम्।
डमरूवाद्य प्रिया अद्या महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥
त्रैलोक्यमंगल त्वंहि तापत्रय हारिणीम्।
वददं चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥
देवी महागौरी कथा
माँ दुर्गा के आठवें स्वरूप देवी महागौरी की कथा के मुताबिक, सती रूप में भगवान महादेव से विवाह करने के पश्चात अपने पिता के घर हवन कुंड में खुद को नष्ट करने की बाद देवी सती ने पार्वती बनकर एक बार फिर से जन्म लिया। उनके जन्म के बाद वह भगवान शिव को अपने पति रूप में पाने के लिए कठोर तप करने लगीं। उन्होंने हजारों वर्षों तक वनों में तपस्या की। तप करते समय देवी पार्वती निराहार रहीं जिस कारण से उनका शरीर बिल्कुल काला पड़ गया। बहुत वर्षों तक बिना अपनी परवाह किये देवी ने भगवान शिव की स्तुति की। देवी की इतनी कठोर तपस्या देख भगवान शिव उनसे प्रसन्न हो गए और देवी की इच्छा अनुसार उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। इसके बाद भगवान शिव ने देवी पार्वती के शरीर को गंगा के पवित्र जल में धोकर अत्यंत कांतिमय, गौरा एवं सुंदर बना दिया। जिससे माता का काला रंग गौर वर्ण की तरह हो गया। जिसके बाद से माँ पार्वती के इस रूप को महागौरी के नाम से जाना जाता है। देवी का यह रूप श्वेत रंग के कपड़ों और गहनों में ही दर्शाया जाता है।
ऐसे लगाएं देवी महागौरी को भोग
माँ दुर्गा के आठवें स्वरूप को अष्टमी तिथि पर नारियल या नारियल से बनी चीजों का भोग चढ़ाएं। माता को भोग लगाने के पश्चात नारियल को घर के सभी लोगों में प्रसाद स्वरूप बाटें और कुछ ब्राह्मण को अर्पित करें। इस दिन हलवा-पूड़ी, सब्जी और काले चने का प्रसाद बनाकर देवी को भोग लगाना चाहिए साथ ही कन्या पूजन करें। इस दिन कन्या पूजन करना बहुत अच्छा रहता है माता प्रसन्न होने पर मन चाहा आशीर्वाद प्रदान करती हैं। अष्टमी पर गुलाबी रंग के कपडे पहनना अति उत्तम माना गया है।