हत्या मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे स्वयंभू बाबा रामपाल को सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पैरोल देने से इंकार कर दिया। 2014 में हत्या के मामले में जेल में बंद रामपाल बुधवार को अपनी पौत्री की शादी में शामिल होने के लिए पैरोल चाहता था।
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंस से सुनवाई के बाद रामपाल की याचिका खारिज कर दी। हरियाणा के हिसार जिले के बरवाला थाने में 19 नवंबर, 2014 को दर्ज हत्या के मामले में रामपाल और उसके 13 अनुयायियों को कोर्ट ने 17 अक्टूबर, 2018 को उम्र कैद की सजा सुनाई थी।
कोर्ट ने इन सभी को हत्या, लोगों को गलत तरीके से बंधक बनाकर रखने और आपराधिक साजिश के अपराध का दोषी पाया था। रामपाल के इस आश्रम में 19 नवंबर, 2014 को एक महिला का शव बरामद हुआ था। रामपाल को उसी दिन हत्या और दूसरे आरोपों में गिरफ्तार किया गया था।
इंजीनियर से स्वयंभू बाबा बने रामपाल को 18 नवंबर, 2014 को चार महिलाओं और एक बच्चे की मृत्यु से संबंधित एक अन्य मामले में कोर्ट ने 16 अक्टूबर, 2018 को उम्र कैद की सजा सुनायी थी। पुलिस ने नवंबर, 2014 में रामपाल को गिरफ्तार किया था। उसके 15000 से ज्यादा अनुयायियों ने 12 एकड़ में फैले इस आश्रम को घेर लिया था।
इस दौरान हुयी हिंसा में पांच महिलाओं और एक बच्चे की मौत हो गयी थी। स्वयंभू बाबा बनने से पहले रामपाल हरियाणा सरकार में जूनियन इंजीनियर था लेकिन उसने मई 1995 में सरकारी नौकरी छोड़ दी। बाद में उसने हिसार के बरवाला और फिर रोहतक जिले में अपने आश्रम स्थापित किये। वह हरियाणा के गांव-गांव और जिले-जिले में घूम-घूमकर प्रवचन दिया करता था।