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खतरनाक बीमारी पार्किंसंस से मिलेगा छुटकारा, चूहों पर ट्रायल हुआ सफल

लाइलाज और खतरनाक बीमारी पार्किंसंस के मरीजों के लिए राहत की खबर है, दरअसल हाल ही में हुई एक वैज्ञानिक रिसर्च के अनुसार इस बीमारी के उपचार के लिए चूहों पर किया गया ट्रायल सफल हुआ है इसके बाद मनुष्यों पर इसके उपचार के लिए क्लिनिकल ट्रायल्स की शुरुआत हो चुकी है। कुमाऊं विश्वविद्यालय के प्रोफेसर दीवान सिंह रावत ने इस खतरनाक बीमारी का इलाज ढूढ़ने के लिए अपना 12 वर्षों का समय दिया है जो अब सफल माना जा रहा है उनके द्वारा खोजे गए एक अणु से न जानें कितने लोगों की उम्मीदें जुड़ी हैं। प्रसिद्ध वॉल स्ट्रीट जर्नल, ब्लूमबर्ग ने प्रो. रावत की इस सफलता को प्रमुख स्तर पर दिखाया है। प्रोफेसर दीवान सिंह रावत और अमेरिका के मैकलीन अस्पताल में प्रोफेसर किम के द्वारा ढूंढे गए इस अणु (एटीएम 399ए) के क्लिनिकल ट्रायल की शुरुआत अमेरिका में हो चुकी है।

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अगले 4 साल में आ सकती है दवाई

प्रो.दीवान के अनुसार चूहों पर परिक्षण सफल होने के बाद अब यह ट्रायल उन लोगों पर किये जा रहे हैं जो पूरी तरह स्वस्थ है ताकि आने वाले समय में वे इस बीमारी से पीड़ित न हो सकें। जब यह स्वस्थ लोगों पर भी सफल होगा तो लगभग 1 से डेढ़ साल बाद इस बीमारी से पीड़ित लोगों पर ट्रायल किया जायेगा। यदि वहां यह दवा सफल होती है तो इसके लगभग 4 साल बाद दवाई मार्किट में मिलने लगेगी।

क्या होती है पार्किंसंस की बीमारी

पार्किंसंस एक खतरनाक बीमारी है जिससे दुनिया भर में 1 करोड़ के आस-पास लोग पीड़ित हैं। यह दिमागी रूप से इंसान को कमजोर कर देती है, इसमें दिमाग इस तरह से प्रभावित होता है कि व्यक्ति अपने शरीर से अपना कंट्रोल तक खो देता है। यह समय के साथ-साथ बढ़ती है जिससे व्यक्ति को बैठने, चलने, खाने, पीने, खड़े होने, कोई काम करने, कुछ व्यक्त करने में परेशानी होने लगती है। इसके अलावा इस बीमारी में रोगी के हाथ-पैर बिना रूके हिलते भी रहते हैं। पार्किंसंस की इस बीमारी महिलाओं के मुकाबले पुरूषों को ज्यादा प्रभावित करती है। यह जवान और बच्चों में न के बराबर होती है, यह बूढ़ों लोगों को ज्यादा होती है।

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