Jyotish Upay: जानें वे कौन से योग है जो आपको विफलता देते हैं

जानें वे कौन से योग है जो आपको विफलता देते हैं

हम देखते हैं कि कुछ लोग जीवन में संघर्ष करते रहते हैं, और बार-बार असफल होते हैं। कुछ मामलों में तो ऋणग्रस्त भी हो जाते हैं। अपने जीवन में अनेक दफा व्यवसाय या नौकरी को बदलते हैं उसके बावजूद भी सफलता नहीं मिल पाती है। इस बात के जो ज्योतिषीय कारण अनुभव में आते हैं उनके आधार पर मैं कह सकता हूं कि किसी भी व्यक्ति के बिजनेस या नौकरी में फैल होने के अनेक कारण हो सकते हैं। किसी एक योग के कारण इस प्रकार की कोई धारणा नहीं बनानी चाहिए। मैंने ऐसी कुण्डलियां भी देखी है जिनमें बहुत से शक्तिशाली योग होने के बावजूद भी जातक मजदूर बना रहता है। इसलिए केवल प्रसिद्ध योगों के आधार पर ही किसी के भाग्यशाली या दुर्भाग्यग्रस्त कहना जल्दबाजी होगी। कुछ तथ्य पाठकों के लिए उपयोगी हो सकते हैं:-

कुंडली से संबंधित योग-

जब उदय लग्न, चन्द्र लग्न और सूर्य लग्न तीनों के स्वामी ग्रह बलहीन होकर 6-8-12 में चले जाएं तो जातक की ग्रहण करने की क्षमता नष्ट हो जाती है जिसके कारण जातक सफल नहीं होता है। पूर्ण केमद्रुम होने से भी जातक बिजनेस में असफल रहता है और जीवन में एक बार दिवालिया जरूर होता है। लेकिन नौकरी में सफल हो सकता है। जब अमावस्या के आसपास का जन्म हो और कर्क राशि 6-8-12 में चली जाए तो जातक व्यापार में कई बार नुकसान उठाता है। चतुर्थ भाव में मंगल दुर्भाग्य देता है और भटकाव पैदा करता है लेकिन कर्क और सिंह लग्न में ऐसा नहीं होगा। द्वितीयेश और लाभेश जब छट्ठे भाव में चले जाएं तो जातक के जीवन में संघर्ष बना रहेगा।

हस्तरेखाओं से संबंधित योग-

  • जब हथेली मध्य में गहरी हो तो जातक का जीवन संघर्षमय होगा।
  • शनि का क्षेत्र जब दबा हुआ हो और शुक्र मुद्रिका हो तो निश्चित रूप से व्यक्ति का जीवन आर्थिक तौर पर बहुत खराब होता है।
  • बृहस्पति की अंगुली में विकार होने से व्यक्ति मजदूर होता है।
  • अंगुलियों के नाखून जब बहुत ज्यादा उठे हुए हों तो जातक मानसिक रूप से कमजोर होने से बिजनेस नहीं कर पाता है।
  • जब सूर्य की रेखा लम्बी लेकिन पतली और क्षीण हो तो जातक को अपनी योग्यता को प्रदर्शित करने का समुचित अवसर नहीं मिल पाता है।

वास्तु से संबंधित योग-

जब पंच तत्त्वों का परस्पर सामंजस्य नहीं हो, अर्थात् जल के स्थान पर अग्नि या अग्नि के स्थान पर जल हो या पृथ्वी तत्त्व के स्थान पर वायु या जल हो तो ऐसे घर में कभी भी बरकत नहीं होगी। धन की कमी के कारण मांगलिक कार्य संपन्न नहीं होंगे। यदि मंदिर और घर की एक ही दीवार हो तो बिजनेस में नुकसान होगा। घर में ज्यादातर कक्षों के द्वार जब दक्षिण में खुलते हों तो गरीबी आती है। यदि भूखंड का ईशान कोण किसी प्रकार से कटा हुआ हो या वहां कोई दोष हो तो पुरखों की कमाई हुई संपत्ति भी नष्ट हो जाती है।

Astrologer Satyanarayan Jangid
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