असम : छात्र संगठनों ने की मांग, बोर्ड एग्जाम के मूल्यांकन के ‘फॉर्मूले’ का एक खंड रद्द हो - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

असम : छात्र संगठनों ने की मांग, बोर्ड एग्जाम के मूल्यांकन के ‘फॉर्मूले’ का एक खंड रद्द हो

असम में ‘ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन’ (आसू) सहित कई छात्र संगठनों और विपक्षी दलों ने सोमवार को तत्काल रूप से 10वीं और 12वीं कक्षा की परीक्षा प्रक्रिया के मूल्यांकन के लिए तैयार ‘फॉर्मूले’ के एक खंड को हटाने की मांग की।

असम में ‘ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन’ (आसू) सहित कई छात्र संगठनों और विपक्षी दलों ने सोमवार को तत्काल रूप से 10वीं और 12वीं कक्षा की परीक्षा प्रक्रिया के मूल्यांकन के लिए तैयार ‘फॉर्मूले’ के एक खंड को हटाने की मांग की। इस खंड के अनुसार, शिक्षक बनने या राज्य सरकार की नौकरी हासिल करने को इच्छुक छात्रों को कोविड-19 की स्थिति में सुधार होने पर फिर से परीक्षा देनी होगी।
असम सरकार ने एक जुलाई को एक अधिसूचना में कहा था शिक्षा विभाग द्वारा गठित दो विशेषज्ञ समितियों की रिपोर्ट के आधार पर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, असम, (एसईबीए) और असम उच्च माध्यमिक शिक्षा परिषद (एएचएसईसी) के तहत 10वीं और 12वीं कक्षा के छात्रों का एक रिकॉर्ड-आधारित मूल्यांकन किया जाएगा।
इस खंड के तहत, शिक्षा विभाग या किसी अन्य राज्य सरकार के विभाग में शिक्षक या कर्मचारी बनने के इच्छुक छात्रों को, जहां भर्ती, ‘‘ काफी हद तक एचएसएलसी या एचएसएसएलसी अंकों के आधार पर ’’ होती है, उसके लिए उन्हें वैश्विक महामारी की मौजूदा स्थिति में सुधार के बाद एक विशेष मैट्रिक या उच्चतर माध्यमिक परीक्षा देनी होगी।
राज्य के शिक्षा मंत्री रनोज पेगू ने दावा किया कि विशेष परीक्षा इसलिए आवश्यक है ताकि इस वर्ष के 10वीं और 12वीं कक्षा के छात्र केवल नौकरी चयन प्रक्रिया के लिए योग्यता के मूल्यांकन में पिछले या भविष्य के बैचों के बराबर हों। उन्होंने कहा कि उच्च कक्षाओं में प्रवेश पाने के लिए ऐसी किसी परीक्षा की आवश्यकता नहीं होगी। छात्र संगठनों ने हालांकि इस दलील का स्वीकार करने से मना कर दिया है और कहा कि इस खंड ने पूर्ण रिकॉर्ड-आधारित मूल्यांकन प्रक्रिया को निरर्थक बना दिया है और पहले से ही मूल्यांकन प्रक्रिया को लेकर दबाव में छात्रों को और तनाव में डाल दिया है।
‘ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन’ (आसू) के प्रमुख सलाहकार समुज्जल कुमार भट्टाचार्य ने इस खंड को पूर्ण रूप से अस्वीकार्य बताते हुए ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ सरकार द्वारा गठित समितियों द्वारा मूल्यांकन प्रक्रिया की सिफारिश की गई है। इसके आधार पर बने ‘अंक-पत्र’ के तहत छात्रों के लिए भविष्य के सभी रास्ते खुले होने चाहिए। हम सरकार से इस खंड पर पुन:विचार करने और इसे रद्द करने की मांग करते हैं। छात्र परीक्षा देने को तैयार थे। यह उनकी गलती नहीं है। उनके हितों के साथ कोई अन्याय नहीं होना चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि आसू इस मांग को लेकर शुक्रवार को ही मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री को पत्र भेज चुका है। ‘ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन’ (एबीएसयू) के अध्यक्ष दीपेन बोरो ने कहा, ‘‘ उच्च कक्षाओं में प्रवेश लेने एवं भविष्य में नौकरी के लिए आवेदन करने हेतु अलग से ‘अंकपत्र’ नहीं होना चाहिए।’’ इसी तरह की भावनाएं व्यक्त करते हुए, ‘असम जातीयतावादी युवा छात्र परिषद’ (एजेवाईसीपी) के महासचिव पलाश चांगमई ने कहा कि सरकारी नौकरियों में आवेदन के लिए विशेष परीक्षा का प्रावधान ‘‘बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है।’’
‘स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया’ (एसएफआई) ने शनिवार को गुवाहाटी में नए फॉर्मूले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और सरकार से इस खंड को वापस लेने की मांग की। ‘सत्र मुक्ति संग्राम समिति’ (एसएमएसएस) ने कहा कि 2022 में अलग परीक्षा आयोजित करने के निर्णय से दोनों बैचों के लगभग सात लाख छात्रों के करियर को खतरा होगा और इस “छात्र विरोधी” अधिसूचना को वापस लेने की मांग की।
इस बीच, विपक्ष के नेता देबब्रत सैकिया ने असम सरकार पर मासूम छात्रों के भविष्य के साथ खेलने का आरोप लगाया।
सैकिया ने कहा, ‘‘ मुख्यमंत्री जो पहले शिक्षा मंत्री थे, उन्हें अच्छे से पता है कि परीक्षाएं जनवरी या फरवरी में हो सकती थीं। लेकिन छात्रों के लिए काम करने के बजाय, जो उनका संवैधानिक कर्तव्य था, उन्होंने अपनी पार्टी, भाजपा के हित में काम करना चुना। ’’
एआईयूडीएफ के विधायक रफीकुल इस्लाम ने इस खंड को ‘‘अस्वीकार्य’’ बताया और कहा कि छात्रों को अपने अगले साल के पाठ्यक्रम की तैयारी करनी होगी और साथ ही 10वीं या 12वीं कक्षा की पढ़ाई जारी रखनी होगी, जिससे उन पर जबरदस्त दबाव पड़ेगा। राज्य के शिक्षा मंत्री ने हालांकि शनिवार को इस बात पर जोर दिया था कि सरकार किसी भी विसंगति को दूर करने और मुकदमेबाजी से बचने के लिए भविष्य में परीक्षा आयोजित करेगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

eight + 18 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।