गले में क्यू-आर कोड़ ड़ाल कर घूमता है ये भिखारी, चिल्लर नहीं है तो कर दीजिये ऑनलाइन ट्रांसफर - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

गले में क्यू-आर कोड़ ड़ाल कर घूमता है ये भिखारी, चिल्लर नहीं है तो कर दीजिये ऑनलाइन ट्रांसफर

भीख के लिए जिसकी तरफ भी हेमंत हाथ बढ़ाते वह उन्हें चिल्लर न होने की बात कहकर टाल देता। इस पर उन्होंने खुद को डिजिटल करने का फैसला लिया और क्यू-आर कोड भी ले लिया।

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले का एक भिखारी इन दिनों चचार्ओं में है, क्योंकि वह भीख मांगने में कैशलेस मुहिम का हिस्सा बन गया है। इतना ही नहीं उसने लोगों को भीख देने के लिए चिल्लर से छुटकारा दिलाने नवाचार करते हुए खुद को डिजिटलाइज कर लिया है और क्यू-आर कोड भी लिया है, जिस पर उसे डिजिटल तौर पर भीख दी जा सकती है। छिंदवाड़ा की नगर पालिका के कभी कर्मचारी हुआ करते थे हेमंत सूर्यवंशी। उनकी नौकरी गई तो उन्होंने भीख मांगकर अपना गुजारा करने का फैसला लिया। इस दौरान उन्हें सबसे बड़ी समस्या चिल्लर और छुटटे पैसों की आई। भीख के लिए जिसकी तरफ भी वे हाथ बढ़ाते वह उन्हें चिल्लर न होने की बात कहकर टाल देता। इस पर उन्होंने खुद को डिजिटल करने का फैसला लिया और क्यू-आर कोड भी ले लिया।
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सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है डिजिटल भिखारी 
हेमंत शहर की गलियों में घूमते हुए मिल जाते है, उनके गले में क्यू-आर कोड़ साफ नजर आता है। उनका इस क्यू-आर कोड को गले में डालकर भीख मांगने का वीडियो इन दिनों खूब सोशल मीडिया पर वायरल भी हो रहा है। वे जब किसी के द्वारा खुल्ले पैसे न होने की बात कही जाती है तो वे क्यू-आर कोड दिखाते हुए डिजिटल भुगतान का सुझाव दे देते है।तकनीक का सहारा लेने का हेमंत केा बड़ा फायदा भी हुआ है, क्योंकि उन्हें पहले जहां एक दो रुपये मिलते थे तेा अब पांच रुपये से ज्यादा ही मिल जाते है। वे कहते है कि डिजिटल तकनीक का सहारा लेने से उनकी भीख में मिलने वाली रकम भी बढ़ गई है।
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डिजिटल भीख मिलने से बढ़ी भिखारी की इनकम 
केंद्र सरकार लगातार कैशलेस केा बढ़ावा देने के लिए प्रचार माध्यमों का सहारा लेती रही है, उसकी इस मुहिम का हेमंत बड़ा हिस्सा बन गए है, क्योंकि वे भीख मांगने के जरिए इस मुहिम को आगे बढ़ा रहे है। हेमंत बताता है कि उसके पास जो क्यू-आर कोड है वह एक दुकानदार का है, जिसके खाते में भीख में मांगी गई रकम पहुॅच जाती है और वह शाम को दुकानदार के पास जाकर अपने हिस्से की रकम ले लेता है। उसके दिमाग में यह आइडिया तब आया, जब वह कहीं दुकान दफ्तरों में भीख मांगने जाता था तो उसे टेबिल या दुकान के काउंटर पर क्यू-आर कोड रखा नजर आता था। उसके बाद ही उसने भी क्यू-आर कोड लिया। हेमंत बताता है कि भीख मांगने के लिए खुद को डिजिटल किए जाने का बड़ा लाभ हुआ है और पहले के मुकाबले रोज मिलने वाली भीख में इजाफा हुआ है। इसके चलते परिवार का गुजर बसर हो रहा है। 

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