IOA महासचिव राजीव मेहता ने लैंगिक समानता पर प्रस्ताव मांगा - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

IOA महासचिव राजीव मेहता ने लैंगिक समानता पर प्रस्ताव मांगा

लैंगिक समानता बरकरार रखने के लिए ओलंपिक अभियान का हिस्सा बनने वाले खेल संगठनों की आम सभा में महिलाओं का न्यूनतम 30 प्रतिशत प्रतिनिधित्व जरूरी है।

भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) ने सोमवार को स्वीकार किया कि खेल संचालन में लैंगिक समानता के लिए उसे पहल करनी होगी और देश में खेल की सर्वोच्च संस्था ने कार्यकारी परिषद को प्रस्ताव तैयार करने को कहा जो सुनिश्चित करेगा कि उसकी आम सभा में राष्ट्रीय खेल महासंघ (एनएसएफ) के तीन प्रतिनिधियों में से एक महिला हो। आईओए महासचिव राजीव मेहता ने आईओए अधिकारियों को पत्र लिखा है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) ने सभी राष्ट्रीय ओलंपिक समितियों (आईओसी) को लैंगिक समानता बनाए रखने का निर्देश दिया है।
लैंगिक समानता बरकरार रखने के लिए ओलंपिक अभियान का हिस्सा बनने वाले खेल संगठनों की आम सभा में महिलाओं का न्यूनतम 30 प्रतिशत प्रतिनिधित्व जरूरी है। मेहता ने पत्र में लिखा, ‘‘15 जुलाई 2019 के मेरे पत्र के प्रस्ताव के अनुसार, मैं आईओए की कार्यकारी परिषद के सदस्यों से आग्रह करता हूं कि वे यह नियम बनाने के प्रस्ताव पर चर्चा करें कि आईओए की आम सभा में एनएसएफ के तीन प्रतिनिधियों में से एक महिला हो।’’ उन्होंने लिखा, ‘‘मेरा मानना है कि जब हम इस तरह के बदलाव की शुरुआत करेंगे, अधिक राष्ट्रीय खेल महासंघ अपने संचालन ढांचे में बदलाव करेंगे और नियमों के अनुसार महिलाओं को अधिक प्रतिनिधित्व देंगे।’’
मेहता ने कहा कि आईओसी द्वारा लैंगिक प्रतिनिधित्व पर सर्वे के दौरान आईओए ने कहा कि ‘‘खेलों के विभिन्न पहलुओं में महिलाओं की भागीदारी और प्रतिनिधित्व को देखते हुए हमें अगले साल विस्तृत अध्ययन करना चाहिए। आकलन, राह तैयार करने और अंतर को पाटने के लिए आंकड़ों की जरूरत है। ’’ आईओए महासचिव ने कहा कि कुछ एनएसएफ ने इस संबंध में महत्वपूर्ण प्रगति की है लेकिन वैश्विक स्तर की बराबरी के लिए और अधिक प्रयास किए जाने की जरूरत है।
मेहता ने कहा, ‘‘भारतीय कयाकिंग एवं कैनोइंग संघ, भारतीय हैंडबॉल संघ, हॉकी इंडिया, भारतीय तलवारबाजी संघ, भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ और भारतीय टेबल टेनिस संघ जैसे कई राष्ट्रीय खेल महासंघों ने खेलों के संचालन में लैंगिक समानता के मामले में महत्वपूर्ण प्रगति की है लेकिन एक राष्ट्र के रूप में हम वैश्विक स्तर की तुलना में अब भी काफी पीछे हैं।’’

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