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कार खरीदने से पहले जानें BS3, BS4, BS6 का मतलब, इनमें क्या अंतर है?

BS3,BS4,BS5

BS3, BS4, BS6 भारत में वाहनों के लिए लागू उत्सर्जन मानकों के तीन अलग-अलग स्तर हैं। बीएस3 सबसे पुराना मानक है, जिसे 2005 में लागू किया गया था। बीएस4 मानक 2010 में लागू किया गया था, और बीएस6 मानक 2020 में लागू किया गया था।
BS3,BS4,BS6
BS3 मानक

बीएस3 मानक वाहनों से निकलने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए न्यूनतम मानक निर्धारित करता है। इन मानकों में शामिल हैं:
BS3,BS4,BS5
नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) का उत्सर्जन 250 पार्टिकल प्रति मिलियन (ppm) से कम होना चाहिए।
सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) का उत्सर्जन 500 ppm से कम होना चाहिए।
पार्टिकुलेट मैटर (PM) का उत्सर्जन 500 मिलीग्राम प्रति किलोमीटर (mg/km) से कम होना चाहिए।
बीएस4 मानक
BS3,BS4,BS5
BS4 मानक BS3 मानकों की तुलना में अधिक कड़े हैं। इन मानकों में शामिल हैं:

नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) का उत्सर्जन 150 ppm से कम होना चाहिए।
सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) का उत्सर्जन 150 ppm से कम होना चाहिए।
पार्टिकुलेट मैटर (PM) का उत्सर्जन 250 मिलीग्राम प्रति किलोमीटर (mg/km) से कम होना चाहिए।
बीएस6 मानक

BS6 मानक BS4 मानकों की तुलना में और भी कड़े हैं। इन मानकों में शामिल हैं:

नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) का उत्सर्जन 80 ppm से कम होना चाहिए।
सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) का उत्सर्जन 50 ppm से कम होना चाहिए।
पार्टिकुलेट मैटर (PM) का उत्सर्जन 10 मिलीग्राम प्रति किलोमीटर (mg/km) से कम होना चाहिए।
बीएस3, बीएस4 और बीएस6 के बीच अंतर

BS3, BS4 और BS6 के बीच प्रमुख अंतर निम्नलिखित हैं:

BS3,BS4,BS5

उत्सर्जन की मात्रा: बीएस6 मानक बीएस3 और बीएस4 मानकों की तुलना में अधिक कड़े हैं। इसका मतलब है कि बीएस6 मानकों को पूरा करने वाले वाहनों से कम प्रदूषण निकलता है।
प्रदूषण के प्रकार: बीएस6 मानक बीएस3 और बीएस4 मानकों की तुलना में अधिक प्रदूषकों को नियंत्रित करते हैं। इसका मतलब है कि बीएस6 मानकों को पूरा करने वाले वाहनों से कम हानिकारक प्रदूषक निकलते हैं।
स्वास्थ्य लाभ: बीएस6 मानकों को पूरा करने वाले वाहनों से निकलने वाले कम प्रदूषण से लोगों के स्वास्थ्य को बेहतर लाभ मिलता है।
भारत में बीएस6 मानक।

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