USA के साथ बातचीत में विदेश मंत्री ने आतंकवाद के प्रति कनाडा के 'अनुमोदनात्मक' रवैये का उठाया मुद्दा - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

USA के साथ बातचीत में विदेश मंत्री ने आतंकवाद के प्रति कनाडा के ‘अनुमोदनात्मक’ रवैये का उठाया मुद्दा

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि शीर्ष अमेरिकी अधिकारियों – विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन – के साथ उनकी मीटिंग में कनाडा तथा भारत के राजनयिक विवाद पर चर्चा हुई। वही , उन्‍होंने दोनों को भारत के पक्ष से अवगत कराया जिसमें ‘आतंकवादियों के प्रति एक बहुत ही उदार कनाडाई रवैया’ का आकलन शामिल था।
जयशंकर ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा की मीटिंग के बाद वाशिंगटन डीसी में अपने पहले दिन गुरुवार को ब्लिंकन और सुलिवन से मुलाकात की।
ब्लिंकन के साथ मीटिंग के अमेरिकी रीडआउट और एक्स पर जयशंकर की पोस्ट में कनाडा के बारे में कुछ नहीं कहा गया।
मंत्री ने एक थिंक टैंक हडसन इंस्टीट्यूट के एक प्रोग्राम में माना कि यह मामला वास्तव में चर्चा में आया था और अमेरिकी अधिकारियों ने इस पर अपने विचार प्रस्तुत किए थे।
जयशंकर ने बताया कि और मैंने उन्हें कुछ विस्तार से समझाया। मैंने आपको जो बताया वह मेरी चिंताओं का सारांश था।
जयशंकर ने जिस ‘सारांश’ का उल्लेख किया वह भारत के मामले की उनकी प्रस्तुति थी जो उन्होंने एक प्रश्न के उत्तर में कुछ मिनट पहले थिंक टैंक में दी थी।
आपको बता दे कि जयशंकर ने ‘सारांश’ में जो कहा वह इस प्रकार है : – ‘हां, कनाडाई प्रधानमंत्री ने कुछ आरोप लगाए, शुरुआत में निजी तौर पर और फिर सार्वजनिक रूप से। और निजी और सार्वजनिक रूप से उन्हें हमारी प्रतिक्रिया यह थी कि वह जो आरोप लगा रहे थे वह हमारी नीति के अनुरूप नहीं था। और यदि उनके पास – यदि उनकी सरकार के पास – कुछ भी प्रासंगिक और विशिष्ट है, वे चाहेंगे कि हम उस पर गौर करें, तो हम उस पर गौर करने के लिए तैयार हैं। और यहीं पर वह बातचीत रुकी।”
जयशंकर ने आगे बताया : लेकिन उस बातचीत को समझने के लिए, आपको यह भी समझना होगा कि यह कनाडा के साथ कई सालों से बड़े घर्षण का मुद्दा रहा है। वास्तव में, इसका इतिहास 1980 के दशक से शुरू होता है। उस समय यह प्रमुख हो गया था। लेकिन पिछले कुछ में सालों से, यह फिर से चलन में आ गया है। हम इसे आतंकवादियों, चरमपंथी लोगों के प्रति एक बहुत ही उदार कनाडाई रवैया मानते हैं जो खुले तौर पर हिंसा की वकालत करते हैं। और कनाडाई राजनीति की मजबूरियों के कारण उन्हें कनाडा में संचालन की जगह दी गई है।
जयशंकर ने कनाडा पर एक बार फिर नजर डालने का आह्वान किया, जो अमेरिका का करीबी सहयोगी है और ज्यादातर अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर अक्सर उसके साथ कदम मिलाता है। उन्‍होंने आगे कहा कि अमेरिकियों के लिए, शायद कनाडा बहुत अलग दिखता है। लेकिन, आप जानते हैं, यह इस कई बातों पर निर्भर करता है, आप जानते हैं कि जूता कहां चुभता है। हमारे लिए, यह निश्चित रूप से एक ऐसा देश रहा है जहां भारत से संगठित अपराध अलगाववाद, हिंसा, आतंकवाद के साथ मानव तस्करी मिली हुई है। यह उन मुद्दों का एक बहुत ही विषाक्त संयोजन है जो उन लोगों के लिए है जिन्हें वहां काम करने की जगह मिल गई है। इसलिए कनाडा के साथ हमारे बहुत सारे तनाव, जो श्री (जस्टिन) ट्रूडो के बयान से पहले भी मौजूद थे, वास्तव में उसके बाद उभर कर बाहर आ गये।
जयशंकर ने कनाडा में भारतीय राजनयिकों को मिल रही धमकियों का मुद्दा उठाकर कनाडा के खिलाफ अपने पक्ष को रेखांकित किया।
जयशंकर ने बताया कि आज, मैं वास्तव में ऐसी स्थिति में हूं जहां मेरे राजनयिक कनाडा में दूतावास या वाणिज्य दूतावास में जाते हुये असुरक्षित हैं। उन्हें सार्वजनिक रूप से धमकाया जाता है, और इसने मुझे वास्तव में कनाडा में वीजा संचालन को अस्थायी रूप से निलंबित करने के लिए मजबूर किया है।
अमेरिका कनाडा के इस आरोप का समर्थन करता रहा है कि जून में कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया में खालिस्तानी कार्यकर्ता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के पीछे भारत का हाथ था। असल में, कनाडा के साथ फाइव आईज खुफिया साझाकरण समझौते के हिस्से के रूप में अमेरिका (अन्‍य तीन सदस्‍य ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और न्यूजीलैंड हैं) द्वारा प्रदान की गई प्रमुख खुफिया जानकारी के कारण ट्रूडो ने पहली बार इन आरोपों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ निजी तौर पर जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान और बाद में सार्वजनिक रूप से कनाडाई संसद में उठाया।
अमेरिका ने सार्वजनिक और निजी तौर पर भारत से जांच में सहयोग करने का आग्रह किया है। नई दिल्ली ने आरोपों को ‘बेतुका’ बताकर खारिज कर दिया है, लेकिन कहा है कि अगर कनाडा के पास कुछ है तो वह इस पर गौर करेगा। लेकिन ओटावा ने भारत को कोई सबूत नहीं दिया है या सार्वजनिक तौर पर पेश नहीं किया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

nine + nine =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।