पश्चिम बंगाल में विधानसभा के आठ चरणों में चुनाव होने है, सभी बड़ी राजनीतिक पार्टियों ने अपनी-अपनी तरफ से पूरी ताकत इस चुनाव में झोंक दी है। लेकिन इससे इतर बिहार में राजनीतिक उथल-पुथल मच हुई है, ऐसा इसलिए क्योंकि राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने बंगाल चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को बिना किसी शर्त के समर्थन देने की घोषणा कर दी है। साथ ही उन्होंने बंगाल में बिहार मूल के लोगों से अपील भी है, जिसमें उन्होंने कहा कि सभी एक बार फिर ममता बनर्जी को वोट देकर, उन्हें बंगाल की सत्ता में वापिस लाए।
राजद नेता के इस कदम के बाद बिहार की कांग्रेस में खलबली मच गई है कि तेजस्वी कैसे और क्यों बंगाल में ममता का समर्थन कर रहे हैं। इसके बाद बिहार की सियासत भी गर्म हो गई है। राजद के इस निर्णय से बिहार के कांग्रेसी भी खुश नजर नहीं आ रहे हैं। पश्चिम बंगाल में अभी तक जो तस्वीर उभरी है उसके मुताबिक तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अकेले-अकेले चुनावी मैदान में है जबकि कांग्रेस ने वामपंथी दलों के साथ दोस्ती कर ली है।
राजद के एक नेता कहते हैं कि तेजस्वी यादव पार्टी के विस्तार के लिए लगातार मेहनत कर रहे हैं। कठिन परिश्रम के बाद भी बिहार हाथ से निकल जाने के बाद राजद देश के दूसरे भागों में विस्तार की कोशिश तेज कर दी है। पार्टी नेता तेजस्वी यादव की नजर असम और पश्चिम बंगाल के चुनाव पर है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी समान विचारधारा वाले दलों के साथ आगामी विधान सभा चुनाव लड़ेगी।
उल्लेखनीय है कि तेजस्वी यादव ने अपने दो दिनों की असम यात्रा के दौरान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रिपुन बोरा, आर एआईयूडीएफ प्रमुख बदरुद्दीन अजमल से मुलाकात की थी। माना जा रहा है कि भाजपा को कड़ी टक्कर देने के लिए राजद इसी गठबंधन के साथ असम चुनाव में उतरेगी। राजद असम में पहले ही चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुकी है। राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी कहते हैं कि राजद की लोकप्रियता बढ़ी है। राजद के नेता तेजस्वी यादव दक्षिण सहित अन्य राज्यों में भी लोकप्रिय हंै। राजद पहले भी असम चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुकी है। उन्होंने कहा कि समान विचारधार वाली पार्टियों के साथ राजद पहले भी गठबंधन करती रही है, आगे भी करेगी।
इधर, देखा जाए तो कांग्रेस पश्चिम बंगाल में भाजपा और तृणमूल कांग्रेस को रोकने के लिए हर जतन कर रही है। सूत्र कहते हैं कि कांग्रेस और राजद की मंजिल भाजपा के विस्तार को रोकना है, लेकिन दोनों के रास्ते अलग हो गए हैं। राजद के नेता कहते हैं कि पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस ही भाजपा को रेाक सकती है जबकि कांग्रेस भाजपा को रोकना तो चाहती है लेकिन वह खुद मजबूत होना भी चाहती है। इधर, राजद के तृणमूल कांग्रेस को समर्थन देना बिहार कांग्रेस के नेताओं को रास नहीं आया है।
कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता अजीत शर्मा कहते हैं कि हमारे प्रयास शुरू से थे कि बिहार की तरह धर्मनिरपेक्ष पार्टियां पश्चिम बंगाल में एक साथ आकर भाजपा और ममता को रोकें। इन दलों के खिलाफ काफी आक्रोश है। उन्होंने कहा कि राजद नेतृत्व ने इस मसले पर बिना कांग्रेस से कोई बात किए अपना फैसला ले लिया। शर्मा कहते हैं राजद का यह कदम अप्रत्याशित है। इधर, भाजपा के नेता भी इस पर कटाक्ष कर रहे हैं।
भाजपा प्रवक्ता निखिल आनंद कहते हैं, तेजस्वी यादव का मन और दिल बिहार में नहीं लगता है इसीलिए उनको राष्ट्रव्यापी पॉलिटिकल टूरिज्म का प्लान बनाते रहते हैं। पॉलिटिकल टूरिज्म के मामले में तेजस्वी यादव कांग्रेस नेता राहुल गांधी से कंपीटिशन करना चाहते हैं जो फिलहाल एक नंबर पर हैं। साथ ही राजद का मकसद कांग्रेस को दबाव में डालकर बिहार में पिछलग्गू बनाए रखना है।