देश की सबसे बड़ी अदालत (सुप्रीम कोर्ट) ने मंगवार को (यानी आज) आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में एलजी पॉलीमर्स संयंत्र में सीमित संख्या में इसके कर्मचारियों को परिसर में प्रवेश की अनुमति प्रदान की।
सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी को निर्देश दिया कि वह उन 30 कर्मचारियों की सूची उपलब्ध कराये जिन्हें संयंत्र में प्रवेश की अनुमति दी जा सकती है। इस संयंत्र में सात मई को गैस रिसाव हुआ था, जिसमें कम से कम 12 व्यक्तियों की मृत्यु हो गयी थी। आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने हाल ही में इस संयंत्र और इसके परिसर को सील करने का आदेश दिया था।
कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा गठित समितियों के अलावा किसी भी अन्य व्यक्ति के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया था। कोर्ट ने इस कंपनी के निदेशकों को उसकी अनुमति के बगैर देश से बाहर नहीं जाने का भी आदेश दिया था।
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न्यायमूर्ति उदय यू ललित, न्यायमूर्ति एम एम शांतनगौडार और न्यायमूर्ति विनीत सरन की पीठ ने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से कंपनी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी की दलीलें सुनने के बाद इसके तीस कर्मचारियों को संयंत्र में प्रवेश की अनुमति प्रदान की और स्पष्ट किया कि उसकी अन्य दलीलों पर आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ही विचार करेगा।
पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘अंतरिम उपाय के रूप में हम याचिकाकर्ता (फर्म) को 30 कर्मचारियों की सूची पेश करने की अनुमति देते हैं, जिन्हें संयंत्र में जाने की अनुमति दी जा सकती है। इन कर्मचारियों की सूची आज अपराह्न तीन बजे तक जिला कलेक्टर को सौंपी जायेगी।’’
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रोहतगी ने कहा कि इससे पहले फर्म राष्ट्रीय हरित अधिकरण के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत आयी थी जिसने आठ मई को स्वत: ही गैस रिसाव की घटना का संज्ञान लेते हुये अंतरिम मुआवजे के रूप में 50 करोड़ रुपए का भुगतान करने का आदेश दिया था।
उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट ने संयंत्र सील कर दिया था, जो सिर्फ उच्च न्यायालय के लिये खुला था। उन्होंने कहा कि संयंत्र में विषाक्त सामग्री रखी है। कंपनी इस कार्यवाही में शामिल होना चाहती है और अगर उसे प्रवेश की अनुमति नहीं मिली तो इससे समस्यायें ज्यादा हो सकती हैं।
इससे पहले, कोर्ट ने एलजी पॉलीमर्स संयंत्र परिसर को सील करने का आदेश दिया था और इसके कमचारियों का प्रवेश वर्जित कर दिया था। इस संयंत्र में हुये गैस रिसाव में एक नाबालिग सहित 12 व्यक्तियों की मृत्यु हो गयी थी और सैकड़ों व्यक्ति इससे प्रभावित हुये थे।