जम्मू-कश्मीर में हंदवाड़ में आतंकवादियों से मुठभेड़ में शहीद हुए मेजर अनुज सूद का आज यहां सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। सूद जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के हंदवाड़ा में शनिवार रात आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में शहीद होने वाले पांच सुरक्षा कर्मियों में शामिल थे। इसमें एक कर्नल भी शहीद हुए हैं।
मेजर सूद की पार्थिव देह को उनके पंचकूला स्थित घर से यहां मनी माजरा के श्मशान घाट लाने से पहले माहौल काफी गमगीन हो गया था।मेजर सूद की पार्थिव देह को सेना की गाड़ी में रखने से ठीक पहले उनकी पत्नी आकृति उन्हें अलविदा कहने के लिए ताबूत से लिपट गईं। मेजर सूद की बहन हर्षिता अपनी भाभी को पंचकूला आवास पर और श्मशान घाट पर दिलासा देती हुई दिखीं। हर्षिता भी सेना में अधिकारी हैं।
उनका पार्थिव शरीर सोमवार दोपहर श्रीनगर से यहां लाया गया था। “वंदे मातरम’,”भारत माता” की जय” और “मेजर अनुज अमर रहे” के नारों के बीच उनके तिरंगे से लिपटे पार्थिव शरीर को यहां मनी माजरा में स्थित श्मशान घाट ले जाया गया। अंतिम संस्कार से पहले, शहीद मेजर के पार्थिव शरीर पर सेना के सेवारत और सेवानिवृत्त अधिकारियों ने पुष्पांजलि अर्पित की।
एंटी टेरिरिज्म फ्रंट ऑफ इंडिया के अध्यक्ष वीरेश शांडिल्य ने मेजर को पुष्पांजलि अर्पित करते हुए “पाकिस्तान मुर्दाबाद” और ” भारत माता की जय” का नारा लगाया। बाद में जब अंतिम संस्कार हुआ तब श्मशान घाट के अंदर परिवार के सदस्यों को ही जाने की इजाजत दी गई, ताकि कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर सामाजिक दूरी के नियम का पालन हो सके। सेना के कई वरिष्ठ अधिकारी और मेजर सूद की पत्नी, पिता, बहन समेत परिवार के सदस्य दाह संस्कार के दौरान मौजूद थे।
शहीद अधिकारी को बंदूकों से सलामी दी गई और उनके पिता ने मुखाग्नि दी। मेजर सूद के पिता ब्रिगेडियर चंद्रकांत सूद (सेवानिवृत्त) ने पहले मीडिया से कहा था कि वह अपने बेटे की मौत की खबर सुनकर स्तब्ध रह गए लेकिन साथ ही उन्हें सूद के सर्वोच्च बलिदान पर गर्व है जो उन्होंने अपनी मातृभूमि के लिए दिया है। उन्होंने पंचकूला में अपने घर पर कहा था ” वह राष्ट्र का सच्चा बेटा था।”
उनके परिवार के मुताबिक, सेना के 30 वर्षीय अधिकारी ब्रिगेड ऑफ गार्ड्स रेजिमेंट से थे जो 21 राष्ट्रीय राइफल्स का हिस्सा है। वह नाभा के पंजाब पब्लिक स्कूल के पूर्व छात्र थे। वह 2008 में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में शामिल हुए थे। सेना में शामिल होना उनका सपना था।उनके परिवार ने बताया कि उन्हें छह महीने बाद घर लौटना था और जम्मू कश्मीर में उनका दो साल का कार्यकाल पूरा हो रहा था। उन्हें गुरदासपुर में 12 गार्ड्स इकाई में शामिल होना था।