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भारतीय फुटबॉल में सुधार की गुंजाइश

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नई दिल्ली : भारतीय फुटबॉल के बारे में मुझे बहुत ज़्यादा जानकारी नहीं है लेकिन आईएसएल के कुछ मैच देखे हैं, जहां तक मैं समझता हूं भारतीय खिलाड़ी ठीक-ठाक है। जरूरत है तो सही उम्र में सही सबक सीखने की। पुर्तगाल फुटबॉल संघ के सीईओ, जाने माने कोच और पूर्व फुटबॉल खिलाड़ी कार्लोस आंद्रे पौलीनो ओलिवीयरा ने एक साक्षात्कार में अपनी राय व्यक्त की। उनके अनुसार पुर्तगाल और यूरोप की तुलना में भारत फुटबॉल में बहुत पीछे है पर सुधार की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। इस अवसर पर पूर्व भारतीय रेफ़री, खिलाड़ी और ध्यानचन्द अवॉर्ड से सम्मानित शाहिद हकीम, डीएसए के पूर्व सचिव एनके भाटिया और इंडो यूरोप स्पोर्ट्स के अध्यक्ष वासिम अल्वी भी मौजूद थे।

इंडो यूरोप स्पोर्ट्स एंड लेजर प्रमोशन काउन्सिल के आमंत्रण पर कार्लोस भारतीय खिलाड़ियों को खेल की बारीक़ियां सिखाने दिल्ली आए हैं। कार्लोस आठ और नौ फ़रवरी को अंबेडकर स्टेडियम पर दिल्ली के उभरते खिलाड़ियों और कोचों को ट्रेनिंग देंगे जिसमे 300 खिलाड़ी और लगभग दर्जन भर कोच शिरकत करेंगे। एक सवाल के जवाब में उन्होने बताया कि पुर्तगाल छोटा सा देश है जिसमे लाखों फुटबॉल खिलाड़ी हैं। लेकिन हैरान हैं कि 125 करोड़ के देश भारत में फुटबॉल एशियाई स्तर पर भी आगे नहीं बढ़ पाई है। उनकी राय में भारतीय फुटबॉल को यूरोपीय देशों से सीखना चाहिए, जहां कदम-कदम पर प्रतिभावान खिलाड़ी मिल जाएंगे।

बेहतर होगा कि भारतीय कोच और खिलाड़ी विदेशों में सीखने और खेलने जाएं या लगातार विदेशी खिलाड़ियों और कोाचों को आमंत्रित किया जाए। अपने दिल्ली प्रवास के दौरान कार्लोस स्थानीय खिलाड़ियों की तकनीक, दमखम और फुटवर्क को करीब से देखेंगे और सुधार की संभावना के बारे में हकीम, एएनके भाटिया, अल्वी और हेमचंद जैसे अनुभवी फुटबॉल जानकारों और पारखियों से बात करेंगे। भारत मे खेली जा रही आईएसएल और आई लीग के बारे मे उन्होने कहा कि ऐसे आयोजन को ठीक ठाक कहा जा सकता है पर दुनिया से मुक़ाबले के लिए बहुत कुछ करना बाकी है।

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(राजेंद्र सजवान)

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