उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के समय शिक्षकों की भर्ती में गड़बड़ी का मामला सामने आया है। बताया जा रहा है कि 2011, 2013 और 2016 में स्नातक शिक्षकों और प्रवक्ता पदों पर ऐसे विषयों के शिक्षकों की भर्तियां की गईं जो विषय पाठ्यक्रम में थे ही नहीं। माध्यमिक शिक्षा चयन बोर्ड की जांच में इसका खुलासा हुआ है।
बसपा और सपा भ्रष्टाचार को बढावा देने का आरोप मढते हुये बीजेपी ने दावा किया कि दोनो दलों के शासनकाल के दौरान उत्तर प्रदेश में न/न सिर्फ सरकारी नौकरियों का सौदा किया गया बल्कि जो नौकरियां योज्ञ युवाओं के लिए थीं उन्हें अपात्र लोगों को बेच दिया गया।
पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता डा चन्द्रमोहन ने शुक्रवार को पत्रकारों से कहा कि युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ करने के मामले में मायावती और अखिलेश यादव की सोच एक जैसी है।
माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की वर्ष 2011, 2013 व 2016 में प्रवक्ता एवं स्नातक शिक्षक (टीजीटी-पीजीटी) के ऐसे विषयों के लिए चयन प्रक्रिया शुरू हुई जो विषय प्रदेश के माध्यमिक कालेजों में पढाये ही नहीं जाते हैं। सपा शासनकाल के दौरान उत्तर प्रदेश राज्य लोक सेवा आयोग की भर्तियों में चल रही सीबीआई जांच के दौरान ऐसे तथ्य सामने आ रहे हैं जिससे पता चलता है कि पूर्ववर्ती अखिलेश सरकार ने भ्रष्टाचार के सारे रिकार्ड तोड़ दिए थे।
उन्होने कहा कि सपा और बसपा के शासनकाल में शायद ही कोई ऐसी भर्ती प्रक्रिया हो जो साफ-सुथरे ढंग से पूरी की गई हो। यही वजह रही कि युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ करने वाली ये दोनों पार्टियां राजनीति में हाशिए पर पहुंच गई हैं।
उन्होने दावा किया कि बीजेपी की सरकार बनने के बाद से नए सिरे से चयन संस्थाओं का गठन किया गया है। ईमानदार और साफ-सुथरी छवि वाले लोगों को इन चयन संस्थाओं का अध्यक्ष और सदस्य बनाया गया है।
प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बीजेपी सरकार किसी को भी युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ करने की छूट नहीं देगी। सरकार ने चयन संस्थाओं की भर्ती प्रक्रियाओं को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने के लिए कड़ उपाय किए हैं।