उडूपी स्थित शिरूर मठ के प्रमुख श्री लक्ष्मीवरा तीर्थ स्वामीजी की गुरुवार को मणिपाल में एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। डॉक्टरों ने विषाक्तता का संदेह प्रकट किया है जबकि परिजन ने साजिश की आशंका व्यक्ति की है। मठ के सूत्रों ने बताया कि 54 वर्षीय मठ प्रमुख को खून की उल्टी और सांस लेने में परेशानी के बाद उडूपी के पड़ोस में स्थित मणिपाल के केएमसी अस्पताल में भर्ती कराया गया।
शिरूर मठ उडूपी के आसपास के उन आठ मठों में है जिसकी स्थापना तत्ववाद का ज्ञान देने वाले 13 वीं सदी के दार्शनिक माधवाचार्य ने की थी। मठ प्रमुख के भाई और अन्य लोगों ने साजिश की आशंका प्रकट करते हुए जांच की मांग की है जबकि कर्नाटक सरकार ने कहा है कि मांग पर विचार किया जाएगा।
अस्पताल ने बताया कि जब उन्हें लाया गया तब उन्हें सांस लेने में बहुत तकलीफ हो रही थी और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ब्लीडिंग हो रही थी। उनका रक्तचाप भी असमान्य रूप से बहुत कम हो गया था। डॉक्टरों की एक टीम ने वेंटिलेटर के जरिये चिकित्सीय सहायता दी। डायलेसिस करने के अलावा खून चढाया गया लेकिन उनकी स्थिति बिगड़ती चली गयी और उन्हें आठ बजे सुबह मृत घोषित कर दिया गया।
केएमसी के चिकित्सा अधीक्षक डॉ अविनाश शेट्टी ने बताया कि नियम के तहत अस्पताल ने महंत के निधन के बारे में पुलिस को अवगत करा दिया और पोस्टमार्टम रिपोर्ट से तथ्यों का पता चल सकेगा। मठ प्रमुख के भाई महंत लातव्य आचार्य ने उडूपी में पुलिस को शिकायत में आरोप लगाया है कि जहर से उनकी मौत हुई है।
उन्होंने कहा, ”मामले में उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए।” पुलिस ने बताया कि शिकायत दर्ज कर ली गयी और आगे जांच की जा रही है । उधर, बेंगलुरु में मठ प्रमुख की संदिग्ध स्थिति में मौत को लेकर सवाल पर मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने कहा, ”अगर संदेह हुआ और जांच की जरूरत पड़ी तो इस पर गौर किया जाएगा।”
स्वामीजी के निधन पर शोक प्रकट करते हुए कुमारस्वामी ने कहा कि यह समाज का नुकसान है और कम उम्र में ही उनका देहांत हो गया।उपमुख्यमंत्री और गृहमंत्री जी परमेश्वर ने कहा, ”स्वामीजी की मौत के बारे में कई लोगों ने संदेह प्रकट किया है। अगर जांच कराने की जरूरत हुई तो हम ऐसा करवाएंगे। मौजूदा स्थिति में अभी इसके लिए किसी ने नहीं कहा है।”
बता दें कि स्वामी का तटीय क्षेत्र में स्थित उडूपी में आठ मठों में छह के प्रमुखों से कुछ मुद्दों पर मतभेद चल रहा था। स्वामी लक्ष्मीवरा हाल में उस वक्त चर्चा में आए थे जब उन्होंने कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान कहा था कि वो निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में या टिकट मिलने पर भाजपा से चुनाव लड़ेंगे। लेकिन, बाद में उन्होंने अपना इरादा छोड़ दिया।
उनकी मौत के बाद शिरूर मठ में पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है । माधवाचार्य तत्ववाद के प्रवर्तक थे जिसे द्वैतवाद के नाम से जाना जाता है। माधवाचार्य ने उडूपी कृष्ण मंदिर के पास आठ गांवों में प्रत्येक मठ के प्रमुख के तौर पर आठ संतों को भी नियुक्त किया था।