स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था हर कार्य को हमेशा तीन अवस्थाओं से गुजरना होता है। उपहास, विरोध और स्वीकृति। वाकई जो आज का वातावरण है स्वामी विवेकानंद की कही बातें सभी सत्य प्रमाण होती हैं। 12 जनवरी को हम स्वामी विवेकानंद जी के जन्म दिवस पर उनको याद तो करते हैं परन्तु मुझे लगता है सारा साल ही उनका जन्म दिवस मनाते हैं उनकी कही बातों काे अनुभव करते हुए क्योंकि जीवन की कई बातें समय के अनुसार उनकी कहनी, कथनी करनी से जुड़ी है। जैसे उनका यह भी कहना था कि विश्व एक विशाल व्यायामशाला है, जहां हम खुद को मजबूत बनाने के लिए आते हैं।
आज जो कोरोना के समय सबकी मनोस्थिति है अगर हम स्वामी विवेकानंद जी को पढ़ लें, उनकी बातों का अनुसरण कर लें या समझने की भी कोशिश करें तो हमारी सबकी मनोस्थिति काफी सम्भल सकती है। जैसे आज कोरोना की वैक्सीन को लेकर तरह-तरह के सवाल, भ्रम उठ रहे हैं, विरोध हो रहा है और स्वीकृति भी हो रही है तो आज स्वामी विवेकानंद जी की कथनी सामने आ रही है। जब प्रधानमंत्री मोदी ने 15 अगस्त, 2020 को लालकिले की प्राचीर से कहा था कि भारत वैक्सीन सप्लाई करने वाला वैश्विक सप्लायर बनेगा तो किसी ने भी विश्वास नहीं किया था। उन्होंने 28 नवम्बर को खुद पूणेे, हैदराबाद, अहमदाबाद की कम्पनियों के वैक्सीन प्लांट देखे। आज भारत में पहले चरण में लगभग 70 लाख हैल्थ वर्करों को टीका लगाने के लिए तैयार हैं। 2 करोड़ फ्रंट वर्करों को भी टीका लगाया जाएगा। भारत बायोटैक ने भी 1 करोड़ डोज तैयार कर लिए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि देश में बनी दो वैक्सीन की पूरी दुनिया में मांग है। इसको देखते हुए यह जरूरी है कि यह सही और जरूतमंद लोगों तक पहुंचे।
सो इस समय इस पर राजनीति करना या उपहास उड़ाना या भ्रम पैदा करना बिल्कुल गलत है। हमें अपने देश में बनने वाले टीके पर विश्वास करके आगे बढ़ना होगा। जब रोज-रोज किसी राजनीतिक नेता का बयान देखती हूं कि यह बीजेपी टीका है, नहीं लगवाना तो मेरा कहना है कोई डाक्टर, कोई वैज्ञानिक किसी पार्टी से नहीं होता, वो सिर्फ मानवता आैर नैतिकता से जुड़े होते हैं। वैक्सीन पर विवाद से विदेशी ताकतों को फायदा मिलेगा, क्योंकि सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान भारत में चलेगा और भारत में टीका उपलब्ध होना हमारे भारतीय वैज्ञानिकों की सबसे बड़ी उपलब्धि है। मोदी जी के अनुसार भी अब कोविड मुक्त भारत की मुहिम को बल मिलेगा। यहां तक की कोविशील्ड-कोवैक्सीन को डब्ल्यूएचओ ने सराहा है।
इससे फिर स्वामी विवेकानंद जी की कहनी को कहती हूं उपहास विरोध के बाद इसकी स्वीकृति होकर ही रहेगी। सभी देशवासियों से, विभिन्न पार्टी के नेताओं से प्रार्थना है कि पहले अपने आप पर फिर देश के डाक्टर, वैज्ञानिकों पर और मोदी जी पर विश्वास करके चलें। आम जनता को किसी भ्रम में न डालें। आधी चीजें तो भ्रम से खराब हो जाती हैं और विश्वास से सफल होती हैं। यही नहीं लोगों का सब्र समाप्त हो रहा है। सबको रोजमर्रा जिन्दगी में आने की जल्दी है। सब माताएं आनलाइन पढ़ाई से तंग हो चुकी हैं। आधे से ज्यादा माताएं कहती हैं कि जल्दी स्कूल शुरू होने चाहिए क्योंकि बाकी राज्यों में शुरू हो गए हैं तो दिल्ली में क्यों नहीं। सब्र रखने वाली माताएं कहती हैं कि जब तक पूरी तरह सुरक्षित माहौल न हो तब तक स्कूल नहीं खुलने चाहिए। पूरी तरह वैक्सीन आ जाए माताओं, अध्यापकों और बच्चों को लग जाए तभी खुलें।
हालांकि दिल्ली के उपमुख्यमंत्री सिसौदिया साहब, मुख्यमंत्री श्री केजरीवाल के आदेश पर स्कूल-कालेजों को चरणबद्ध तरीके से खोले जाने के मामले में गम्भीरतापूर्वक विचार कर रहे हैं और उनका मानना है कि बच्चों की सुरक्षा और स्वास्थ्य को दांव पर नहीं रखा जा सकता। हम इस सोच का स्वागत करते हैं परन्तु यह भी सच है कि हमने कोरोना को नए-नए रूपों में देख लिया और इसकी बार-बार आने वाली लहर को भी देख लिया। इसके नुक्सान भी झेल लिए लेकिन यह भी तो सच है कि कोरोना के चलते हमने सोशल डिस्टैंसिंग के नियमों का पालन करते हुए मास्क लगाकर तकनीक अपना कर आनलाइन क्लासों को स्कूल-कालेज में ईजाद कर दिया तो इसके लिए यह भी कहा जा सकता है कि हम तकनीक में अब अपडेट हो रहे हैं। क्योंकि जो मोबाइल कल तक बातचीत करने, एसएमएस करने और व्हाट्सअप तक सीमित था वह आज आनलाइन से जुड़ गया है और हमारे घरों में शिक्षा के मामले में इसने हमें बहुत कुछ सिखला दिया। सोशल मीडिया पर उस दिन मैं अनेक बड़े स्कूलों के शिक्षकों की भावनाओं की अभिव्यक्ति से रूबरू हो रही थी जिसका सार यही है कि सब शिक्षक भी अब यही चाहते हैं कि दिल्ली में स्कूल-कालेज खुल जाएं। यहां तक कि नर्सरी के बच्चे भी यही चाहते हैं कि स्कूल-कालेज खुल जाने चाहिए। आनलाइन शिक्षा ने हर किसी को घरों में इस कद्र व्यस्त कर दिया है कि अनेक दिक्कतें भी सामने आने लगी हैं।
हमारा मानना है कि आनलाइन शिक्षा ने एक नई व्यवस्था दी है, लेकिन हमारे समाज में अमीर-गरीब और मध्यम वर्ग सभी तरह के लोग हैं। आनलाइन व्यवस्था अगर चल रही है तो जिन बच्चों के पास अपना मोबाइल है उनके लिए दिक्कत नहीं है लेकिन कई घरों में एक-एक मोबाइल है। घर में महज एक या दो कमरे हैं तो वहां कई-कई पीरियड आनलाइन से चलेंगे तो एक नई मुश्किल भरी व्यवस्था खड़ी होती है जो उन्हें परेशान करती है। सोशल मीडिया पर ही कहा जा रहा है कि अगर अन्य राज्यों में स्कूल-कालेज खोले जा रहे हैं तो फिर दिल्ली में भी यह शुरूआत माता-पिता की मर्जी और बच्चों की सुरक्षा सामने रखते हुए ही होनो चाहिए। हम इतना कहना चाहते हैं कि सब सुरक्षित रहें, स्वस्थ रहें और अपने-अपने घरों में ठीक रहें। शिक्षा व्यवस्था गुरुकुल से लेकर अगर आज स्कूल-कालेजों तक पहुंची हुई है तो फिर यह अब अपने पुराने रूप में आ जाए तो ज्यादा अच्छी बात है। सरकार केन्द्र में मोदी जी की हो या राज्यों में अन्य सरकारें हों सभी कोरोना काे खत्म करके एक अच्छा सिस्टम चला रही हैं और शिक्षा में भी सब कुछ सामान्य हो जाए हमारी यही प्रभु से प्रार्थना है। सो कुल मिलाकर जिन्दगी के हर पल उपहास, विरोध और स्वीकृति चलती रहेगी।