पटना : बिहार में उच्च शिक्षा के सुधार-प्रयासों को और तेज करते हुए इसे गुणवत्तापूर्ण, रोजगारपरक और आधुनिक युग की आवश्यकताओं के अनुरूप बनाया जाएगा। राज्य की उच्च शिक्षा के बारे में काफी निराशाजनक बातें बाहर में कही-सुनी जाती रही हैं; परन्तु अब इसमें गंभीरतापूर्वक सार्थक सुधार के जो प्रयास शुरू किए गए हैं, उनके नतीजे भी दिखने लगे हैं।
उक्त बातें राज्यपाल-सह-कुलाधिपति सत्यपाल मलिक ने आज राजभवन में, च्वाइस बेसड क्रेडिट सिस्टम विषय पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला को उद्घाटित करते हुए कही। राज्यपाल ने कहा कि किसी भी राष्ट्र की समृृद्धि उसकी आधारभूत संरचनाओं से ज्यादा उसकी शिक्षा-व्यवस्था की मजबूती पर निर्भर करती है।
राज्यपाल श्री मलिक ने कहा कि बिहार में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सकल नामांकन अनुपात मात्र 14.4 प्रतिशत है, जबकि राष्ट्रीय अनुपात 24.5 प्रतिशत है। राज्यपाल ने कहा कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सुधार-प्रयासों के कार्यान्वयन हेतु सजगता, पारदर्शिता और पूरी तत्परता आवश्यक है। साथ ही हमें इस दिशा में आगे बढ़ते हुए सामाजिक और लैंगिक विषमता पर भी पूरा ध्यान देना होगा।
श्री मलिक ने कार्यशाला के प्रतिभागी राज्य के सभी कुलपतियों एवं संकायाध्यक्षों का आह्वान करते हुए कहा कि सामूहिक और उत्तरदायित्वपूर्ण ढंग से किए जानेवाले प्रयासों के बल पर ही राज्य में उच्च शिक्षा में गुणात्मक सुधार नजर आएंगे।
उन्होंने विश्वविद्यालयों में सुशिक्षित, सक्षम एवं कौशलपूर्ण मानव-संसाधनों की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि नई सार्थक अकादमिक पहलों के साथ-साथ, ठोस रणनीति भी सुधार-प्रयासों के लिए बेहद जरूरी है।
कार्यक्रम को यूजीसी के पूर्व अध्यक्ष प्रो. वेद प्रकाश, केन्द्रीय विश्वविद्यालय, हरियाणा के प्रो.आदित्य सक्सेना ने भी संबोधित किया। कार्यशाला में स्वागत-भाषण करते हुए राज्यपाल के प्रधान सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा ने कहा कि राज्यपाल सचिवालय उच्च शिक्षा में सुधार-प्रयासों को चरणबद्ध रूप से कार्यान्वित करेगा।
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