असम में इस साल इंसान-हाथी के बीच टकराव खतरनाक स्तर तक पहुंच गया और इससे संरक्षणवादियों की मुश्किलें बढ़ गयी हैं साथ ही राज्य सरकार इस मुद्दे से निपटने के लिए कदम उठाने के वास्ते बाध्य हो गई है। वन विभाग के मुताबिक, इस साल 70 हाथी मारे गये हैं जिसके पीछे ट्रेन की चपेट में आने से लेकर जहर देने और करंट लगने तक जैसे कारण शामिल हैं। अप्राकृतिक तरीके से 48 हाथियों की मौत हुयी हैं।
हालांकि, संरक्षणवादियों का दावा है कि यह आंकड़ा 70 तक जा सकता है। घायल हाथी अक्सर पड़ोसी राज्यों में भटक जाते हैं और यहां तक कि वे भूटान और बांग्लादेश चले जाते हैं। वन विभाग के एक अनुमान के मुताबिक, इस साल नवंबर तक हाथियों के कुचले जाने के कारण कुल 48 लोगों की मौत हुयी है।
शुष्क मौसम के दौरान जब पशु अपने ठिकानों से भोजन और पानी की तलाश में बाहर निकलते हैं तो इंसान के हताहत होने के ज्यादातर मामले सामने आते हैं। असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने सोनितपुर जिले में पांच हाथियों के एक ट्रेन की चपेट में आने की हालिया घटना पर चिंता व्यक्त की है और वन विभाग को संकटों से निपटने के लिए ठोस उपाय करने के निर्देश दिये हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि हाथियों की मौतों की संख्या में बढ़ौतरी एक गंभीर चिंता का विषय है।
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