तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) ने प्रौद्योगिकी सलाहकार हरि प्रसाद वेमुरू को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू के साथ निर्वाचन आयोग (ईसी) भेजने का यह कहते हुए बचाव किया है कि उन्हें अतीत में निर्वाचन आयोग ने आमंत्रित किया था, जबकि वह ईवीएम चोरी के एक मामले में कथित रूप से संलिप्त थे। तेदेपा ने ईसी को अपने जवाब में आरोप लगाया कि मुद्दे पर ध्यान देने के बदले निर्वाचन आयोग उसे नजरअंदाज करने की कोशिश कर रहा है।
तेदेपा के राज्यसभा सदस्य और पार्टी की विधि प्रकोष्ठ के प्रभारी के. रविंद्र कुमार ने ईसी को एक पत्र भेजा। इसके पहले ईसी ने इस सवाल के साथ शनिवार को सत्ताधारी पार्टी तेदेपा को एक नोटिस जारी किया था कि नायडू ने एक ऐसे व्यक्ति को प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा कैसे बनाया, जो ईवीएम चोरी के मामले में आरोपी है। ईसी ने कहा कि इस तरह की पृष्ठभूमि वाले व्यक्ति पर भरोसा नहीं होता और उसने तेदेपा से कहा कि वह ईवीएम मुद्दे पर सोमवार को निर्वाचन आयोग के साथ बातचीत के लिए कोई दूसरा विशेषज्ञ भेजे, जिसकी पृष्ठभूमि ऐसी न हो।
तेदेपा के विधि प्रकोष्ठ को यह नोटिस ऐसे समय में भेजा गया है, जब इसके पहले शनिवार को नायडू के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने मतदान संबंधी मुद्दों पर चर्चा के लिए ईसी से मुलाकात की थी, जिसमें ईवीएम की कार्यप्रणाली से संबंधित मुद्दे भी शामिल थे। तेदेपा ने अपने प्रौद्योगिकी सलाहकार के प्रति ईसी के रुख को लेकर सख्त आपत्ति जताई है। हरि प्रसाद के खिलाफ 2010 में मुंबई में एम.आर.ए. मार्ग पुलिस थाने में ईवीएम चोरी के मामले में एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
कुमार ने लिखा है, ‘मेरी जानकारी में नौ वर्षो बाद भी उपरोक्त अपराध में कोई आरोप-पत्र दाखिल नहीं किया गया है।’ तेदेपा ने यह भी कहा है कि हरि प्रसाद पहले भारतीय हैं, जिन्हें इलेक्ट्रॉनिक फ्रंटियर फाउंडेशन (अमेरिका) की तरफ से ईएफएफ पायोनीर अवार्ड 2010 से सम्मानित किया गया था। तेदेपा ने दावा किया कि हरि प्रसाद के प्रयासों को पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्तों एस.वाई. कुरैशी और वी.एस. संपत ने सराहा था और उनके सुझावों को सकारात्मक रूप से लिया था। इसके कारण ही वीवीपैट की डिजाइन तैयार हो पाई थी। ईसी ने 2011 में वीवीपैट के पहले फील्ड परीक्षण में हिस्सा लेने के लिए प्रसाद को आमंत्रित किया था।