राजनीति में कब क्या बदल जाए कुछ नहीं कहा जा सकता। इस बात का अहसास राजनीतिक पार्टियों को है या नहीं, हम नहीं जानते लेकिन जिस तरह से मौजूदा हालात करवट ले रहे हैं उससे लगता है कि कांग्रेस अब राहुल गांधी की देखरेख में सही ट्रैक पर आ रही है। राहुल गांधी इस समय कांग्रेस के उपाध्यक्ष हैं और पिछले दिनों उनके बारे में विशेष रूप से उनकी कार्यशैली को लेकर तरह-तरह के कमेंट सोशल साइट पर देखे जा सकते थे। सब कुछ उनके विरुद्ध जाने लगा और भारतीय लोकतंत्र में एक अवधारणा यह भी बनने लगी थी कि कांग्रेस विपक्ष की भूमिका सही तरीके से निभा नहीं पा रही है लेकिन अब सोशल साइट्स पर राहुल गांधी को जबर्दस्त रिस्पोेंस मिलने लगा है तो क्यों, इसे लेकर राजनीतिक विश्लेषक अपनी कयासबाजी में सक्रिय हो गए हैं।
जब से राहुल गांधी ने अमेरिका का दौरा कर अलग-अलग संगठनों के प्रतिनिधियों से हुई मुलाकात के बाद अंतर्राष्ट्रीय मीडिया के सामने अपनी बात एक अलग अंदाज में रखी है तो राहुल के बारे में जो छवि बन रही थी वह अब एक आक्रामक नेता के रूप में बनने लगी है। राजनीति में आक्रमण ही सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। हम समझते हैं कि राहुल गांधी की टीम में यंग लोग जिस तरह से काम कर रहे हैं वे सब विपक्ष की सही भूमिका निभाने लगे हैं। बात भाजपा पर हमले की हो या बड़े नेताओं को निशाने पर लेना हो तो वह अब अपनी बात ज्यादा खरे तरीके से रखने लगे हैं। राजनीतिक जमीन पर होमवर्क और रिसर्च वर्क सही चल रहा है। खुद वह हर चीज का मूल्यांकन कर रहे हैं। हर रणनीति को अंजाम दे रहे हैं।
गुजरात में जिस तरह से वह डटे हुए हैं और मध्य प्रदेश और राजस्थान में जिस प्रकार वह हर मोर्चे पर निगाह रख रहे हैं तो जनता का अच्छा रिस्पोन्स सामने आने लगा है। राजस्थान में सचिन पायलट तो मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया अपनी ड्यूटियां शानदार तरीके से निभा रहे हैं। खुद राहुल चुनावी राज्य गुजरात में जनता से रूबरू होकर नोटबंदी और जीएसटी के नफे-नुकसान को लेकर सरकार पर हमला बोल रहे हैं। राहुल की टीम के सचिन पायलट ने राजस्थान में जिस तरह से पेट्रोल-डीजल मूल्य वृद्धि को लेकर हमला बोला और इसके लिए जिस तरह से जनता को अपने साथ जोड़ा, लोग कांग्रेस के लिए अब नकारात्मक नहीं बल्कि सकारात्मक बातें करने लगे हैं। इसी तरह से मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी पिछले दिनों पेट्रोल-डीजल मूल्य वृद्धि के खिलाफ अभियान चलाया और वहां भी जनता कांग्रेस के साथ जुड़ने लगी। लोग कहने लगे हैं कि सरकारें शासन में आकर विपक्ष की आवाज को दबा नहीं सकतीं।
लोग राहुल और उनकी टीम को एक नई यंग टीम और ऊर्जावान टीम के रूप में देखते हुए अब उनसे यह उम्मीदें लगा रहे हैं कि भविष्य में कांग्रेस उनके हितों का ध्यान रख सकती है।राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप बड़ी आम बात है। कांग्रेस विशेष रूप से राहुल गांधी ने संसद के बाहर और संसद के अंदर अपनी बात कहते हुए सरकार के हमलों को झेला है। उन पर तरह-तरह के आरोप भी लगे। आरोप-प्रत्यारोपों का दौर तेज भी हुआ परंतु राहुल अपने काम में लगे रहे। गुजरात में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल का राज्यसभा चुनाव जीत कर आना इसके पीछे राहुल की रणनीति काम कर रही थी, जबकि भाजपा की ओर से बराबर यही प्रचार किया गया कि कांग्रेस के कई विधायक पार्टी को छोड़कर भाजपा से जुड़ रहे हैं परंतु राहुल की रणनीति के मुताबिक कांग्रेस चुप रही और पर्याप्त बहुमत जुटाकर राज्यसभा चुनाव जीत लिया।
महंगाई अगर बढ़ रही है (आंकड़े गवाह हैं ) तो इसकी वजह जीएसटी और नोटबंदी को भी अनेक अर्थशास्त्री कारण मान रहे हैं। विकास दर का घटना और मुद्रास्फीति का बढ़ना ये अर्थव्यवस्था के लिए अच्छे संकेत नहीं तो राहुल गांधी ने बराबर यही संदेश देते हुए इन मुद्दों पर देश का ध्यान अपनी ओर खींचा है। अब राजनीतिक विश्लेषक इसीलिए कहने लगे हैं कि उन्हें उपाध्यक्ष बनाकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सही किया। राहुल की रणनीति को विश्लेषक इसलिए भी सही मानते हैं कि वह सोनिया गांधी के साथ-साथ प्रियंका गांधी और अन्य पुराने वफादारों से भी बराबर डिस्कस करते हैं। अब यही राजनीतिक विश्लेषक कहने लगे हैं कि अक्तूबर के अंत या नवंबर के शुरू में अगर अध्यक्ष पद पर राहुल की ताजपोशी हो जाती है तो उससे उनका वर्किंग स्टाइल और भी बेहतर तरीके से निखरकर सामने आएगा। इशारों ही इशारों में राहुल गांधी सरकार पर हमला बड़े कारगर तरीके से बोलने लगे हैं। आने वाला वक्त राहुल के लिए अच्छा है और पार्टी वर्करों में वह हर राज्यों में ऊर्जा भरने की भी रणनीति को अंजाम दे रहे हैं।
सही दिशा में सही काम हो रहा है, ऐसे दावे अब सोशल साइट्स पर विशेषज्ञ करने लगे हैं। ट्वीटर पर राहुल गांधी और उनकी टीम खुद सक्रिय है। इसीलिए सही मुद्दे उठाए जा रहे हैं। आने वाला वक्त अब कैसा होगा, इस बात को लेकर सरकार को भी बहुत कुछ सोचना होगा। विपक्ष के रूप में राहुल ने अपना स्टैंड नहीं बदला और सही मुद्दे सही वक्त के साथ उठने लगे हैं वरना कल तक इनमें मैचिंग और टाइमिंग नहीं थी परंतु उन्होंने सही मुद्दे सही वक्त पर उठाकर अपने प्रति इमेज भी बदली है। राजनीति में उतार-चढ़ाव चलते रहते हैं। राहुल ने कल तक उतरन देखी और अब वह चढ़ाव की राह पर हैं तो कांग्रेस के लिए ये अच्छे दिन जरूर हैं लेकिन फिर भी सही जवाब तो सही वक्त पर मिलेगा। यह सही वक्त फिलहाल राज्य चुनावों से जोड़कर देखा जाना चाहिए लेकिन कल तक जो भीड़ कांग्रेस खेमे से गायब थी वह अब दिखाई देने लगी है या लौट आई है, इसे किस नजरिए से देखा जाए, कांग्रेस इसे पॉजिटिव रिस्पाेंस मान रही है। राहुल को इसका श्रेय दिया जा रहा है और लोग सोशल साइट्स पर कहने लगे हैं- राहुल तुम आगे बढ़ो हम तुम्हारे साथ हैं। देखना है कि वह कितना आगे बढ़ते हैं और उन्हें कितना साथ मिलता है, इसका जवाब भी वक्त देगा।