दुनिया को अलविदा कह गए पंकज उधास, जानें कैसे बने 'ग़ज़ल बादशाह ' Pankaj Udhas Bids Goodbye To The World, Know How He Became 'Ghazal Badshah'

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दुनिया को अलविदा कह गए पंकज उधास, जानें कैसे बने ‘ग़ज़ल बादशाह ‘

कल शाम बॉलीवुड इंडस्ट्री से बेहद दुःख भरी खबर सामने आयी, ग़ज़ल गायक पंकज उधास ने 72  साल की उम्र में अंतिम सास ली और दुनिया को अलविदा कह गए। गजलों को फिल्मों में पॉप्युलर बनाने वाले, ‘ना कजरे की धार’, ‘चिट्ठी आई है…’, ‘चांदी जैसा रंग है तेरा’ जैसे न जाने कितने गानों को अपनी आवाज देने वाले पंकज उदास ने अपनी आवाज़ से लोगो के दिलों पर राज़ किया, दुनिया से जाने के बाद भी वो लोगो के दिलों में हमेशा बसे रहेंगे।

  • ग़ज़ल गायक पंकज उधास ने 72  साल की उम्र में अंतिम सास ली और दुनिया को अलविदा कह गए।
  • दुनिया से जाने के बाद भी वो लोगो के दिलों में हमेशा बसे रहेंगे। 

कौन थे पंकज उधास?

पंकज उधास का जन्म गुजरात के जेतपुर में 17 मई 1951 को हुआ था। 1980 में गजल एल्बम ‘आहट’ से शुरुआत करने के बाद उन्होंने ‘मुकरार’, ‘तरन्नुम’ औ ‘महफ़िल’ जैसे एल्बम से पॉप्युलैरिटी हासिल की थी। तीन साल में ही उन्होंने मनोरंजन जगत में अपनी पहचान बना ली थी। इसके अलावा पंकज उधास ने महेश भट्ट की फिल्म ‘नाम’ में गाना ‘चिट्ठी आई है’ गाया और वो रातोंरात सुपरहिट हो गया। भावनगर से स्कूलिंग करने के बाद मुंबई के सेंट जेवियर्स कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। वहीं, इनके पिता केशुभाई उधास एक सरकारी कर्मचारी थे। केशुभाई की मुलाकात प्रसिद्ध वीणा वादक अब्दुल करीम खान से हुई थी, जिन्होंने बाद में पंकज को ‘दिलरुबा’ वाद्ययंत्र बजाना सिखाया था।

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कैसे बने ग़ज़लों के बादशाह? 

जब मनहर एक स्टेज परफॉर्मर हुआ करते थे, तब पंकज सिर्फ पांच साल के थे। भाई को गाता देख, उन्हें भी गायक बनने की इच्छा जागी और फिर उनके पिता ने उन्हें भी म्यूजिक इंस्टीट्यूट में डाल दिया। साल 1962 में इंडो चाइना युद्ध के दौरान पंकज उधास ने अपना पहला स्टेज परफॉर्मेंस दिया था। उन्होंने गाया था ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’। पंकज के इस गाने को उस वक्त इतना पसंद किया गया कि लोगों ने उन्हें 51 रुपये भेंट किया था। स्टेज परफॉर्मेंसेज के दौरान पंकज उधास अपने संगीत को और निखार देने के लिए संगीत नृत्य एकेडमी से तालीम भी हासिल कर रहे थे।

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सर्वश्रेष्ठ ग़ज़ल गायक के लिए मिला पुरस्कार

2006 में पंकज उधास को ग़ज़ल गायन की कला में उनके योगदान के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया, उनके ग़ज़ल गायन के 25 वर्ष पूरे होने के अवसर पर कैंसर रोगियों और थैलेसीमिक बच्चों के लिए उनके महान योगदान के लिए उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया था । साथ ही साल 1985 में उन्हें  सर्वश्रेष्ठ ग़ज़ल गायक होने के लिए केएल सहगल पुरस्कारभी दिया गया था।

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आपको बता दें 26 फरवरी की शाम को उनकी बेटी नयाब उधास ने सोशल मीडिया पर जानकारी साझा कर लिखा, ‘भारी दिल के साथ आप सभी को ये दुखद समाद देना पड़ रहा है कि पद्मश्री पंकज उधास अब नहीं रहे। उन्होंने 26 फरवरी, 2024 को अंतिम सांस ली। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे।’

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