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कोरोना को मुंहतोड़ जवाब!

केन्द्रीय स्वास्थ्य मन्त्रालय ने देशवासियों को कोरोना संक्रमण के बारे में जो चेतावनी दी है वह पूरी तरह समस्या से पहले सावधान हो जाने की सलाह है क्योंकि कोरोना संक्रमण चीन के बाद अन्य पूर्वी एशियाई देशों में फैल रहा है।

केन्द्रीय स्वास्थ्य मन्त्रालय ने देशवासियों को कोरोना संक्रमण के बारे में जो चेतावनी दी है वह पूरी तरह समस्या से पहले सावधान हो जाने की सलाह है क्योंकि कोरोना संक्रमण चीन के बाद अन्य पूर्वी एशियाई देशों में फैल रहा है।  इससे पूर्व कोरोना की जो तीन लहरें चली हैं उनका विश्व व्यापी क्रम यह रहा है कि पहले पूर्वी एशिया से दस दिनों के भीतर यह यूरोपीय देशोंं में फैलता है और उसके बाद दस दिनों के बाद अमेरिकी देशों पर हमला करता है और उसके दस दिनों बाद प्रशान्त महासागरीय देशों को अपना निशाना बनाता है। इस प्रकार कोरोना की लहर पूर्वी एशियाई देशों में चलने के 30 या 35 दिनों बाद भारत में आती है। अतः जनवरी महीने में कोरोना के मामले फैलने के आसार हो सकते हैं मगर इससे घबराने की बात नहीं है क्योंकि इस बार न तो अस्पतालों में भीड़ भरने की कोई संभावना है और नहीं कोरोना से मृत्यु होने का खतरा है। इसके बावजूद किसी भी आपातकालीन परिस्थिति का सामना करने के लिए सरकार पूरी तैयारी कर रही है और देशभर के चिकित्सा तन्त्र को असामान्य परिस्थिति का मुकाबला करने के लिए तैयार रख रही है। सरकार ने कोरोना के बारे में अभी तक नियामक प्रणाली नहीं बनाई है मगर हिदायत दी है कि लोग कोरोना नियमावली का पालन करें तो अच्छा है, इससे लाभ ही हो सकता है। 
भारत में कोरोना से ज्यादा घबराने की जरूरत इसलिए भी नहीं बताई जा रही है क्योंकि देश की 90 प्रतिशत से अधिक जनता का दोहरा टीकाकरण हो चुका है जिससे उनमें प्रतिरोधक क्षमता का यथोचित विकास भी हो चुका है। इसके अलावा  कोरोना की तीसरा बूस्टर टीका भी लगाया जा रहा है जिससे वयस्कों को कोई बड़ा खतरा न रहे। चीन के हालात देखकर भी हमें घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि उस देश ने कोरोना की रोकथाम के लिए जो प्रबन्ध किये थे वे उसके अपने मापदंडों पर आधारित थे और उसने अपनी ही वैक्सीन तैयार की थी। यह वैक्सीन कितनी कारगर है इसके बारे में भी ठीक से कुछ नहीं कहा जा सकता है जबकि भारत ने जहां अपनी विश्वस्तर की कोरोना वैक्सीन कोवैक्सीन तैयार की वहीं विश्व की नामी दवा कम्पनियों की वैक्सीन का उत्पादन भी भारत में किया। ये वैक्सीन अन्तर्राष्ट्रीय मापदंडों पर खरा उतरती हैं। अतः भारतीयों में कोरोना प्रतिरोधी क्षमता पहले से ही मौजूद है। 
भारत की यह तैयारी बताती है कि उसने आपदा के समय ही तैयार होने की संस्कृति को अलविदा कह दिया है और आपदा से पहले ही उससे निपटने की संस्कृति को अपना लिया है। इसकी वजह यह भी है कि कोरोना की दूसरी लहर आने से पहले हम लगभग निश्चिन्त हो गये थे और अपने उस समय किये गये उपायों को कारगर समझने लगे थे। मगर कोरोना की दूसरी लहर ने एक झटके में ही हमारे होश उड़ा दिये और लाखों लोगों को अपना ग्रास बना डाला। मगर तीसरी लहर के आते-आते हम सावधान हो गये और हमने कोरोना का डटकर मुकाबला किया। अब जिस चौथी लहर की बात हो रही है उसका सामना करने के लिए देश का चिकित्सा तन्त्र इस प्रकार तैयार कर लिया गया है कि एक भी व्यक्ति इसके कारण मौत के मुंह में न समा सके। अतः सरकार सामाजिक मोर्चे से लेकर आर्थिक मोर्चे तक तैयार रहना चाहती है और अनावश्यक रूप से नागरिकों में डर नहीं पैदा करना चाहती। यह बीमारी महामारी के रूप में किसी भी तरह न फैलने पाये इसके लिए देशभर के चिकित्सालयों को तैयार रखा गया है और पूरे तन्त्र को सावधान कर दिया गया है। पूरी सावधानी बरतते हुए औचक परीक्षण पुनः शुरू कर दिया गया है और अन्तर्राष्ट्रीय हवाई यात्रियों के लिए भी कुछ एेसे कदम उठाये गये गये हैं जिनसे कोराना की चौथी लहर भारत से दूर रहे। अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों पर दो प्रतिशत यात्रियों का औचक परीक्षण यह तय करेगा कि कोरोना का संक्रमण भारत में लेकर आने वाले यात्रियों के साथ संक्रमण प्रतिरोधी व्यवहार किया जाये और चीन से आने वाले प्रत्येक यात्री का सघन परीक्षण हो। हालांकि मास्क पहनने के निर्देश लाजिमी नहीं बनाये गये हैं परन्तु नागरिकों को मास्क लगाने से परहेज नहीं करना चाहिए, खास कर भीड़भाड़ वाली जगहों पर। सरकार छह देशों चीन, द. कोरिया, जापान, थाइलैंड, सिंगापुर व हांगकांग से आने वाले यात्रियों के लिए कोरोना परीक्षण रिपोर्ट आवश्यक बनाने पर विचार जरूर कर रही है मगर किसी भी देश से अन्तर्राष्ट्रीय उड़ानों पर प्रतिबन्ध लगाने के हक में नहीं है।
 पिछले दिनों कोरोना चिकित्सीय प्रबन्धों का जो बनावटी परिचालन किया गया उसमें 20 हजार से अधिक सुविधा केन्द्रों को शामिल किया गया। फिलहाल देश में 2.79 लाख कोरोना समर्पित अस्पताल बिस्तर हैं, 2.45 लाख आक्सीजन सुविधा से लैस बिस्तरे हैं, 64 हजार 711 आईसीयू कोरोना बिस्तर हैं और लगभग 50 हजार एेसे बिस्तर हैं जिनके साथ वैंटीलेटर लगा हुआ है। खतरे से पहले ही उससे मुकाबला करने की रणनीति भारत को कोरोना समस्या का मुकाबला करने की शक्ति देती है और नागरिकों में आत्मविश्वास भी भरती है। अतः कोरोना संक्रमण की आहट से बचने के लिए  प्रत्येक नागरिक को अपनी तरफ से सावधानी बरतनी चाहिए। 

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