बीजद की भारी-भरकम घोषणा पत्र समिति - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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बीजद की भारी-भरकम घोषणा पत्र समिति

ओडिशा के मुख्यमंत्री और सत्तारूढ़ बीजद के अध्यक्ष नवीन पटनायक ने बुधवार को राज्य में एक साथ होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी के चुनाव दस्तावेज का मसौदा तैयार करने के लिए अपने वरिष्ठ नेता चंद्रशेखर साहू की अध्यक्षता में एक ‘घोषणा पत्र समिति’ का गठन किया। वरिष्ठ नेता अमर पटनायक को संयोजक और राज्यसभा सांसद सस्मित पात्रा को सह-संयोजक नियुक्त किया गया है। हालांकि, बीजद ने पार्टी को अपना चुनावी घोषणा पत्र तैयार करने में सक्षम बनाने के लिए लोगों से सुझाव मांगे हैं। पार्टी ने लोगों से अपने इनपुट ई-मेल के जरिए पार्टी कार्यालय को भेजने का अनुरोध किया है। घोषणा पत्र समिति में 38 सदस्यों वाला एक लंबा पैनल है। समिति में महिलाएं, आदिवासी, मुस्लिम, दलिताें और अनिवासी ओडिशा विशेषज्ञों को भी शामिल किया जा रहा है ताकि समाज के सभी वर्गों की आवाज घोषणापत्र में दिखाई दे।
बीरेंद्र सिंह के हाथ थामने से बीजेपी को बड़ा झटका
लोकसभा चुनाव के बीच सर छोटू राम के पोते और पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह का कांग्रेस में जाना हरियाणा की राजनीति में एक बड़ा मोड़ है। ये बीरेंद्र सिंह ही थे, जिन्होंने 68 साल में पहली बार 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हिसार में भारी जीत दिलाई थी। वैसे बीजेपी भी हरियाणा के राजनीतिक और सामाजिक ताने-बाने में बीरेंद्र सिंह की पहुंच से भली-भांति परिचित है।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार बीरेंद्र सिंह को पूरे हरियाणा में लोगों का समर्थन प्राप्त है। जाहिर है कि जींद की उचाना सीट से पांच बार विधायक, दो बार राज्यसभा और एक बार लोकसभा सांसद रह चुके बीरेंद्र सिंह के जाने से आगामी लोकसभा के साथ-साथ विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी को बहुत बड़ा झटका लगा है।
ईवीएम नहीं बैलेट पेपर पर भरोसा
सीपीआई-एमएल ने लोकसभा चुनावों के लिए अपना घोषणापत्र जारी किया और देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) को खत्म करने और मतपत्रों की वापसी की मांग की। वाम दल के चुनाव घोषणा पत्र में 15 विषय हैं, जिनमें लोगों से संबंधित लगभग 60 मुद्दे शामिल हैं। इन मुद्दों में समान नागरिकता, रोजगार सृजन और बेरोजगारी भत्ता, निजी क्षेत्र में आरक्षण, सशस्त्र बलों में भर्ती के लिए अग्निपथ योजना को खत्म करना, श्रमिकों के लिए गरिमा और अच्छा जीवन, कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करना और शहरों में किफायती आवास प्रमुख रूप से शामिल हैं।
घोषणा पत्र में अन्य बाताें के अलावा सार्वजनिक वितरण प्रणाली के सार्वभौमिकरण, आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों पर कड़े नियंत्रण, सभी के लिए शिक्षा, सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने व फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी की भी बात की गई है। लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन के हिस्से के रूप में सीपीआई-एमएल बिहार में तीन सीटों काराकाट, भोजपुर और नालंदा और झारखंड में कोडरमा सीट पर चुनाव लड़ रही है।
पुराने कांग्रेसियों से अटी भाजपा की टीम
पंजाब भाजपा प्रमुख सुनील जाखड़ की टीम पुराने कांग्रेस नेताओं से भरी हुई है, जिनमें प्रमुख हैं फतेह जंग बाजवा (पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा के भाई), हरजोत कमल, अरविंद खन्ना और केवल ढिल्लों।
भाजपा कोर कमेटी में मनप्रीत बादल और राणा गुरमीत सिंह सोढी जैसे अनुभवी कांग्रेसी सदस्य भी शामिल हैं। रवनीत सिंह बिट्टू भी इस माह के शुरुआत में बीजेपी में शामिल हो गए हैं, जिससे नई बीजेपी पुरानी कांग्रेस जैसी दिखने लगी है। कांग्रेस ने 2019 में 13 में से 8 सीटें जीती थीं और भाजपा ने तब शिअद के साथ गठबंधन में चार सीटें हासिल की थीं। शिअद को जहां 27.4 फीसदी वोट मिले थे, वहीं भाजपा को 9.6 फीसदी वोट मिले थे। इस बार अकाली दल अकेले चुनाव लड़ रहा है। क्या टैली का बढ़ना बीजेपी द्वारा मैनेज्ड किया जाएगा या उनका नुकसान शिरोमणि अकाली दल के लिए फ़ायदा होगा?

– राहिल नोरा चोपड़ा 

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