कोरोना वायरस : मुसीबत में भी मुनाफाखोरी - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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कोरोना वायरस : मुसीबत में भी मुनाफाखोरी

कोरोना वायरस को हराने के लिए केन्द्र और राज्य सरकारें हर सम्भव कदम उठा रही हैं, लेकिन भारत में एक बड़ी समस्या यह है कि यहां का निजी क्षेत्र हमेशा की तरह इसकी आड़ में धन कमाने में लग गया है।

भारत द्वारा सावधानी बरतने के बावजूद कोरोना वायरस ने देश में दस्तक दे ही दी है। कोरोना वायरस के संक्रमण का दायरा लगातार बढ़ता ही जा रहा है। दुनियाभर में 80 हजार से ज्यादा लोग इस वायरस से संक्रमित हो चुके हैं। मौतों का आंकड़ा भी 3 हजार से ज्यादा हो चुका है। भारत में संक्रमित लोगों को अलग वार्ड में रखा जा रहा है।
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्षवर्धन रोजाना स्थिति की समीक्षा कर एहतियातन जरूरी कदम उठा रहे हैं। अस्पतालों में आइसोलेशन वार्ड बनाए जा रहे हैं। विदेेशों से आ रहे लोगों की हवाई अड्डों पर थर्मल जांच की जा रही है। कोरोना वायरस को हराने के लिए केन्द्र और राज्य सरकारें हर सम्भव कदम उठा रही हैं, लेकिन भारत में एक बड़ी समस्या यह है कि यहां का निजी क्षेत्र हमेशा की तरह इसकी आड़ में धन कमाने में लग गया है।
बाजार से 26 तरह की दवाइयां जिनमें बुखार के लिए गोलियां और विटामिन शामिल हैं, गायब हो चुकी हैं। इन दवाओं की कीमतें भी बढ़ा दी गई हैं। मास्क तक महंगे दामों में बिक रहे हैं। सैनेटाइजर्स बाजार से गायब हैं, दवा उद्योग मुनाफाखोरी पर उतर आया है। वैसे तो देश भर में हर वर्ष डेंगू, स्वाइन फ्लू जैसी मौसमी बीमारियां फैलती हैं, जब भी सरकारी अस्पतालों में रोगियों की भीड़ लगती है तो प्राइवेट अस्पतालों वाले इलाज को महंगा कर देते हैं।
अनाप-शनाप टेस्ट लिखे जाते हैं। व्यक्ति को डेंगू हो या न हो उसे आतंकित कर लूटा जाता है। अस्पताल और  लैब वाले चांदी कूटते हैं। बाजार से साधारण बुखार की दवाइयों का गायब होना समाज का वह रूप प्रदर्शित करता है जिसमें नागरिकों की जान की कोई परवाह नहीं, इंसान की जान भले ही चली जाए, इसे तो केवल अपनी कमाई की चिंता है। कैमिस्टों की दुकानों में दवाइयों का भंडार है भी तो गोलियों का एक-एक पत्ता महंगे दामों पर बेच रहा है।
यह सही है कि दवाएं बनाने के लिए काफी कच्चा माल चीन से आता है जो अब बंद हो  चुका है। दवा उद्याेग हो या भारत का कोई और उद्योग उसे तो चीन से आने वाले सामान का विकल्प मेक इन इंडिया के तहत तैयार करना चाहिए। इसका फायदा यह होगा कि बहुत सा छोटा-मोटा सामान भारत में ही बनेगा और इससे लघु एवं कुटीर उद्योगों का विकास हो सकता है। अनेक वस्तुओं का उत्पादन बढ़ सकता है और निर्यात के अवसरों का मौका भी मिल सकता है।
मुसीबत में भी मुनाफाखोरी का खेल कुछ दिनों तक ही चल सकता है। भारतीय उद्योगों  को दीर्घकालीन रणनीति पर काम करना चाहिए। बाजार पहले ही सहमा पड़ा है। चीन से आयात में कमी आई है जिससे भारत का दवा उद्योग, वाहन उद्योग, स्टील उद्योग, खिलौना कारोबार, इलैक्ट्रानिक्स, बिजली के उपकरण, केमिकल, हीरा कारोबार आदि में ​मुश्किलें बढ़ गई हैं।
भारत में दूसरी बड़ी चुनौती यह है कि किसी भी आपदा में लोग संवेदनशील ढंग से प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं करते। कुछ भी हो जाए अफरातफरी का माहौल पैदा हो जाता है। ऐसे माहौल में लोग आवश्यक वस्तुओं की खरीददारी के ​लिए बाजारों की तरफ दौड़ने लग जाते हैं। ऐसी स्थिति में वस्तुओं का भंडारण शुरू हो जाता है और बाजार में कृत्रिम अभाव पैदा हो जाता है।
सबसे बड़ी समस्या सोशल मीडिया भी है जो संकट की स्थिति में  कई तरह की अफवाहें फैलाने के साथ कोरोना वायरस से बचने के ​लिए दवाएं भी सुझाता है। यह सही है कि कोरोना वायरस के प्रति लोगों को जागरूक किया जाना चाहिए लेकिन बेवजह भय का माहौल पैदा किया जाना भी ठीक नहीं है। 2003 में सार्स वायरस ने पूरी दुनिया में आतंक मचा रखा था, लेकिन भारत ने उस वायरस को घुसने नहीं दिया था।
किसी भी महामारी में यह जरूरी हैै कि पूरी सावधानी बरती जाए। बीमारी से बचने के लिए परहेज ही अच्छा होता है। लोगों को स्वस्थ रहने के लिए स्वच्छता और अन्य उपायों पर ज्यादा ध्यान देना होगा। कोेरोना वायरस का खतरा अनुमान से ज्यादा है। इसलिए जरूरी एहतियातन प्रबंध किए जाएं। अभी तक कोरोना वायरस का कोई उपचार सामने नहीं आया है।
कोरोना वायरस को हराने के लिए लोगों को घबराने की बजाय खुद भी उपाय करने होंगे। सरकार द्वारा जारी एडवाइजरी का अनुसरण करना होगा। सबसे ज्यादा जरूरी है कि दु​नयाभिर के देशों को आपसी मतभेद भुलाकर वायरस की काट निकालें क्योंकि 26 देश इससे प्रभावित हो चुके हैं और इसके संक्रमण का प्रभाव हर क्षेत्र पर पड़ रहा है। बाजार, अर्थव्यवस्था, उद्योग और नागरिक इससे प्रभावित हो रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और अन्य भाजपा नेताओं ने कोरोना वायरस के चलते होली मिलन के कार्यक्रमों में शामिल न होने का फैसला किया है, जबकि मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल और उनकी​ पार्टी के नेताओं ने दिल्ली की हिंसा के कारण होली न मनाने का फैसला किया है। होली रंगों का उत्सव है। मेरी सभी से अपील है कि वे होली मनाएं लेकिन दिल्ली की हिंसा और कोरोना वायरस से पैदा हुए हालात को भी ध्यान में रखें। साम्प्रदायिक सद्भाव पैदा करने के लिए सादगी, शालीनता से भी पर्व मनाया जा सकता है।

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