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डार्क वेब की डार्क दुनिया

इंटरनेट हमारी जिंदगी का एक अहम हिस्सा बन चुका है। किसी को कुछ सर्च करना हो या फिर एक छोटी पेमेंट करनी हो, सब कुछ इंटरनेट की मदद से हो रहा है। वैसे इंटरनेट की भी अपनी एक दुनिया है। हमारी रियल लाइफ की तरह ही इस दुनिया में भी बहुत कुछ होता है। इस दुनिया में एक शब्द डार्क वेब है। आपने कई बार हैकिंग से जुड़ी चर्चाओं में डार्क वेब का नाम सुना होगा। कहा जाता है कि ये इंटरनेट की वो काली दुनिया है, जहां कई ‘अवैध काम’ होते हैं। डार्क वेब भी इंटरनेट के अंडरवर्ल्ड की तरह ही है। हैकर्स आपके निजी डेटा को इसी डार्क वेब के जरिए बेचते हैं। साइबर एक्सपर्ट्स की मानें तो यह इंटरनेट की वह दुनिया है, जहां पर्दे के पीछे अवैध काम होते हैं। इंटरनेट की इस अंधेरी दुनिया पर फिलहाल देश में कोई रोक-टोक भी नहीं है। डार्क वेब देश के युवाओं में तेजी से अपना जाल फैला रहा है। डार्क वेब के कुछ हिस्से तो लीगल गतिविधियों के लिए होते हैं, जैसे कि करेंसी एक्सचेंज, क्रिप्टोकरेंसी की खरीददारी, ब्लॉगिंग प्लेटफार्म्स, और गोपनीय संवाद आदि के लिए, हालांकि, डार्क वेब अधिकतर गैर-कानूनी गतिविधियों और अनैतिक सामग्रियों के लिए प्रसिद्ध है, जैसे कि ड्रग्स, हैकिंग सर्विसेज, स्टोलन डेटा, और अन्य कानूनी गुनाहों के लिए सामग्रियाँ बेचने और खरीदने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। इंटरनेट सर्फिंग करने पर कोई आइपी एड्रेस (इंटरनेट प्रोटोकॉल पता) इस्तेमाल करने वालों के कंप्यूटर पर दर्ज नहीं रह पाता है और न ही कंप्यूटर की सर्फिंग हिस्ट्री से ही इसका पता लगाया जा सकता है।
यह अपने आप वीपीएन (वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क) पैदा करता रहता है। अगर दिल्ली में बैठे डार्क वेब यूजर को अगर पुलिस ट्रेस करना चाहे, तो उसका आइपी पता लंदन या डेनमार्क का भी निकल सकता है। यह खतरनाक सिलसिला देहात तक भी पहुंच रहा है। जिस तरह से समुद्र की सतह और पानी के नीचे कुछ हिस्से तक तो हमारी पहुंच होती है, लेकिन एक हिस्सा ऐसा भी जहां तक अभी तक कोई नहीं पहुंचा है। डार्क वेब इंटरनेट की दुनिया का वही हिस्सा है। इस हिस्से तक बहुत कम लोगों की पहुंच है। साइबर वर्ल्ड की ये दुनिया अवैध कामों का ठिकाना माना जाता है। वैसे तो डार्क वेब का इस्तेमाल गैरकानूनी नहीं है, लेकिन इसके कई खतरे होते हैं। यहां आप स्कैम, संदिग्ध सॉफ्टवेयर या सरकारी मॉनिटरिंग का शिकार हो सकते हैं। यही वजह है कि सामान्य यूजर्स को इंटरनेट की इस दुनिया से दूर रहने की सलाह दी जाती है। महाराष्ट्र, खासकर मुंबई, में डार्क वेब का इस्तेमाल देश में सबसे ज्यादा होता है। अमूमन इस के जरिये अवैध हथियारों की खरीद-फरोख्त, वेश्यावृत्ति के धंधे और नशीले पदार्थों की तस्करी की बात पुलिस की जानकारी में भी आ चुकी है।
सबसे सनसनीखेज जानकारी जो यहां के कुछ यूजर्स से मिली, वह यह है कि अवैध हथियारों की अब होम डिलीवरी भी होने लगी है। पूरा हथियार एक बार में घर नहीं आता है. इनकी आपूर्ति करने वाले हथियार के पुर्जे अलग-अलग कर कूरियर के जरिये भेजते हैं और फिर एक शख्स घर आकर पूरी असेंबली कर जाता है। ऐसे हथियार मुंबई के युवा शौकिया रखते भी देखे जा सकते हैं। इसके अलावा डार्क वेब का उपयोग आतंकवादी सामग्री परोसने के लिए भी कि​या जा रहा है। डाक वेब के जरिए आतंकवादियों की भर्तियां भी की जा रही हैं। आतंकवादी गुट कट्टरपंथ के ​लिए साइबर आतंकवाद आनलाइन कट्टरपंथ मनी लॉड्रिंग से मिलने वाले फंड को ड्रग्स आैर आतंकवाद में लगाने के लिए डार्क वेब का तेजी से उपयोग कर रहे हैं।
डार्क वेब पर जो दूसरी सबसे घातक बीमारी पनप रही है, वह है हिंसक बातचीत और वीडियो. दिक्कत की बात पुलिस के लिए यह है कि वह अगर छद्म नामों से खुद डार्क वेब में प्रवेश करती भी है, तो भी इन वेबसाइटों का पता लगाना करीब-करीब नामुमकिन है क्योंकि डार्क वेब की हर वेबसाइट का नाम, आइपी पता और पहचान बदलती रहती है। अगर आपके बैंक खाते में पांच लाख रुपये या उससे अधिक की रकम है, तो लगभग यह तय है कि आपका खाता नंबर और फोन नंबर डार्क वेब पर बिक्री के लिए उपलब्ध है। क्रेडिट कार्ड बेचने वालों, रीयल इस्टेट का कारोबार करने वालों और दान मांगने वाली संस्थाओं के पास ये नंबर डार्क वेब के जरिये ही पहुंचते हैं। चूंकि डार्क वेब पर फिलहाल कोई कानूनी रोक नहीं है, लिहाजा इन वीपीएन तरीकों का इस्तेमाल कर मार्केटिंग एजेंसियां भी आइपी पते के खुलासे के बिना नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए फोन करती रहती हैं। लॉ एनफॉर्समेंट एजेंसियों की डार्क वेब पर नजर रहती है। आम यूजर अगर डार्क वेब में जाने की कोशिश करते हैं, तो सरकारी एजेंसियां उस पर निगरानी रखना शुरू कर देती हैं। इसलिए सामान्य यूजर्स को इससे दूर रहने की सलाह दी जाती है। डार्क वेब में एंटर करना इसलिए भी खतरनाक है, क्योंकि आपका डिवाइस जैसे कि मोबाइल, कम्प्यूटर, लैपटॉप, टैबलेट आदि इसकी वजह से अवैध या संदिग्ध सॉफ्टवेयर के शिकार हो सकते हैं।

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