भारत अब हाईवे के नए युग में पहुंच चुका है। बुनियादी ढांचा किसी भी देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी माना जाता है। बुनियादी ढांचे में सड़क, रेलवे और एयरपोर्ट तक आते हैं। बुनियादी ढांचे के विकास को लेकर एक नजर डालें तो हमें काफी कुछ बदला हुआ नजर आता है। 2014 से पहले और उसके बाद का अंतर हमें साफ दिखाई देता है। राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण और विस्तार 77,400 किलोमीटर को छूने लगा है। खास बात यह है कि यह निर्माण और विस्तार अप्रैल 2014 से लेकर अक्तूबर 2022 के दौरान हुआ है। देश में नैशनल हाईवे के कुल नेटवर्क का आधा काम किए जाने का श्रेय मोदी सरकार को दिया जाना चाहिए। पथ परिवहन एवं राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि भारत में राजमार्गों के निर्माण तीव्र गति से जारी हैं। भारत का रोड नेटवर्क दुनिया का सबसे बड़ा नेटवर्क बन चुका है। पिछले पांच वर्षों के दौरान महाराष्ट्र में 10,457 किलोमीटर, राजस्थान में 4,367 किलोमीटर, उत्तर प्रदेश में 4,012 किलोमीटर, मध्य प्रदेश में 3,882 किलोमीटर तथा सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में 54,705 किलोमीटर राजमार्गों का निर्माण हुआ है। देश के दूरदराज के क्षेत्रों तक सड़क सम्पर्क बढ़ाने की दिशा में केन्द्रीय परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के नेतृत्व में तेज गति से काम हुआ है। मंत्रालय ने 50 किलोमीटर प्रतिदिन नैशनल हाईवे बनाने का लक्ष्य रखा है। जबकि वर्ष 2020-21 में नैशनल हाईवे निर्माण की गति 37 किलोमीटर प्रतिदिन थी। सड़क निर्माण कार्य में भारत विश्व रिकार्ड तक कायम कर चुका है। भारत ने कम से कम समय में 75 किलोमीटर की लम्बी सड़क बनाकर यह रिकार्ड कायम किया था। कुल 105 घंटे और 53 मिनट में एनएच-53 पर एक ही लेन में सड़क बनाकर गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड बनाया। वर्ष 2025 तक राष्ट्रीय राजमार्ग के नेटवर्क को दो लाख किलोमीटर तक पहुंचाने की दिशा में काम हो रहा है। इसके अलावा एनएचएआई देश में भारतमाला परियोजना को भी लागू कर रहा है, जो भारत का अब तक का सबसे बड़ा राजमार्ग बुनियादी ढांचा कार्यक्रम है, जिसमें 34,800 किलोमीटर के राष्ट्रीय राजमार्ग गलियारों का विकास 5.35 लाख करोड़ रुपए के निवेश से किया गया है। वहीं 22 ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे और प्रवेश-नियंत्रित कॉरिडोर काे भारतमाला परियोजना के हिस्से के रूप में विकसित किया जा रहा है, जिनकी लम्बाई 8,400 किलोमीटर और उसकी पूंजीगत लागत 3.6 लाख करोड़ रुपए तय है। इसका उद्देश्य सिर्फ विकासशील राजमार्गों से अलग हटकर देखना है और इसमें बुनियादी ढांचे की रूपरेखा का समग्र और एकीकृत विकास शामिल है। ‘पीएम गति शक्ति’ जैसी पहल-मल्टी-मोडल कनेक्टिविटी के लिए राष्ट्रीय मास्टर प्लान, विभिन्न मंत्रालयों और राज्य सरकारों की बुनियादी ढांचा योजनाओं को एक साथ लाता है। इसके अलावा देश के लॉजिस्टिक्स बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए, एनएचएआई द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग लॉजिस्टिक्स प्रबंधन लिमिटेड (एनएचएलएमएल) के माध्यम से एनएचएआई के 100 प्रतिशत स्वामित्व वाले एसपीवी के माध्यम से 35 मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क (एमएमएलपी) विकसित किए जा रहे हैं। आज के परिदृश्य में भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग सड़क नेटवर्क की जरूरत बन चुके हैं, क्योंकि वे एक-दूसरे के साथ भारत के उत्तरी, दक्षिणी, पूर्वी और पश्चिमी हिस्से को जोड़ते हैं। भारत के दस सबसे लम्बे राष्ट्रीय राजमार्गों समेत 87 हाईवे राज्यों और शहरों को जोड़कर देश के विकास में और भारतीय अर्थव्यवस्था में योगदान दे रहे हैं। कनैक्टिविटी बढ़ने से आवागमन सहज होता है और हर तरह का व्यापार बढ़ता है। माल की सप्लाई आसान हो गई है।
इन राजमार्गों के निर्माण के साथ आप अपनी कारों को लेकर किसी भी राज्य और शहर की यात्रा कर सकते हैं। शहरों की दूरी कम हो गई है। पूर्वोत्तर भारत में राजमार्गों ने काफी कुछ बदल दिया है। पूर्वोत्तर के राज्यों का आपसी सम्पर्क काफी बढ़ा है। देश में हवाई अड्डों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। मोदी सरकार के कार्यकाल में रेलवे नेटवर्क का विस्तार हो रहा है। इन सब कारकों के चलते भारतीयों का जीवन बहुत सहज और पहले से कहीं अधिक तेज हो चुका है। भारत विकास के नए युग में प्रवेश कर चुका है।
आदित्य नारायण चोपड़ा
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