हमास और इजराइल का युद्ध अब अरब सागर की ओर बढ़ रहा है। अगर अरब सागर में युद्ध का मोर्चा खुला तो इससे भारत प्रभावित होगा। इसलिए भारतीय नौसेना ने मध्य और उत्तरी अरब सागर में सुरक्षा और निगरानी के लिए पांच युद्धपोत तैनात कर दिए हैं। इनके अलावा अब 4 और पैट्रोल वैसल भी तैनात कर दिए गए हैं। नौसेना ने निगरानी के लिए लम्बी दूरी की पी-81 गश्ती विमान और युद्धपोत आईएनएस मोरमुगाओ, आईएनएस कोच्च और आईएनएस कोलकाता को तैनात किया है। पिछले कुछ हफ्तों में लाल सागर, अदन की खाड़ी और अरब सागर में अंतर्राष्ट्रीय शिपंग लेन से गुजरने वाले व्यापारिक जहाजों पर ड्रोन अटैक की घटनाओं में इजाफा हुआ है। ईरान समर्थित हुती विद्रोहियों की ओर से जहाजों को निशाना बनाया गया है।
दरअसल कुछ समय पहले भारतीय तट से लगभग 700 समुद्री मील दूर एमवी रुएन पर समुद्री डकैती की घटना सामने आई है और इसके बाद पोरबंदर से लगभग 220 समुद्री मील अरब सागर में ‘एमवी केम प्लूटो’ पर ड्रोन से हमला हुआ था। जिस समय यह हमला हुआ उस समय इस जहाज में 21 भारतीय और वियतनाम का एक नागरिक सवार था। इन घटनाओं के बाद भारतीय नौसेना ने अदन की खाड़ी क्षेत्र में समुद्री डकैती को रोकने के प्रयासों को बढ़ाने की दशा में इस इलाके में एक स्वदेेशी निर्देशित मिसाइल विध्वंसक पोत तैनात कर दिया था।
इजराइल की ओर से हमास के खिलाफ छेड़े गए युद्ध के विरोध में, ईरान समर्थित हूती विद्रोही पहले लाल सागर से होकर जाने वाले इजराइली जहाजों की निशाना बना रहे थे लेकिन बाद में इन हूती विद्रोहियों ने लाल सागर में कई व्यापारिक जहाजों को भी अपना निशाना बनाया था। जिस वजह से व्यापारिक जहाजों को रूट बदलने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
भारत का ज्यादातर आयात निर्यात मुम्बई, कोच्च, बेंगलुरु, गोवा और चेन्नई से होकर आगे जाता है, इसलिए भारत के लिए यह स्थिति चिंताजनक है। भारत का 80 फीसदी व्यापार समुद्री मार्ग से होता है, इसके साथ ही इसका 90 फीसदी ईंधन समुद्री रास्ते से आता है। ऐसे में समुद्री रास्ते में कोई भी हमला सीधे भारत के कारोबार और इसकी सप्लाई चेन के लिए खतरा बन जाएगा। आज पूरी दुनिया का 12 फीसदी शिपिंग ट्रैफिक लाल सागर और स्वेज नहर से होकर गुजरता है। लाल सागर अदन की खाड़ी में खुलता है और अदन की खाड़ी अरब महासागर में खुलती है। स्वेज नहर भूमध्य सागर में खुलती है। भूमध्य सागर और उसके पीछे पूरा यूरोप है और उसके बगल में अटलांिटक सागर के पीछे उत्तर और दक्षिण अमेरिका ये व्यापारिक मार्ग की पूरी शृंखला है। इसमें कोई भी दिक्कत पूरे वैश्विक कारोबार को नुकसान पहुंचा सकती है।
अगर वाणिज्यक जहाजों को समस्या आती है तो पूरा रूट बदल जाएगा। इसके बाद पूरे सामान की केप ऑफ गुड होप में लाना पड़ेगा। इससे पूरे रूट की लम्बाई 40 फीसदी बढ़ जाएगी। दूरी बढ़ जाने से ज्यादा ईंधन खर्च करना पड़ेगा और व्यापार की लागत बढ़ जाएगी। इससे भारत पर काफी आर्थिक दबाव बढ़ेगा। भारतीय जहाजों पर हमले इसलिए हो रहे हैं क्योंकि हमास और उससे जुड़ी ताकतें इजराइली हमले रुकवाने के लिए भारत पर दबाव डालना चाहती है। हुती विद्रोही हमास समर्थक है। हुती विद्रोही हमलों के जरिए भारत पर दबाव डालना चाहते हैं ताकि वह इजराइली हमले रोकने के लिए पहल कर सके। हुती यमन के अल्पसंख्यक शिया जैदी समुदाय का हथियारबंद समूह है। जिसने 2003 में अमेरिका ओर उसके मित्र देशों के इराक पर हुए हमले के बाद नारा दिया था “अल्लाह महान है, अमेरिका और इजराइल का खात्मा हो, यहूदियों का विनाश हो और इस्लाम की विजय हो। यह सारी दुनिया जानती है कि हूती विद्रोहियों की मदद ईरान कर रहा है। भारत ने जहाजों पर ड्रोन हमलों को काफी गंभीरता से लिया है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने तो दो टूक कह दिया है कि जिन्होंने भी इन हमलों को अंजाम दिया है उन्हें सागर तल से भी ढूंढ निकाला जाएगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी सऊदी प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से बात की है। दोनों नेताओं ने समुद्री सुरक्षा और जहाजों के मुक्त आवागमन की आजादी पर खास जोर दिया है। भारतीय नौसेना इस समय काफी मजबूत है। समुद्री लुटेरों और अन्य समुद्री अपराधों से निपटने का उसे अच्छा खासा अनुभव है। हाल ही में पलक झपकते ही गायब हुए माल्टा के जहाज को भारतीय नौसेना ने ही तुरंत एक्शन में आकर उसे बचाया। भारतीय युद्धपोत मिसाइलों से लैस है और वह किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार है।
आदित्य नारायण चोपड़ा
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