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रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति

रिजर्व बैंक ने लगातार 11वीं बार प्रमुख ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। रेपो रेट बिना किसी बदलाव के साथ चार फीसदी रहेगा जबकि एमएसएफ रेट और बैंक रेट बिना किसी बदलाव के साथ 4.25 प्रतिशत रहेगा

रिजर्व बैंक ने लगातार 11वीं बार प्रमुख ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। रेपो रेट बिना किसी बदलाव के साथ चार फीसदी रहेगा जबकि एमएसएफ रेट और बैंक रेट बिना किसी बदलाव के साथ 4.25 प्रतिशत रहेगा। इस बात का अनुमान पहले से ही था कि रिजर्व बैंक अभी ब्याज दरों में यथास्थिति रखेगा। मौजूदा अनिश्चिंतताओं को देखते हुए रिजर्व बैंक के पास मौद्रिक नीति को सख्त करने की गुंजाइश बहुत सीमित थी। रूस-यूक्रेन युद्ध के हानिकारक प्रभावों के बीच केन्द्रीय बैंक को मुद्रास्फीति को संतोषजनक स्तर पर रखने के​ लिए कदम उठाने के साथ वृद्धि को समर्थन भी प्रदान करना था। इस समय भारतीय अर्थव्यवस्था बहुत बड़ी चुनौतियों से जूझ रही है। 
रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति में चालू वित्त वर्ष के लिए अपने  सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के वृद्धि के अनुमान को घटाया है जबकि महंगाई के अनुमान को बढ़ाया है। रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति की घोषणा के बाद शेयर बाजार बढ़त पर बंद हुआ। इसका अर्थ यही है कि मौद्रिक नीति को लेकर बाजार का रवैया सकारात्मक है। रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति प्रबंधन की तरफ ध्यान केन्द्रित कर पिछली समीक्षाओं की तुलना में स्पष्ट रूप से आक्रामक रुख अपनाया है। इस कदम के साथ ही मौद्रिक नीति समिति ने तीन साल से जारी उदार नीतिगत रुख वापिस लेने का भी संकेत दिया है। वैश्विक भू राजनीतिक स्थिति के प्रभाव को देखते हुए यह समय मुद्रास्फीति प्रबंधन पर ध्यान देने के​ लिए उपयुक्त है। 
पैट्रोल, डीजल और खाद्य पदार्थों और अन्य उत्पादों की कीमतों में बढ़ौतरी की आशंका देखते हुए महंगाई दर का अनुमान 1.2 प्रतिशत बढ़ाकर 5.7 प्रतिशत करना समझदारी भरा निर्णय है। केन्द्रीय बैंक ने अधिक चुस्ती ​दिखाते हुए उसने चालू वित्त वर्ष में उदार रुख को बनाए रखने के बावजूद आने वाले समय में इससे हटने का संकेत दिया। मौद्रिक नीति की घोषणा के तुरन्त बाद दस वर्षीय सरकारी प्रतिभूतियों पर प्रतिफल सात प्रतिशत तक पहुंच गया है और अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि पहली छमाही में मानक प्रतिफल 7.4 प्रतिशत तक बढ़ सकता है। तमाम चुनौतियों के बावजूद भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार संतोषजनक स्थिति में है और वह अर्थव्यवस्था के बचाव के​ लिए पूरी तरह तैयार है। बैंक ने वृद्धि को कायम रखने और मुद्रा स्फीति को काबू रखने के​ लिए थोड़े बदलाव भी किए हैं। आरबीआई आर्थिक प्रणाली में डाली गई 8.5 लाख करोड़ की अतिरिक्त तरलता को क्रमबद्ध ढंग से वापिस लेगा तथा रिजर्व बैंक प्रणाली में पर्याप्त नकदी सुनिश्चित करेगा। बैंक का यह भी कहना है ​कि रबी की फसलों की अच्छी पैदावार से ग्रामीण मांग को समर्थन मिलना चाहिए। सम्पर्क वाली सेवाओं में तेजी आने से शहरी मांग को बढ़ावा मिल सकता है। केन्द्रीय बैंक द्वारा दर को अपरिवर्तित रखने और समायोजन के रुख को जारी रखने का निर्णय टिकाऊ वृद्धि काे समर्थन करने के उसके संकल्प को दर्शाता है। रेपो दर से जुड़े बैंक ऋणों पर ब्याज भले न बढ़े लेकिन कोष की लागत निश्चित रूप से बढ़ेगी।
पहले कोविड फिर रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ रहे असर के बीच भारत के लिए अच्छी खबर यह है कि यहां का ग्रोथ रेट अभी भी तेज है। भारतीय अर्थव्यवस्था अभी भी दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था में शुमार है। केन्द्र सरकार बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर पूरा फोकस किए हुए है। इस क्षेत्र में किए जा रहे ​निवेश से न सिर्फ विकास दर में तेजी आएगी बल्कि बेरोजगारी भी घटेगी। कोविड के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था का रिकवरी रेट भी बढ़ा है। मांग में तेजी की वजह से प्रत्यक्ष कर संग्रहण रिकार्ड तोड़ा हुआ है। मो​बिलटी इंडैक्स, बिजली की मांग वृद्धि हुई है।
अन्तर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थान भी भारतीय अर्थव्यवस्था की बेहतर तस्वीर गढ़ रहे हैं। जहां तक वैश्विक अर्थव्यवस्था की बात है वर्ष 2022 में युद्ध, महामारी और इसके बाद भी मंदी सब कुछ है और यह देखना अपने आप में काफी डरावना है। 2020 के शुरूआत में ही कोरोना वायरस के फैलने के बाद वित्तीय बाजारों में बहुत उथल-पुथल मची रही, फिर भी अभूतपूर्व मौद्रिक और राजकोषीय उपायों में सुधार करने ने काफी मदद की। 24 फरवरी को जैसे ही रूसी सेना ने यूक्रेन में प्रवेश किया बाजार जोखिमों के अधीन नीचे चला गया। प्रतिबंधों के चलते रूस-यूक्रेन से वस्तुओं की सप्लाई में बाधा की आशंका के कारण तेल, गेहूं, उर्वरक, तांबा, एल्यूमीनियम और अन्य वस्तुओं की कीमतें बढ़ गईं, अनिश्चिंतता अभी भी बनी हुई है ले​किन निवेशकों को इसके लिए तैयार रहना होगा। लम्बी अ​वधि के ​​निवेशकों के​ लिए प्रतिष्ठित कम्पनियों में निवेश करने का यह अच्छा समय है। दोहरे संकट के साथ आर्थिक विकास को गति देने की चुनौती भारत के सामने भी है। उम्मीद है कि हम सभी चुनौतियों को पहले की तरह पार कर लेंगे।

आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

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