उप- चुनावों की ‘गर्म-सर्द’ हवा - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

उप- चुनावों की ‘गर्म-सर्द’ हवा

दो राज्यों और दिल्ली नगर निगम के चुनाव के साथ ही चार राज्यों में छह उपचुनाव भी हुए थे जिनके परिणाम भी कम आश्चर्य में डालने वाले नहीं कहे जा सकते।

दो राज्यों और दिल्ली नगर निगम के चुनाव के साथ ही चार राज्यों में छह उपचुनाव भी हुए थे जिनके परिणाम भी कम आश्चर्य में डालने वाले नहीं कहे जा सकते। उत्तर प्रदेश में मैनपुरी लोकसभा सीट के साथ ही रामपुर व खतौली विधानसभा के उपचुनाव हुए जबकि छत्तीसगढ़ में भानुप्रतापपुर, ओडिशा में पदमपुर व बिहार में कुढ़नी विधानसभा सीटों के लिए मतदान हुआ था। इन छह उपचुनावों के परिणाम मिले-जुले रहे हैं और मतदाताओं ने हर पार्टी को खुश होने का मौका दिया है। छत्तीसगढ़ व ओडिशा में परिणाम यहां की सत्ताधारी पार्टियों के पक्ष में गये हैं जबकि उत्तर प्रदेश व बिहार में मतदाताओं ने सत्तारूढ़ पार्टियों की खबर लेने की कोशिश की है। मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में स्व. मुलायम सिंह यादव की पुत्रवधू को शानदार जीत हासिल हुई है। उन्होंने भाजपा के प्रत्याशी रघुराज सिंह शाक्य को दो लाख 88 हजार मतों से पराजित किया। यह सीट स्व. मुलायम सिंह ने पिछले चुनावों में 95 हजार के लगभग मतों के अन्तर से ही जीती थी। डिम्पल यादव ने अब यह समाजवादी पार्टी के टिकट पर लगभग तीन गुणा मतों से जीतने में सफलता प्राप्त की है। मैनपुरी लोकसभा सीट के अन्तर्गत पांच विधानसभा क्षेत्र आते हैं और पांचों में डिम्पल ने अपने प्रतिद्वन्दी पर खासी बढ़त बनाये रखी। जबकि मुलायम सिंह एक विधानसभा सीट भौगांव में चुनाव में पिछड़ गये थे।  लेकिन समाजवादी पार्टी के ही कद्दावर नेता माने जाने वाले आजम खां के गृहक्षेत्र रामपुर की विधानसभा सीट भाजपा ले उड़ी। 
रामपुर आजम खां का गढ़ बताया जाता है जहां से वह स्वयं कम से कम आठ बार विधानसभा में पहुंचने में कामयाब रहे थे। मगर इस बार भाजपा ने यह सीट झटक ली। हालांकि आजम खां व समाजवादी पार्टी की ओर से कहा जा रहा है कि इस सीट का मतदान प्रतिशत केवल 30 के करीब रहने से ही कहानी की हकीकत पता चल रही है क्योंकि यहां मुस्लिम नागरिकों को प्रशासन की सख्ती दिखा कर डराया गया और उन्हें वोट ही नहीं डालने दिया। रामपुर में 56 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता हैं। मगर इसके समानान्तर मुजफ्फरनगर जिले की खतौली सीट पर भाजपा का प्रत्याशी अच्छे मतों के अन्तर से पराजित हुआ। रामपुर में उपचुनाव खुद आजम खां को नफरती बोल के अपराध में अदालत द्वारा सजा सुनाये जाने की वजह से हुआ था क्योंकि न केवल मताधिकार जब्त कर लिया गया था बल्कि उनकी विधायकी भी रद्द कर दी गई थी। इसी प्रकार खतौली के भाजपा विधायक विक्रमसिंह सैनी को 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों में अदालत ने दोषी पाकर सजा सुनाई थी जिससे उनकी विधायकी चली गई थी। भाजपा ने उनके स्थान पर उनकी पत्नी राजकुमारी सैनी को टिकट दिया था मगर वह राष्ट्रीय लोकदल के प्रत्याशी मदन भैया से 23 हजार के लगभग मतों से पराजित हो गईं। खतौली पश्चिमी उत्तर प्रदेश का इलाका है जहां पिछले विधानसभा चुनावों में भाजपा को अच्छी सफलता मिली थी। 
उत्तर प्रदेश के चुनाव परिणामों से संकेत मिलता है कि यहां सत्तारूढ़ भाजपा का दबदबा अब घट सा रहा है। परन्तु बिहार के कुढनी विधानसभा क्षेत्र में तो कमाल हो गया जहां भाजपा ने सत्तारूढ़ गठबन्धन से यह सीट झटक ली। पिछले चुनावों में यह सीट लालू जी की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल ने जीती थी। उपचुनाव में मुख्यमन्त्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल(यू) की तरफ से मनोज कुशवाहा मैदान में उतरे थे जिन्हें राष्ट्रीय जनता दल का पूरा समर्थन प्राप्त था। उनका प्रचार करने मुख्यमन्त्री व उपमुख्यमन्त्री स्वयं आये थे । इसके बावजूद भाजपा के केदार गुप्ता चुनाव जीत गये। श्री गुप्ता इस सीट से पहले भी विधायक रह चुके हैं। कुढनी में महागठबन्धन के प्रत्याशी की हार से राज्य की सरकार की साख पर बट्टा लगा है क्योंकि नीतीश बाबू के भाजपा का पाला छोड़कर लालू जी के पाले में आने के बाद यह बड़ी हार समझी जा रही है। 
दूसरी ओर छत्तीसगढ़ व ओडिशा की क्रमशः कांग्रेस व बीजू जनता दल सरकारें उपचुनाव जीत कर अपनी साख बचाने में कामयाब रही हैं। छत्तीसगढ़ के मुख्यमन्त्री श्री भूपेश बघेल ने इसे राज्यवासियों का अपनी सरकार में विश्वास बताया है। राज्य की भानुप्रतापपुर सीट पर कांग्रेस के प्रत्याशी सावित्री मांडवी ने भाजपा प्रत्याशी ब्रह्मानन्द नेताम को 21 हजार से अधिक मतों से परास्त किया। 2018 के विधानसभा चुनावों के बाद राज्य में पांच उपचुनाव हो चुके हैं और सभी में सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस विजयी रही है। इससे भूपेश बघेल का आत्मविश्वास सातवें आसमान पर है और वह अगले साल होने वाले अपने राज्य के चुनावों के परिणामों के प्रति आश्वस्त दिखते हैं। इसी प्रकार ओडिसा के मुख्यमन्त्री बीजू पटनायक की मनोस्थिति है। उनकी पार्टी के प्रत्याशी वर्षा सिंह बरीहा ने भाजपा के प्रत्याशी प्रदीप पुरोहित को 42 हजार से अधिक मतों से पराजित किया जबकि कांग्रेसी उम्मीदवार की यहां जमानत ही जब्त हो गई। इस प्रकार उपचुनावों के नतीजे गर्म-सर्द हवा बिखेरने वाले कहे जायेंगे।

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