शेख हसीना का स्वागत - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

शेख हसीना का स्वागत

बांग्लादेश की प्रधानमन्त्री शेख हसीना वाजेद भारत की राजकीय यात्रा पर आज दिल्ली आयी हैं।

बांग्लादेश की प्रधानमन्त्री शेख हसीना वाजेद भारत की राजकीय यात्रा पर आज दिल्ली आयी हैं। उनकी यह यात्रा भारत-बांग्लादेश सम्बन्धों को और अधिक मजबूत करेगी तथा उन ऐतिहासिक व सांस्कृतिक तारों को और पक्का करेगी जो इस देश के मुक्ति संग्राम से लेकर इसके चहुंमुखी विकास से जुड़े हुए हैं। बांग्लादेश ताजा इतिहास में ऐसा अभूतपूर्व देश है जिसके लोगों ने स्वयं संघर्ष करके आततायी सत्ता को उखाड़ फैंका और अपने लिए आजादी हासिल की। इस देश के 1971 में दुनिया के नक्शे पर उभरने के बाद पूरी दक्षिण एशिया की राजनीति में जो इन्कलाब आया उसने पाकिस्तान जैसे मजहब की बुनियाद पर बने देश की हैसियत को मुर्दा साबित करने में भी कोई कमी नहीं छोड़ी और यह तय कर दिया कि किसी भी देश की पहचान उसकी संस्कृति ही हो सकती है जिसका आधार वहां की भाषा होती है। बांग्लादेश अपनी बांग्ला भाषा की ताकत की ऐसी  पहचान भी है जिससे राष्ट्र परिभाषित होते हैं। यह देश जनता की शक्ति के उस प्रवाह का भी उदाहरण है जिसके आगे बड़े-बड़े शक्तिशाली राज की क्रूरता भी हार मान जाती है।
यह देश 1947 में मुहम्मद अली जिन्ना द्वारा पनपाये गये ​द्विराष्ट्रवाद की कब्रगाह भी है क्योंकि 1971 में इसके उदय से पूर्व इसे पूर्वी पाकिस्तान कहा जाता था मगर इसकी मुस्लिम धर्मावलम्बी अधिसंख्य जनसंख्या इस्लाम धर्म की अनुयायी होने के बावजूद बांग्ला संस्कृति के महान सिद्धान्तों को मानने वाली थी और अपनी पहली पहचान बांग्ला ही मानती थी। यही वजह है कि 1971 में इस देश की जनता के मुक्ति संग्राम का नेतृत्व करने वाले बंगबन्धु शेख मुजीबुर्रहमान ने इसे पंथ निरपेक्ष देश घोषित किया था। भारत की जनता वह दिन आज तक नहीं भूली है जब 1971 में ही शेख मुजीबुर्रहमान ने दिल्ली की धरती पर आकर तत्कालीन प्रधानमन्त्री श्रीमती इन्दिरा गांधी की मौजूदगी में ‘आमार सोनार बांग्ला’ का उद्घोष किया था। तभी से शेक मुजीबुर्रहमान भारतवासियों के लिए एक ‘देशज’ नेता बन गये थे। शेख हसीना वाजेद उन्हीं महान नेता शेख मुजीब की पुत्री हैं जो कई बार अपने देश की प्रधानमन्त्री रह चुकी हैं। उनकी नेशनल अवामी पार्टी बांग्लादेश में आधुनिक वैज्ञानिक विचारों की पार्टी मानी जाती है और बांग्लादेश में रहने वाले हर हिन्दू-मुसलमान के अधिकारों की रक्षक मानी जाती है। भारत के प्रति उनका विशेष प्रेम है क्योंकि उनकी उच्च शिक्षा भी भारत में ही हुई है । वह भारतीय संस्कृति की विविधता की हृदय से प्रशंसक हैं और अपने देश में भी इसकी संरक्षक मानी जाती हैं जिसकी वजह से बांग्लादेश के तास्सुबी इस्लामी संगठन जैसे जमाते इस्लामी आदि उनके खिलाफ आम लोगों को भड़काते रहते हैं। परन्तु 1971 के मुक्ति संग्राम में पाकिस्तानी फौज का साथ देने वाले और उसके साथ मिल कर बांग्लादेशियों पर जुल्म ढहाने वाले राष्ट्रद्रोही लोगों को जिस तरह उनके देश में फांसी पर लटकाया गया वह भी आधुनिक राष्ट्रवाद की एक गाथा है। इसके साथ ही बांग्लादेश में 20 लाख से अधिक म्यांमार के रोहिंग्यिा मुस्लिम शरण लिये हुए हैं। मानवता के आधार पर शेख हसीना की सरकार उन्हें भी मूलभूत सुविधाएं सुलभ करा रही है क्योंकि म्यांमार व बांग्लादेश की सीमाएं बहुत निकट हैं। 
शेख हसीना प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी की भी प्रशंसक हैं और उन्हें बांग्लादेश का हितैषी मानती हैं। भारत यात्रा पर आने से पहले ही उन्होंने श्री मोदी व भारत सरकार की इस बात के लिए तारीफ की कि रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते भारत ने यूक्रेन के शहरों में फंसे भारतीय लोगों को सुरक्षित निकालने के साथ ही बांग्लादेशी लोगों को भी निकाला। भारत के निकटतम पड़ोसी होने और भारतीय उपमहाद्वीप का अंग होने की वजह से बांग्लादेश के आर्थिक विकास में भी दोनों देशों का आपसी सहयोग उल्लेखनीय रहा है। स्वतन्त्रता के बाद बांग्लादेश के विकास में भारत हमेशा उत्प्रेरक की भूमिका निभाता रहा है  जबकि बांग्लादेश भारत के विकास माडल से प्रेरणा प्राप्त करता रहा है। इसमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि शेख हसीना के नेतृत्व में बांग्लादेश आज एशिया की तीव्रगति से विकास करती अर्थव्यवस्था बना हुआ है। इसकी प्रमुख वजह शेख हसीना सरकार की ऐसी राष्ट्रहित परक नीतियां मानी जाती हैं जो किसी भी देश को विकास के पथ पर बढ़ाने के लिए वहां के लोगों के विकास पर केन्द्रित रहती हैं। यही वजह है कि बांग्लादेश में आज महिलाओं में शिक्षा के प्रसार से लेकर उनके रोजगार में लगे होने का औसत बहुत ऊंचा है और सामान्य औद्योगीकरण की वृद्धि दर भी सम्मानजनक है। यह सब कुछ बांग्लादेश ने 1971 के बाद ही प्राप्त किया है।
अंग्रेजी काल में भारत का ‘जल बिछौना’  माना जाने वाला  यह क्षेत्र गंगा जैसी कितनी ही पवित्र नदियों का समुद्रमार्ग है। यह भारत की सांझी विरासत का जीता-जागता ऐसा सबूत भी है जिसका राष्ट्रगान भी गुरुदेव रवीन्द नाथ टैगोर का लिखा हुआ है। दोनों देशों के बीच के मधुर सम्बन्धों में व्यवधान डालने का काम कुछ जेहादी इस्लामी संगठन करते रहते हैं जिन पर शेख हसीना सरकार अपना कड़ा प्रहार भी करती रहती है परन्तु पाकिस्तान है कि मानता ही नहीं। इसके बावजूद यह देश चौतरफा तरक्की कर रहा है और अपने लोगों के जीवन को बेहतर बना रहा है जिसमे भारत का सहयोग उसे लगातार मिल रहा है। भारत में शेख हसीना का दिल खोल कर स्वागत।

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