हरियाणा में अलग-अलग गुटों के लोगों के बीच हुए सांप्रदायिक दंगों से निपटने के दौरान कुछ लोगों पर झगड़े करने का आरोप लगाया गया और उनके घरों को बुलडोजर का उपयोग करके नष्ट कर दिया गया। इसे लेकर अल्पसंख्यक धार्मिक समूह के लोग चिंतित हैं। जबकी इन झगड़ों के दौरान छह लोगों की मौत हो गई। नूंह के निवासी ज़मील खान ने हाल की घटनाओं पर चिंता व्यक्त की, जहां सशस्त्र हिंदू कार्यकर्ताओं ने एक जुलूस के दौरान उत्तेजक नारे लगाए। उन्होंने बताया कि इन कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय, पुलिस विध्वंस अभियान के दौरान मुस्लिम संपत्तियों को चुनिंदा रूप से निशाना बना रही है।
यह सवाल खड़ा हो गया
उन्होंने अधिकारियों से सवाल करते हुए कहा, ‘अधिकारियों ने केवल मुसलमानों के घरों और दुकानों को ध्वस्त करने का फैसला किया है। उन्होंने हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों और रैली के दौरान खुलेआम हथियार लहराने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की?” ज़मील खान का मानना है कि यह दृष्टिकोण हिंदुत्व समूहों को खुश करने का एक प्रयास है, जो कई वर्षों से क्षेत्र में मौजूद सामाजिक सद्भाव और सांप्रदायिक सौहार्द को बाधित करना चाहते हैं। उसका घर ध्वस्त कर दिया गया, इससे उसके सामने यह सवाल खड़ा हो गया कि वह कहां जाए।
परिवार का भरण-पोषण कैसे करें
हारून खान, जिनकी नल्हार मेडिकल कॉलेज के पास झोपड़ी और जूस बूथ को ध्वस्त कर दिया गया था, ने अपनी बेगुनाही व्यक्त करते हुए कहा कि दंगों में उनकी कोई भागीदारी नहीं है और ऐसे व्यक्तियों के साथ उनका कोई संबंध नहीं है। उनका जूस बूथ उनके परिवार के भरण-पोषण का साधन था, और अब उन्हें चिंता सता रही कि विध्वंस के बाद अपने तीन लोगों के परिवार का भरण-पोषण कैसे करें।